हिमालय पर निबंध

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भारत का मुकुट हिमालय पर्वत की व्याख्या महान है। आज हम अपने लेख के माध्यम से भारत के इस महान हिमालय पर्वत के विषय में निबंध प्रस्तुत करने वाले हैं। इस निबंध के जरिए आपको हिमालय पर्वत की विशेषताओं और भारतवासियों के लिए दी हुई सेवाओं का अद्भुत ज्ञान मिलेगा। तो आइए जानें, हिमालय पर्वत पर निबंध….

प्रस्तावना

मेरे नगपति! मेरे विशाल, साकार दिव्य गौरव विराट,
पौरुष के पूँजीभूत ज्वाल, मेरी जननी के हिम किरीट,,
मेरे भारत के दिव्य भाल । मेरे नगपति मेरे विशाल।

रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित यह पंक्तियां हिमालय के गौरव को प्रकट करता है। हर भाषा के लेखक/ कवियों ने अपने अपने अनुसार हिमालय पर्वत की व्याख्या की है। हिमालय पर्वत का अर्थ यदि शब्दों से समझा जाएं तो हिमालय दो शब्दो से मिलकर बना है – हिम + आलय। हिम का अर्थ होता है बर्फ तथा आलय का अर्थ है घर। इस तरह हिमालय को बर्फ का घर कहा जाता हैं। दुनियां के समस्त पर्वतों में आकार के लिहाज से हिमालय पर्वत श्रेणी सबसे बड़ी हैं।

हिमालय का भूगोल

विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ पाई जाती हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 8848.86 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं को शिवालिक कहा जाता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियां- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 किमी की लम्बाई में फैली हैं। इसके अलावा हिमालय सात देशों की सीमाओं में फैला हुआ है।

हिमालय की विविधता

हिमालय की पवित्रता और महत्ता का वर्णन हमारे पुराणों में विस्तार से हुआ है। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने हिमालय को ऊँचा, सुख, शीतलता, सन्तोष का देने वाला तथा मणियों और रत्नों का भंडार कहा है।

पर्वतराज हिमालय रत्न निधि भी है। इसके पर्वतों में अनके दिव्य-मणियों के भंडार सुरक्षित हैं। इसके घने वनों में देवदार, चीड़, बांस, बुरांस, भोज पत्र आदि के अनेक प्रकार के वृक्ष तथा अनेक प्रकार की दिव्य औषधियाँ है, जो जीवनदायिनी हैं। हिमालय के ही वनों में अनेक प्रकार के पशु सिंह, व्याघ्र, हाथी, गैंडे, साँभर, चैवरगाय, नील गाय, कस्तूरी मृग आदि विचरण करते हैं।

हिमालय पर्वत की महत्वता

  1. हिमालय पर्वत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली गर्मियों की मानसूनी हवाओं को रोकने में बाधा उत्पन्न करते है। जिससे भारत में काफ़ी भारी मात्रा में वर्षा होती है।
  2. हिमालय पर्वत के कुछ ऐसे स्थान है जहां जल विद्युत का उत्पादन भी किया जाता है।
  3. हिमालय पर्वत वन संपदा का भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इन वनों से हमें कुछ उपयोगी इमारती लकड़ी, लकड़ी, लाख, गोंद, जड़ी-बूटी और औद्योगिक कच्चा माल  आदि  प्राप्त होता है। 
  4. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के हिमाचल क्षेत्र में सीसा, तांबा, निकल, जस्ता, चांदी, सोना,  मैग्नेसाइट, चूना पत्थर, रत्न आदि शामिल होते है।
  5. यहाँ पर सड़कों की कमी और हिमाचल पर्वत की ऊँची और नीची ढलान होने के कारण खनिज संसाधनों के दोहन में यह बड़ी रुकवाट का कारण बनते है।

उपसंहार

हिमालय से केवल कृषि योग्य ही नहीं अपितु भूमि, रोजगार आदि भी मिलता है। अनेक जंगली जानवरों को रहने के आवास स्थल भी मिलता है।  वस्तुतः हिमालय देवभूमि है, भारत का गौरव है, भारतीय संस्कृति का मेरुदंड हैं, और तपस्वियों के तपोभूमि है। हम इसे प्रणाम करते हैं।

अस्त्युन्तस्यां दिशिदेवतात्मा
हिमालयो नाम नगाधिराजः ।
पूर्वापरौ तोयनिधीऽवगाय
स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः……कविराज कालिदास

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