नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर निबंध….

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भारत में नदियों का महत्व प्राचीनकाल से भी पुराना है। नदियों को पूजे जाने वाले भारत में नदियों का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से ‘नदियों में बढ़ते प्रदूषण’ विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। आइए जानते हैं नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर निबंध…

प्रस्तावना

जीवन की अनिवार्य स्रोत के रूप में वायु के बाद प्रथम आवश्यकता जल की ही होती है। जल को जीवन कहा जाता है। जल का शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी सदानीरा नदियां हैं। फिर भी हम देते हैं कि बड़े बड़े नगरों के गंदे नाले तथा सीवरों को नदियों से जोड़ दिया जाता है।

विभिन्न औद्योगिक व घरेलू स्त्रोतों से नदियों का अन्य जल स्रोतों में दिनोंदिन प्रदूषण पनपता जा रहा है। नदियों में जानवरों को नहलाना, मनुष्य एवं जानवरों के मृत शरीर को जल में प्रवाहित करना आदि ने नदियों में प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की ही।

नदी में बढ़ते प्रदूषण से हानियां

निरंतर बढ़ती हुई मानव जनसंख्या, वनों के विनाश तथा औद्योगिकरण में विश्व के सम्मुख प्रदूषण की समस्या पैदा कर दी है। कारखानों से निकलते विषैले कचरे के नदियों में बहाव से आजमाना जीवन समस्या ग्रस्त हो गया है। नदियों के पानी से शारीरिक रूप से विभिन्न बीमारियां जन्म लेती हैं।

गंदे पानी के प्रयोग से डायरिया, मलेरिया, पेट से जुड़ी समस्याएं मानव शरीर में उत्पन्न होने लगती है।मनुष्य के साथ साथ ही अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। जानवरों तथा पशु पक्षियों को भी इस दूषित पानी से गहरा आघात पहुंचता है। उनका जीवन खतरे में पहुंच जाता है।

नदियों में बढ़ते प्रदूषण के कारण

भारत में नदियों में बढ़ते प्रदूषण का एक अहम कारण है शहरीकरण तथा अनियंत्रित दर। पिछले कुछ समय में बढ़ते शहरीकरण से देश की नदियों पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। नदियों के पास बसते अधिक संख्या में गांव तथा देहात के कारण नदियों के प्रदूषण की समस्या बढ़ती गई है।


इसके अलावा नदियों का पानी औद्योगिक कार्यों तथा घरेलू कार्यों में अधिक इस्तेमाल किया जाता है। जिसके तहत नदियों का 80% पानी खराब होता है। अधिकतर पानी का ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है ऐसे में जमीन की स्तर पर बहने वाला ताज़ा पानी भी प्रदूषित होता है।

इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्र में अनुचित गतिविधियां, जहाजों से होने वाला तेल का स्राव, ग्लोबल वार्मिंग, सामाजिक तथा धार्मिक रीति रिवाजों के अन्तर्गत शव नदियों में बहाना, नहाना आदि। कचरा फेंकना, एसिड रेन इत्यादि नदियों में बढ़ते प्रदूषण का कारण हैं।

नदियों में प्रदूषण का समाधान

नदियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए औद्योगिक संस्थानों में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि व्यर्थ पदार्थों एवं जल को उपचारित करके कि बाहर निकाला जाए। इसके साथ ही इन्हें जल स्त्रोतों से मिलने से रोका जाना चाहिए।

इसके साथ ही नदियों के किनारे बसने वाले स्थानीय लोगों में नदियों में साबुन से कपड़े धोने, कूड़ा कचरा फैलाने से रोकना चाहिए। इसके लिए स्थानीय लोगों में प्रदूषण रोकथाम को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

हालांकि सरकार द्वारा नदियों में प्रदूषण को रोकने व समुचित संरक्षण के लिए कई सफल प्रयास किया है। नमामि गंगे नाम की कई योजनाएं मोदी सरकार द्वारा चलाई गई हैं। लेकिन हम सभी का उत्तरदायित्व है कि नदियों में बढ़ते इस प्रदूषन के खतरों के प्रति सभी का सचेत होना अनिवार्य है।

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