मेरा परिवार पर निबंध

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प्यार का दूसरा नाम और व्यक्तिगत की पहचान की परिवार कहता है। परिवार खून के रिश्ते से बनता है। जहां हमारे मां-बाप, दादा-दादी, भाई-बहन रहते है, वहां होता है परिवार। परिवार हमे भगवान से मिला हुआ वरदान, जो कि हमारे साथ जीवनभर तक रहता है। चलिए आप इस लेख में मेरा परिवार पर निबंध लिखेंगे।

परिवार किसे कहते है?

एक आदर्श परिवार मिलना, बहुत ही भाग्यशाली है। कहा जाता है कि पूरी विश्व में घर से सुरक्षित कोई जगह नहीं है, उसी तरह कोई भी व्यक्ति परिवार से बेहतर नहीं हो सकता। हर व्यक्ति का पहला विद्यालय उसका परिवार ही है, क्योंकि यहीं वह जगह है, जहां से उनकों मूल संस्कार प्राप्त होते हैं। परिवार एक पेड़ की तरह है।

परिवार का महत्व

परिवार में अनुशासन और शिष्टाचार का बहुत महत्व है। परिवार से ही हमारे अंदर सद्गुणों का विकास होता है। व्यक्ति के विकास में उसके परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्चे पर प्रथम प्रभाव परिवार के माहौल का ही पड़ता है। यदि पारिवारिक माहौल अच्छा है, तो वह तेजी के साथ मानसिक रूप से सबल होने लगता है। घर के सभी लोग अपनी- अपनी जिम्मेदारी खुद निभाते हैं, इसलिए छोटा परिवार हो या फिर बड़ा परिवार हो तब भी सभी काम समय के हिसाब से होते हैं और किसी को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं रहती। चाहे बड़े त्यौहार हो या फिर छोटी-से-छोटी पूजा-पाठ का कार्यक्रम हो सब लोग साथ में रहकर ही खुशियां मनाते हैं। अगर किसी को कोई भी प्रकार की तकलीफ हो तो साथ मिलकर उसे हल करते हैं। परिवार में चाहे जितने भी बड़ा कारण क्यों ना हो, लेकिन उसे शांति और संयम से मिलकर सुलझा भी देते हैं। परिवार होना बहुत ही भाग्यशाली बात है।

परिवार के प्रकार

परिवार एक हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। परिवार के प्रकार…

  1. सदस्यों की संख्या के आधार पर परिवार
  2. विवाह के आधार पर परिवार
  3. संबंध के आधार पर परिवार
  4. सत्ता के आधार पर परिवार
  5. वंश के आधार पर परिवार
  6. निवास स्थान के आधार पर परिवार
  7. नाम के आधार पर परिवार
  8. पक्ष के आधार पर परिवार

परिवार का समाज पर प्रभाव

परिवार समाज की आधारभूत इकाई है। मानव ने अनेकानेक अविष्कार किए हैं, लेकिन आज तक वह ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं कर पाया है, जिससे कि परिवार का स्थान ले सके। इसका मूल कारण है कि परिवार द्वारा किए जाने वाले कार्य अन्य संघ एवं संस्थाएं करने में असमर्थ हैं। परिवार का योगदान समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण संस्था है, यहीं से बच्चे सर्वप्रथम समाजीकरण आरंभ करते है। इसी कारण से परिवार बच्चे का सबसे पहली पाठशाला कही जाती है। परिवार ही वो जगह है, जहां से बच्चे आदर्श नागरिक का पाठ सीखते है। परिवार का मुखिया सदस्यों पर नियंत्रण रखता है और उन्हें गोत्र, जाति और समाज की प्रथाओं, परंपराओं, रूढ़ियों के साथ-साथ कानूनों के अनुरूप आचरण करने को प्रेरित करता है। ऐसा ना करने पर उन्हें डांटता है।

परिवार का बच्चे पर प्रभाव

बचपन में परिवार हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि परिवार हमारी पहली पहचान है, किसी प्रकार की हमे दिक्कत हुई, तब परिवार हमारी ढ़ाल के रूप में रक्षा करता है। वहीं, किशोरावस्था में जब बच्चे कदम रखते है, तब वह सबसे अधिक संवेदनशील स्थिति से गुजर रहे होते है, तब परिवार ही बच्चे को समझने का पूरा प्रयास करता है। उसे भावनात्मक सहयोग देता है। युवावस्था के समय जब वयस्क हो जाने पर कई मुद्दें पर हमारी सहमति हमारे परिवार के साथ मेल नहीं खाती है, पर न चाहते हुए भी वह हमारे खुशी के लिए समझौता करना सीख जाते है और हमारे साथ हर परिस्थिति में खड़े रहते हैं।

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