दोस्तों, आज हम अपने लेख के माध्यम से आपके लिए एक राष्ट्र एक चुनाव के विषय पर निबंध लेकर आएं हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव का अभिप्राय केंद्र सरकार एवम् राज्य सरकारों के चुनाव एक साथ कराने से है।
आइए जानते हैं एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध….
प्रस्तावना
भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी तथा अन्य देशों में एक राष्ट्र एक चुनाव की नीति ही लागू है। दरअसल एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रक्रिया देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली का रूप प्रदान करती है। एक राष्ट्र एक चुनाव ऐसा उपाय है जो देश में वर्ष भर चुनाव प्रक्रिया को समाप्त कर सकता है। भारत देश में आजादी के बाद से एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रक्रिया अपनाई गई। जिसके तहत लोकसभा तथा राज्यसभा के चुनाव को एक साथ कराने की संकल्पना सुनिश्चित हो पाती है।
एक राष्ट्र एक चुनाव की पृष्टभूमि
हमारा भारत देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए था तथा इसके बाद 26 जनवरी 1950 को पूरा देश गणतंत्र में बंध कर विकास की ओर अग्रसर हुआ। इसी दौरान गणतंत्र बने भारत का सर्वप्रथम चुनाव जो कि लोकसभा तथा विधानसभा का था, 1951-1952 में एक साथ संपन्न हुआ। तत्पश्चात 1957, 1962 तथा 1967 के चुनाव में भी लोकसभा तथा राज्यसभा का चुनाव साथ में संपन्न हुआ।
लेकिन 1967 के चुनाव में चुनी गई कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार 1968 तथा 1969 में गिर गई जिसके फलस्वरूप उन राज्यों की विधानसभाएं निर्धारित अंतराल से पहले भंग हो गई। इसका परिणाम यह हुआ कि 1971 में समय से पहले ही दुबारा चुनाव कराने पड़े। आगे भी राज्यों में यह स्थिति बनती गई विधानसभाएं भंग होती गई और यह सिलसिला जारी रहा।
एक राष्ट्र एक चुनाव के फायदे
एक राष्ट्र एक चुनाव प्रक्रिया के निम्नलिखित फायदे होते हैं-
• जब चुनाव की प्रक्रिया 5 वर्ष में एक बार होगी तो भारतीय निर्वाचन आयोग, अर्द्धसैनिक बलों तथा नागरिकों को तैयारी के लिए अधिक समय मिलेगा।
• चुनावों में पारदर्शिता आती है।
• एक राष्ट्र एक चुनाव के जरिए मतदान पर खर्च कम होता है।
• देश में होने वाले खर्चों को आसानी से समझा जा सकता है।
• सरकार की कार्य नीति को समझकर सरकार परिवर्तन किया जा सकता है।
• प्रशासन तथा सुरक्षा बलों का अतिरिक्त भार कम होता है।
• इससे सरकारी नीतियों को समय समय पर लागू तथा क्रियान्वित किया जा सकता है।
एक राष्ट्र एक चुनाव के नुक़सान
एक राष्ट्र एक चुनाव प्रक्रिया के कई नुक़सान भी परिलक्षित होते हैं-
• इस चुनावी प्रक्रिया से देश में चुनाव एक बार हो जाएगा तो विधानसभा का चुनाव लड़ने वाली क्षेत्रीय पार्टियां अपने क्षेत्रीय मुद्दों को उठा नहीं पाएंगी।
• एक राष्ट्र एक चुनाव के जरिए मतदान पर अधिक खर्च बढ़ता है।
• एक राष्ट्र एक चुनाव कुछ संविधानिक समस्याएं भी पैदा करता है।
• इस प्रक्रिया के जरिए यदि गठबंधन वाली राजनीतिक पार्टी चुनी गई है तो वह 5 वर्ष से पूर्व भी गिर सकती है, जिस स्थिति में दोबारा चुनाव कराना पड़ सकता है।
• पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए अत्याधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। जिससे देश के ऊपर समय तथा खर्च दोनों की मार पड़ती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार हमने एक राष्ट्र एक चुनाव के विषय में जाना। जिसके विषय में कुछ विशेषज्ञ इसके पक्ष में हैं तो कुछ विशेषज्ञ विपक्ष में हैं। ऐसे में सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह इस मुद्दे पर समस्त चुनावी संस्थाओं, राजनीतिक दलों तथा विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक उचित निर्णय स्थापित करें।