जैविक खेती पर निबंध

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ऑर्गेनिक फार्मिंग जिसे हिंदी भाषा में जैविक खेती कहा जाता है। भारतीय क्षेत्रों में जैविक खेती का विशेष महत्व है। अतः आज हम अपने लेख के माध्यम से आपको ऑर्गेनिक फार्मिंग यानि जैविक खेती के विषय पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

आइए जानते हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंग अथवा जैविक खेती विषय पर निबंध…

प्रस्तावना

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां की अधिकतर संख्या खेती से अपनी आजीविका चलाती है। भारत देश में की गई हरित क्रांति भी, कृषि क्षेत्र में उन्नति के लिए शुरू किया एक अभियान रहा। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक पारंपरिक खेती की जाती हैं, जिसे जैविक खेती/ऑर्गेनिक फार्मिंग कहा जाता है।

जैविक खेती

जैविक खेती के लाभ बहुयामी हैं। इसका प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कृषकों को प्राप्त होता है। किसान के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के साथ ही किसान की भूमि को लाभ होता है। जैविक खेती करने से किसानों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। आज के समय में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों की कीमतें अधिक बढ़ चुकी है। ऐसे में किसान इन रासायनिक खेती करने के लिए किसान अधिक ऋण ग्रस्त हो जाते हैं।
लेकिन रासायनिक खाद के स्थान पर जब पेड़ पौधे, पशुओं के अवशेषों से निर्मित जैविक खाद का प्रयोग खेती में किया जाता है। तब खेती की उर्वरता में बढ़ोतरी होती है।

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती के लाभ निम्नलिखित हैं –
• जैविक खेती द्वारा उत्पन्न खाद पदार्थ शुद्ध पौष्टिक तथा पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
• जैविक खेती काफी सरल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों, संकर बीजों आदि का खर्चा नहीं होता है।
• जैविक खेती पारिस्थितिकी के अनुकूल होती है इसलिए इससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचती।
• अपेक्षाकृत उत्पादन की अधिकता और बीमारियों की कमता से किसानों को लाभ होता है।
• विदेश में मांग होने के कारण इसका एक अच्छा निर्यात संभव हो पाता है।

जैविक खेती परियोजना

केंद्रीय सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की जैविक खेती परियोजना शुरू की गई। जिसके माध्यम से किसानों को भी उत्साह भरपूर प्राप्त हुआ है। केंद्रीय सरकार द्वारा जारी की गई जैविक खेती परियोजनाएं निम्नलिखित हैं –

  1. केंद्र सरकार की ओर से 2015 में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन योजना को पूर्वोत्तर क्षेत्रों में शुरू किया गया।
  2. एक जिला – एक उत्पादन के नाम से जिला स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने की शुरुआत की गई।
  3. 2015 में शुरू की गई परंपरागत कृषि विकास योजना राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture) के अन्तर्गत जारी एक उप मिशन ‘मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन’ का एक घटक है। 

निष्कर्ष

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यदि मानव को धरती पर अपना अस्तित्व लंबे समय तक बनाए रखना है तो उसे जैविक खेती को अपनाना अनिवार्य है। आधुनिक समय में खेती में होने वाले रासायनिक प्रयोगों ने ना सिर्फ मानव को बल्कि प्रकृति को भी काफी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को प्रभावित करने वाली खेती को छोड़कर स्वास्थ्यवर्धक तथा पर्यावरण रक्षक जैविक खेती को अपनाना मानव की मज़बूरी हो चुकी है।

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