स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक निबंध

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15 अगस्त 1947 को हमारा भारत देश अंग्रेजों के शासन से मुक्त हुआ था। देश की स्वतन्त्रता के लिए विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। देश भक्ति व्यक्ति के अंतर्निहित होती है। इसे किसी प्रलोभन से उजागर नहीं किया जाता। देश के वीर स्वतंत्रता सेनानियों का मुख्य लक्ष्य भारत की आजादी थी, अपने नाम की व्याख्या नहीं। कुछ प्रबल समर्थकों ने इतिहास में उनका नाम स्पष्ट किया, परंतु उनमें ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनके नाम से भारतवासी अनभिज्ञ हैं।

अतः आज इस लेख के माध्यम से हम आपके लिए “स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक” विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं।

प्रस्तावना: सर्वविदित है, 75 वर्ष पूर्व भारत अंग्रेजों की क्रूर शासन सत्ता का गुलाम था। भारत का प्रत्येक निवासी अंग्रेजो की यातनाओं का शिकारी बन चुका था। ऐसे में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ खड़े होने के लिए अनेक देशवासी आगे बढ़कर आएं, जिन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना गया। देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के कारण ही आज हम सभी स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।

गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम: हालांकि देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों का नाम संपूर्ण भारतवर्ष जानता है। लेकिन कुछ ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानियों के नाम है जो कि इतिहास के पन्नों में दब के रह गए। सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, भगत सिंह, पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सर्वत्र माना जाता है। आइए जानते हैं, कुछ ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के नाम जो इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज किए बिना ही देश के लिए अमर हो गए…..

  1. पोटी श्रीरामुलू- ये महात्मा गांधी जी के प्रबल समर्थक थे। गांधी जी ने उनकी देश के प्रति प्रतिष्ठा को देखते हुए यह कहा था कि, ‘यदि मेरे पास 11 पोटी श्रीरामुलू समर्थक आ जाएं तो मैं एक वर्ष में भारत को स्वतंत्र कर सकता हूं।’
  2. सेनापति बापत- सत्याग्रह में सम्मिलित होने के कारण उन्हें सेनापति की उपाधि दी गई। वे एक सत्याग्राही थे, उन्होंने सरकार के खिलाफ भाषण आदि दिए।
  3. मातंगिनी हाजरा- उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन तथा असहयोग आंदोलन में भाग लेकर अपना अहम योगदान दिया था। एक जुलूस के दौरान वे भारत माता का झंडा लेकर आगे बढ़ रही थी, तभी उन पर गोली चला दी गई, अंत समय में भी उनके मुख से वन्दे मातरम् शब्द निकलते रहें।
  4. तारा रानी श्रीवास्तव- बिहार में अपने पति के साथ जुलूस के दौरान उन पर गोली चलाई गई, लेकिन अपने घाव पर पट्टी बांध कर आगे बढ़ती रही, अंत में भारत माता के झंडे को लेकर देश हिट में समर्पित हो गई।
  5. पीर अली खान- अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने वाले विरोधियों में से एक थे। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। 14 अन्य लोगों के साथ उन्हें सक्रिय विरोधी के तौर पर फांसी पर चढ़ा दिया गया।
    इसके अतिरिक्त बेगम हजरत महल, अरुणा आसफ अली, भीकाजी कामा, कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी, कमला देवी चट्टोपाध्याय ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देश की आजादी में दिया। भारतवर्ष की धरती पर उनका योगदान कभी मिटाया नहीं जा सकता है।

गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में जानना है आवश्यक

आज की भावी पीढ़ी को भारत के संपूर्ण इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि नामी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ही कुछ ऐसे स्वतंत्रता नायक भी रहे हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए समान त्याग तथा बलिदान किया था। गुमनाम नायकों ने देश की आजादी में अपना विशेष योगदान देकर आंदोलनों तथा अंग्रजों के खिलाफ बढ़ रहे विरोधों को एक नया आयाम दिया था। उनके प्रति सम्मान की भावना को भारतवासी के हृदय में स्थापित स्थापित होनी चाहिए।

निष्कर्ष: हर देश भक्त अपने देश के लिए कार्य करता है। अपने अपने स्तर पर देश प्रेम में त्याग करता है। देश भक्तों ने अपने प्राणों की चिंता किए बिना देश की आजादी में अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया। हमें उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का अवसर तभी प्राप्त होगा, जब हम उनके विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। उनके त्याग व बलिदान की अनुभूति करेंगे।

1 thought on “स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक निबंध”

  1. Thankyou, this is great for us to know about the Heroes whom we don’t know and you gives us the education upraise for our Secret Heroes…
    I am Avni and this information has many means to me… Thanks a lot…

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