मानव सेवा ही धर्म है पर निबंध

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प्रस्तावना

मानवता मनुष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस धरती पर ईश्वर मनुष्य को जन्म देता है। मानव के जन्म के बाद उसे अपना अपना धर्म ज्ञात होता है। लेकिन व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म में जन्म लें लेकिन उसके लिए सबसे बड़ा धर्म मानवीय सेवा है। जिसके अन्तर्गत मानव ही मानव का कल्याण करता है। ईश्वर के बनाए गए मानव स्वरूप को हानि पहुंचाना मानवता सेवा की अवहेलना होती है। जो लोग धर्म से बढ़कर मानवता को सम्मान देते हैं, वे लोग ईश्वर को बेहद प्रिय हो जाते हैं।

मानवता की आवश्यकता

वर्तमान समय में मनुष्य स्वार्थ में लिप्त हो चुका है। जिसके आवेश में मनुष्य लाभ और हानि में मनुष्य का ही शत्रु बन जाता है। अपने सुख के लिए आज व्यक्ति मानवता की बलि चढ़ा देता है। जिससे समाज में मानवता को गहरी चोट पहुंचती है। लोग आंखों में धर्म की पट्टी बांधकर मानवीय सेवा का त्याग कर देते हैं। जो कि धर्म व समाज दोनों के लिए अहितकारी है। ऐसे समाज में अब आवश्यकता हो मानवीय सेवा का पालन करने की। मानवीय सेवा के बल पर ही इस समाज को एक नई दिशा प्राप्त हो सकती है।

मानवीय गुणों में कई गुण शामिल होते हैं, जो कि कुछ इस प्रकार हैं –
कभी किसी का बुरा नहीं करिए,
कभी किसी के मन को ना दुखाएं,
जरूरतमंद लोगों की मदद अवश्य करें
मनुष्य, जीव – जंतु सभी के साथ प्रेम व स्नेह का व्यवहार करें
सभी के साथ समानता का व्यवहार करें

मानवीय सेवा धर्म का महत्व

मानवता की सेवा एक ऐसी सेवा है, जिसे जीवन का सबसे पुण्य माना जाता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध इत्यादि प्रत्येक धर्म में आपसी भाईचारा व मानवीय व्यक्तित्वों को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। धर्म की रक्षा करते समय आपकी मानवता का भाव बिगड़ सकता है, लेकिन मानवता की रक्षा करते समय आपके धर्म के सभी नियम उचित साबित होते हैं। मात्र मानवता के श्रेष्ठ गुण से आप ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं।

मानवीय सेवा है सच्ची सेवा

हर व्यक्ति अपने तरीके से जीवन व्यतीत करता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार भगवान का स्मरण करता है। अपने धर्म के अनुसार वह दान कर्म व सत्कर्म करता है। लेकिन किसी भी व्यक्ति के लिए मानवीय सेवा ही सर्वोत्तम बताई गई है। दरअसल, ईश्वर ने इस धरती पर हम मानव स्वरूपों को जन्म दिया है, हालांकि उस ईश्वर के रूप अलग माने जाते हैं लेकिन हर रूप का एक ही लश्य होता है मानव कल्याण।

निष्कर्ष

मानवीय सेवा ही सच्चा धर्म है। निसंदेह हम अलग अलग धर्म से जुड़े हुए हैं लेकिन आखिर हमारा जन्म एक ही तरह से होता है। सब एक ही ईश्वर के बनाए हुए हैं। ऐसे में इस धरती पर जन्म लेने वाला हर प्राणी एक दूसरे से किसी ना किसी प्रकार से जुड़ा हुआ है। जब व्यक्ति ही व्यक्ति की मदद नहीं करेगा तो इस धरती से मानवता समाप्त हो जाएगी। मानवता का अंत होते ही मनुष्यों का भी पतन शुरू हो जाएगा। इसलिए मानवीय सेवा को अपना अहम धर्म बनाना अत्यंत अनिवार्य है।

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