ओणम पर निबंध

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ओणम केरल राज्य के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यहां के लोग अपने धर्म, उम्र या फिट समुदाय के बावजूद ओणम को बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस रंग-बिरंगे त्योहार का जश्न काफी लंबे समय से चल रहा है। बता दें, ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है। इस साल यह त्यौहार 8 सितंबर को पढ़ रहा है। आज हम ओणम त्यौहार पर निबंध लिखेंगे। चलिए शुरुआत करते हैं।

पुराणों में ओणम

ओणम त्योहार राजा महाबली की याद और उनके सम्मान में मनाया जाता हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवें अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबली को पाताल भेजा था। ओणम त्यौहार कई सदियों से मनाया जा रहा है यह त्यौहार राजा महाबली की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता हैं।

ओणम त्यौहार का महत्व

ओणम को फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं। आमतौर देखा जाए, तो ओणम अगस्त या फिर सितंबर महीने में आता हैं। इस त्यौहार पर कई तरह के नृत्य किए जाते हैं। इस दिन केरल के लोक नृत्य कथकली का बहुत ही बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता हैं। इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों में फूलों की वेणिया लगाती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं। खाने के लिए कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस त्यौहार को बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। ओणम अपने साथ सुख, समृद्धि, आपसी सौहार्द की भावना को लेकर आता हैं।

क्यों मनाते हैं ओणम त्यौहार


राजा महाबली की याद में यह त्यौहार मनाया जाता हैं। बता दें, केरल पर राज करने वाले राजा महाबली बहुत ही उदार थे। राजा महाबली उदार ,धर्म परायण, सत्यवादी थे। उनके राज्य में धन और समृद्धि अपार मात्रा मे थी। उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ती जा रही थी। क्योंकि वह प्रजा के लिए राजा नहीं बल्कि भगवान बन चुके थे। लोग उन्हें भगवान की तरह पुजते थे। यह बात देवताओं को अच्छी नहीं लगी। इंद्र देव ने षड्यंत्र बनाकर भगवान विष्णु जी से सहायता मांगी। विष्णु जी ने वामन का रूप धारण करके महाबली से वचन लिया और उनको तीन पग जमीन देने के लिए कहा। महाबली की याद में ओणम मनाया जाता हैं।


उन क्षेत्रों का मालिक होना चाहता था। महाबली उनकी इच्छा मान गए। अचानक वामन विशाल हो गया। केवल दो कदमों के साथ, उसने पृथ्वी और स्वर्ग दोनों का दावा किया। उसके लिए और कोई जमीन नहीं बची थी, महाबली ने अपने वादे की रक्षा के लिए कुछ बलिदान किया। महान राजा ने भूमि के टुकड़े के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया। हालांकि उनकी एक शर्त थी। वह अपने घर लौटने की कामना करता था और हर साल एक बार अपने लोगों द्वारा उसका स्वागत किया जाता था।

ऐसा माना जाता है कि महाबली पाताल पर राज करते हैं। हर साल, वह अपनी प्रजा के पास जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। दस दिनों के उत्सव का अर्थ है कि दोनों लोकों के बीच आगे-पीछे यात्रा करने में लगने वाला समय। इसलिए, बहुत सम्मानित राजा का स्वागत करने के लिए ओणम को बहुत सारे उत्सवों के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष

ओणम के दिन केरल के सभी घरों को दुलहन की तरह सजाया जाता हैं। हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती हैं। ओणम पर केरल की समृद्धि को व्यापक रूप में देखा जा सकता हैं। ओणम त्योहार के दिन लोक नृत्य ,दौड़, खेल-कूद होती हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। देश के कोने कोने में अपने धर्म से जुड़े कई त्योहारों को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

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