प्रस्तावना: इसरो भारत सरकार के सभी अंतरिक्ष अभियानों का संचालन करने वाली एक संस्था है। इस संस्था के अंतर्गत समस्त अंतरिक्ष अभियानों हेतु प्रशिक्षण इत्यादि किया जाता है। वर्तमान समय में इसरो ने न केवल भारत बल्कि अन्य देशों के उपग्रह प्रक्षेपण में भी अपना अहम योगदान दिया है।
अपने सफल कार्यों के चलते इसरो ने खगोल शास्त्र के क्षेत्र में विश्व भर में अपना वर्चस्व भी स्थापित किया। विक्रम साराभाई द्वारा इसरो की स्थापना 15 अगस्त वर्ष 1969 में की गई थी जिसका वार्षिक बजट अब लगभग 14 करोड़ के आसपास है।
इसरो की स्थापना: सर्वप्रथम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा भविष्य में अंतरिक्ष कार्यक्रमों की आवश्यकता को महसूस किया था। जिसके तहत सन 1961 में अंतरिक्ष अनुसंधान को स्थापित किया गया, जिसमें परमाणु ऊर्जा विभाग की अध्यक्षता होमी जहांगीर भाभा द्वारा की गई थी।
इसके बाद सन् 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया। जिसके लिए सभापति के रूप में डॉक्टर विक्रम साराभाई को नियुक्त किया गया।वर्तमान में इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु कर्नाटक में स्थित है और इसके वर्तमान निदेशक डॉक्टर के. सिवान हैं।
इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉक्टर विक्रम साराभाई द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गठित किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई। इसरो की स्थापना के समय इसका नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) रखा गया था।
इसरो के कार्य व उपलब्धियां: इसरो ने अपनी स्थापना के पश्चात प्रणालियों जैसे मौसम विज्ञान, टेलीविजन प्रसारण, दूरसंचार तथा आपका चेतावनी इत्यादि को विकसित किया है। इसरो द्वारा अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 में निर्मित करके दर्ज किया गया था। यह पहला उपग्रह सोवियत संघ द्वारा लांच किया गया था। दूसरी और भारत द्वारा निर्मित सैटलाइट लॉन्च व्हीकल 3 के द्वारा उपग्रह रोहिणी को 18 जुलाई 1980 में स्थापित किया गया था।
इसके अतिरिक्त इसरो ने 2012 में इमेजिंग सेटेलाइट वन को लांच किया था। इसरो द्वारा चंद्रमा का अवलोकन करने वाला चंद्रयान -1 साल 2008 में लांच हुआ। 2013 में मार्स आर्बिटर मिशन के सफल प्रक्षेपण द्वारा इसरो ने दुनिया भर में खूब ख्याति अर्जित की। इसरो द्वारा समय-समय पर विकसित किए गए कुछ खास प्रक्षेपण यान इस प्रकार हैं –
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान
- भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान
- संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान
- भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क 3
इसरो के नए प्रोग्राम अथवा योजनाएं: आने वाले कुछ वर्षों में इसरो द्वारा कुछ नए प्रोग्राम शुरू किए जाने वाले हैं जिसमें से कुछ इस प्रकार है
- आने वाले सालों में इसरो द्वारा इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी की जा सकती है इसके साथ ही भारत अपना पहला सूर्य के सोलर को रोना अध्ययन के लिए आदित्य L1 भेजने का प्रबंध कर रहा है।
- 2022 में NISAR उपग्रह लॉन्च करने का फैसला लिया गया, जो कि एक राडर उपग्रह है।
- साल 2024 में भारत अपना दूसरा उपग्रह लांच करेगा जो विशेष तौर पर मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा जाएगा।
- साल 2025 में शुक्र के अध्ययन के लिए इसरो अपना shukrayaan-1 आर्बिटर लांच करेगा।
निष्कर्ष: इसरो ने पूरी दुनिया में एक सफल मुकाम हासिल कर लिया है। अपने सफल अंतरिक्ष परियोजनाओं के तहत इसरो ने दुनिया भर में ख्याति अर्जित की है। पिछले दशकों में भारत को उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए अमेरिका और रूस जैसे देशों का सहारा लेना पड़ता था परंतु आज भारत स्वयं अमेरिका और रूस जैसे कई देशों के उपग्रहों को अपने प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित करता है। जो कि हमारे भारत देश के लिए बेहद गर्व की बात है। इसरो भारत और प्रत्येक भारतीय के लिए सम्मान की बात है।