गोला फेंक पर निबंध

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फेंकने वाले खेलों के विभिन्न रूपों में से एक है गोला फेंक। आज हम इस लेख के माध्यम से गोला फेंक (शॉट पुट) खेल पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के जरिए आपको गोला फेंक खेल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होंगी।

प्रस्तावना: गोला फेंक सामान्य रूप से एक आउटडोर खेल है। इस खेल में शारीरिक शक्ति का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। इस खेल में तकनीक के माध्यम से अपने लक्ष्य तक गोले को फेंका जाता है। पुराने समय से लोग कई ठोस वस्तुएं फेंकते रहे। इसका प्रयोग कभी निजी कार्य में तो कभी युद्ध के समय करते थे। आज गोला फेंक प्रसिद्ध ओलंपिक खेलों में से एक है। जोकि विश्व के विभिन्न देशों के एथेलेटिक्स द्वारा खेला जाता है।

गोला फेंक खेल का इतिहास: लगभग पहली शताब्दी के करीब पत्थर तथा वजन फेंकने की घटना का पहला सबूत स्कॉटिश हाइलैंड्स में प्राप्त हुआ। माना जाता है कि मध्य युग के समय में सैनिकों के मध्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें उनके द्वारा तोप के गोले फेंके गए। इसके अतिरिक्त 19 वीं शताब्दी में गोला फेंक खेल को स्कॉटलैंड में रिकॉर्ड किया गया था।

1896, में इस खेल को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में शॉट पुट नामक खेल से आयोजित किया गया। हालांकि स्पष्ट रूप से गोला फेंक खेल की उत्पत्ति के विषय में पूर्ण ज्ञान कही नहीं लिखा गया। लेकिन धीरे धीरे इस खेल की लोकप्रियता से निश्चित नियमों को बनाया गया। आधुनिक समय में गोला फेंक जिसे शॉट पुट के नाम से भी जाना जाता है, को विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी कार्यक्रम की भांति शामिल किया जा चुका है।

गोला फेंक खेल का तरीका: गोला फेंक में प्रयुक्त होने वाला गोला ठोस लोहे तथा अन्य धातु का बना होता है। गोला फेंकने का वृत्त 7 फुट व्यास का बना होता है। वृत्त के अग्र भाग में स्पॉट बोर्ड जमीन पर गढ़ा रहता है। वृत्त के केंद्र से होकर जाने वाली एक सफेद रेखा खींची जाती है। जो को वृत्त के घेरे से 2*1/2 फुट बाहर निकली रहती है।

गोला फेंक खेल में खिलाड़ी को सर्वप्रथम गोले को ग्रिप से उठाना होता है। हथेली की सहायता से अंगुलियों के ऊपरी सिरों के माध्यम से गोले को पकड़ लें। इसके पश्चात् गोले को कंधे तक लेकर जाया जाता है। इसी स्थिति में धीरे धीरे गोला फेंक बिंदु पर सरका दिया जाता है। बिंदु पर स्थित होकर अपनी पूर्ण ऊर्जा से गोले को फेंका जाता है। गोला फेंकने के लिए शरीर का संतुलन बनाया रखा जाता है। गोला फेंकते समय पैरों की भी हरकत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

गोला फेंक खेल के नियम:-

• गोला फेंक का प्रतियोगी अपना पैर विराम पट्ट के किनारे रख सकता है।
• प्रतियोगी द्वारा एक हाथ से गोला कंधे से फेका जाएगा।
• गोला कंधे के पीछे नहीं जाना चाहिए।
• प्रतियोगी को वृत्त से तब तक नहीं निकलना है, जब तक गोला भूमि पर ना गिरे।
• वृत्त के अंदर खिलाड़ी को स्थिर खड़ा होना चाहिए।
• खेल शुरू हो जाने के बाद यदि खिलाड़ी अपने शरीर के किसी भाग द्वारा चक्र में या स्टॉप बोर्ड के ऊपरी सिरे को या बाहर के मैदान को स्पर्श करता है तो यह फाउल होगा।
• गोला फेंक खेल में वस्तुएं 45° सेक्टर के अंदर ही गिरना चाहिए।
• खेल में गोले का वजन प्रत्येक आयु के वर्ग के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
• गोला फेंक का भार पुरुषों के लिए 7.26 किग्रा तथा महिलाओं के लिए 4 किग्रा वजन रहता है।

निष्कर्ष: भारत में गोला फेंक के प्रमुख खिलाड़ी – तजिंदरपाल सिंह तूर, मनप्रीत कौर, सीमा पूनिया आदि द्वारा ओलंपिक गोला फेंक में बेहतरीन प्रदर्शन किया गया। गोला फेंक खेल में अपनी रुचि जागृत करके उन्होंने अपने नाम के साथ ही देश का नाम भी रोशन किया। इसी प्रकार हर बार आयोजित होने वाले गोला फेंक प्रत्येक देश अपना अच्छा प्रदर्शन करता जा रहा है।

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