मोबाइल फ़ोन पर निबंध

मोबाइल फ़ोन पर निबंध।
Hindi Essay on Mobile Phone for Kids.

आज की पूरी दुनिया मोबाइल फ़ोन के बैगर अधूरी है। ज़िन्दगी के हर पहलु में मोबाइल फ़ोन के बिना हम असक्रिय हो जाते है। हर काम के लिए सुबह से लेकर रात तक मोबाइल फ़ोन की ज़रूरत पड़ती है। बच्चे टुइशन पर पहुँचते है और अपने परिवार वालों को इतलाह करना नहीं भूलते है। दफ्तर के सारे ज़रूरी कार्य से सम्बंधित वार्तालाप मोबाइल के बिना नहीं हो सकता है। मोबाइल फ़ोन से हम दुनिया के किसी भी हिस्से से बात कर सकते है।

मोबाइल से हम किसी को सन्देश कुछ ही सेकंड में भेज सकते है। मोबाइल में हम कभी भी रेडियो के गाने सुन सकते है। किसी भी समय अपने गणित के हिसाब मोबाइल में गणना कर सकते है। हम अपना जीवन मोबाइल के बिना कल्पना तक नहीं कर सकते है। बच्चे हो या बड़े सब इस मोबाइल फ़ोन से छिप्पकर बैठ जाते है।

मोबाइल जब इंटरनेट से जुड़ गया तो इससे मनुष्य जाति का जुड़ाव ज़्यादा बढ़ गया है। बच्चे जब ही अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते है और मम्मी-पापा के मोबाइल पर जाकर गेम्स और कार्टून देखने बैठ जाते है। मोबाइल हमारे परिवार के सदस्य जैसा हो गया है जिसके बिना हमारा जीवन सुना -सुना सा लगता है।

आजकल माता -पिता बच्चो को समय नहीं दे पाते है। बच्चो को नियंत्रित एक जगह पर बैठाने के लिए मोबाइल फ़ोन पकड़ा देते है। इसी तरीके से बच्चों को मोबाइल फ़ोन की आदत लग जाती है। जिस आदत को बाद में अभिभावक चाहकर भी नहीं सुधार पाते है। मोबाइल फ़ोन के इंटरनेट से जुड़ने के कारण लॉक डाउन की परिस्थिति में हम घर बैठे अपने परिजनों से बात कर सकते है। दफ्तर का काम इंटरनेट के ज़रिये काफी आसान हो गया है। हम कहीं पर घूमने जाए तो आसानी से अपने पलों को मोबाइल यन्त्र पर कैद कर सकते है और किसी भी समय उसे देख भी सकते है। मोबाइल फ़ोन ने मनुष्य के जीवन को एक नए मुकाम तक पहुँचाया है।

मोबाइल फ़ोन में इंटरनेट की सहायता से कई एप्प लोग इस्तेमाल कर रहे है। इंसानो की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए हर सुविधा मोबाइल उपलब्ध है चाहे बैंक सेवा, नौकरी सेवा, बाजार करने की सेवा इत्यादि मोबाइल पर उपलब्ध है।

ऐसा दुनिया में एक इंसान नहीं जिसके पास मोबाइल न हो। यहाँ तक की 12 साल के बच्चे के पास भी मोबाइल है। मोबाइल से हमे कई सुविधा प्राप्त होती है। मोबाइल की यह आदात काफी नुकसानदेह है। परिवार के साथ होते हुए भी हम मोबाइल पर अत्यधिक समय बिताते है जो की अनुचित है। अगर हमारे पास खाली वक़्त है तो हम मोबाइल में फेसबुक और व्हाट्सप्प chat करने लगते है। सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव भी हम पर पड़ रहे है। नतीजा यह कि हम सोशल मीडिया में लोकप्रिय होने के लिए परिवार को ज़्यादा समय नहीं देते।

मोबाइल का सीमित उपयोग करना आवश्यक है। हर एक चीज़ के गुण और अवगुण होते है। मोबाइल फ़ोन के भी है। मोबाइल फ़ोन से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन्स हमारे स्वस्थ के लिए अच्छा नहीं है। मोबाइल फ़ोन युवा पीढ़ी के लिए एक नशे के सामान फैल रहा है। हर किसी वस्तु का सही इस्तेमाल आवश्यक है। वर्त्तमान काल में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। मोबाइल भी विज्ञान की ही देन है। मोबाइल फ़ोन की कीमत वक़्त के साथ-साथ नीचे आ रही है। इसीलिए हर इंसान मोबाइल फ़ोन आसानी से खरीद सकता है। हर दिन नए -नए मॉडल बाजार में उपलब्ध है। मोबाइल के आ जाने से कंप्यूटर का महत्व ख़त्म हो रहा है। लोग छोटे -बड़े सारे काम मोबाइल पर कर सकते है। आजकल स्मार्टफोन बाजार में नविन विशेषताओं के साथ उपलब्ध है। स्मार्टफोन में जीपीएस तकनीक से हम किसी का पता तुरंत लगा सकते है। मोबाइल के आ जाने से विद्यार्थी पढ़ाई पर ज़्यादा मन नहीं लगाते है।

विद्यार्थी ज़्यादा मोबाइल पर गेम खेलते है और अपना ध्यान पढ़ाई पर न देकर मोबाइल पर वक़्त बिताते है। इसी वजह से कई अभिभावक परेशान रहते है। कई लोग अपना अत्यधिक पैसा मोबाइल फ़ोन खरीदने में लगा देता है। हर एक इंसान अपना नए लेटेस्ट फ़ोन दिखाने में हमेशा तत्पर रहता है। मोबाइल फ़ोन की वजह से माँ बाप बच्चो को ज़्यादा समय नहीं देते है। फुर्सत के पलों में मोबाइल की तरफ माँ- बाप का झुकाव बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

10 के दशक में मोबाइल फ़ोन नहीं था। हम खत अपने परिवार के लोगों को लिखते थे लेकिन आजकल इस व्यस्त ज़िन्दगी में लोग सुख-दुःख के हर सन्देश मोबाइल से भेज देते है। पहले अभिभावकों के पास बच्चो के लिए समय हुआ करता था लेकिन मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से रिश्तों में दूरियां बढ़ रही है।

मोबाइल फ़ोन का आविष्कार मानव जाति के लिए वरदान है। लेकिन इसका उपयोग भी हमारे हाथ में है। सही दिशा और सीमित मात्रा में मोबाइल फ़ोन का उपयोग करने से रिश्तों में दूरी कम आएगी। मोबाइल को हमे अपने ऊपर हावी होने का मौका नहीं देना है। यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि भविष्य में हम इसे अपने ज़िन्दगी में कैसे अपनाते है।

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