दोस्तों आज हम भारत में शरणार्थी विषय पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं। यह विषय हमारे देश के लिए एक समस्या के साथ-साथ अहम मुद्दा बना हुआ है। अतः इस विषय की संपूर्ण जानकारी आज हम अपने इस निबंध के जरिए आपको देने वाले हैं। तो आइए जानते हैं, ‘भारत में शरणार्थी’ विषय पर निबंध…..
प्रस्तावना
शरणार्थी का अर्थ शरण में आने वाले असहाय, लाचार, बेघर, देश से निकाले गए निराश्रय और रक्षा चाहने वाले व्यक्ति या उनके समूह से लगाया जाता है। अंग्रेजी भाषा में इन्हें Refugee कहा जाता है। भारत की नई समस्त विश्व शरणार्थी की समस्या से जूझता है। लेकिन हमारा भारत देश दया, सहायता, निराश्रय को आश्रय देने की भावना रखने वाला है इसीलिए भारत में शरणार्थियों की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है।
भारत में शरणार्थी का आगमन
1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने पड़ोसी देशों के शरणार्थियों के विभिन्न समूहों को अपने देश में पनाह दी है। जिसमें पूर्व ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों के विभाजन शरणार्थी शामिल हैं, जो अब पाकिस्तान और बांग्लादेश का गठन करते हैं, तिब्बती शरणार्थी जो 1959 में आए थे, 1960 के दशक की शुरुआत में वर्तमान बांग्लादेश से चकमा शरणार्थी, अन्य 1965 और 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थी, 1980 के दशक से श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी और हाल ही में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थी। 1992 में, भारत को आठ देशों के 400,000 शरणार्थियों की मेजबानी करते हुए देखा गया था।
शरणार्थी संकट
शरणार्थी संकट कई कारणों से हो सकता है। इन कारणों की तीव्रता और पैमाना ही लोगों को अपने घरों और जन्म देशों को छोड़कर कहीं और शरण लेने के लिए मजबूर करता है। उत्पीड़न, युद्ध, भूख, आर्थिक तंगी आदि जैसे ये कारक जीवित रहने की उम्मीद में लोगों के बड़े पैमाने पर विस्थापन को मजबूर करते हैं।
शरणार्थी समस्या के समाधान के उपाय
शरणार्थी समस्याओं को केवल तीन अलग-अलग तरीकों से हल किया जा सकता है: – अपनी इच्छा से देश – प्रत्यावर्तन के माध्यम से, विदेशों में पुनर्वास के माध्यम से और एकीकरण के माध्यम से।
- शरणार्थियों के लिए अभयारण्य के लिए सुरक्षित मार्ग खोलना एक महत्वपूर्ण समाधान है।
- साथ ही उन सभी शरणार्थियों का पुनर्वास करना भी है जिन्हें इसकी आवश्यकता है। सबसे कमजोर शरणार्थियों के लिए पुनर्वास एक महत्वपूर्ण समाधान है – जिसमें यातना से बचे लोगों और गंभीर चिकित्सा समस्याओं वाले लोग शामिल किए जा सकते हैं।
- शरणार्थी चाहे जमीन से यात्रा करें या समुद्र से, उत्पीड़न या युद्ध से भाग रहे लोगों को यात्रा के समय दस्तावेजों के साथ या बिना सीमा पार करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- शरणार्थियों को रोकने के लिए कष्टदाई तरीकों को अपनाना शरणार्थियों के जीवन को और दुखदाई बना सकता है।
- शरणार्थियों को किसी भी देश द्वारा दोषी नहीं समझा जाना चाहिए। जिस भी देश में शरणार्थी प्रवेश करते हैं उस सरकार को शरणार्थियों के लिए कुछ खास नियमों को बनाना चाहिए जिससे शरणार्थियों के साथ-साथ अन्य देशवासियों को भी किसी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े।
उपसंहार
दूसरे देशों से प्रताडि़त होकर लोग भारत आते रहते हैं। उन्हें यहां शरण भी मिलती रही है। बदलते वक्त के साथ अब यह आवश्यक है कि एक अलग नीति बने, ताकि शरणार्थियों को शरण भी मिले और वे देश के संसाधनों पर भार भी न बनें। अवैध शरणार्थी कई अन्य समस्याओं को जन्म देते हैं। ऐसे में सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक ठोस नीति बनाई जाए, तो देश के लिए सर्वोत्तम रहेगा।