मजदूर दिवस पर निबंध

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दोस्तों, मजदूर हमारे देश एक ऐसी अभिन्न इकाई है जो सफलता और मेहनत का उदाहरण बनकर सामने आती है। मजदूरों की इस इकाई को प्रोत्साहन देने के लिए हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। अतः आज हम अपने लेख के माध्यम से आपको मजदूर दिवस पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के माध्यम से आपको मजदूर दिवस से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त होगी।

आइए जानते हैं, मजदूर दिवस पर निबंध…..

जिसके कंधो पर बोझ बढ़ा
वो भारत माँ का बेटा कौन
जिसने पसीने से भूमि को सींचा
वो भारत माँ का बेटा कौन
वह किसी का गुलाम नहीं
अपने दम पर जीता हैं
वह मजदूर भारत मां का बेटा है।

प्रस्तावना

समाज में रहने वाला हर वह व्यक्ति जो शारीरिक व मानसिक रूप से मेहनत करता है, मजदूर कहलाता है। मजदूर समाज का वह अभिन्न अंग है, जो समाज को मजबूत व परिपक्व बनाता है तथा सफलता की ओर लेकर जाता है। चाहे ईंट, सीमेंट से सना व्यक्ति हो या ऑफिस में बैठा फाइलों के बोझ तले दबा व्यक्ति हो यह दोनों ही मज़दूरों की श्रेणी में आते हैं। इन्हीं के परिश्रम को प्रोत्साहन तथा सम्मान देने के लिए हर वर्ष मजदूर दिवस मनाया जाता है।

अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

पूरे विश्व में मजदूरों को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष 1 मई को अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। जिसे कर्मचारी दिवस या मई दिवस भी कहा जाता है। यह मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा देने और मजदूरों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इतना ही नहीं यूरोप देश में मजदूर दिवस के दिन को पारंपरिक रूप से बसंत के अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। 80 देशों में इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है। भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है.

भारत में मजदूर दिवस का इतिहास

भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1 मई 1923 में मद्रास (जो कि वर्तमान में चेन्नई है) में मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा की गई थी। जिसके लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर थे। इन्होंने पहले मजदूर दिवस पर भारत में दो जगह कार्यक्रम आयोजित कराए, पहली बैठक ट्रिप्लीकेन बीच में व दूसरी मद्रास हाई कोर्ट के सामने वाले बीच में। इस दिन लेबर पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर की ओर से भारत सरकार के समक्ष यह विवेचना रखी गई कि हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मजदूरों के सम्मान के लिए मनाया जाए और साथ ही साथ इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया जाए।

मजदूर दिवस के दिन आयोजन तथा कार्यक्रम

विश्व स्तर पर तथा राष्ट्र स्तर पर हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया। इसके चलते अधिकतर सरकारी दफ्तर इस दिन बंद रहते हैं।लेकिन इस दिन विद्यालयों को खोला जाता है और विद्यार्थियों के समक्ष मजदूरों की संवेदनाओं को प्रकट किया जाता है। इस दिन मजदूर वर्ग मिलकर नई योजनाओं का निर्माण करते हैं। मजदूर समाज अपने कल्याण हेतु सतत प्रयास जारी रखते हैं। इसके साथ ही कई स्थानों पर मजदूर दिवस से जुड़े नाटक, कवि सम्मलेन इत्यादि कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।

निष्कर्ष

मजदूर को मजबूर समझना हमारी सबसे बड़ी गलती है, वह अपने खून पसीने की खाता है। ये ऐसे स्वाभिमानी लोग होते है, जो थोड़े में भी खुश रहते है एवं अपनी मेहनत व् लगन पर विश्वास रखते है। इन्हें किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं होता है। यही कारण है कि उनके सम्मान और उनके वजूद को कायम रखने के लिए मजदूर दिवस का आयोजन हर वर्ष किया जाता है।

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