गुरु पूर्णिमा पर निबंध

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गुरु को भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है। गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म के लोग ही नहीं बल्कि जैन, बौद्ध आदि धर्म भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। बता दें, इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022, बुधवार के दिन है। गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं? इसका क्या उद्देश्य हैं आदि के बारे में इस लेख में जानेंगे। आज हम इस आर्टिकल में गुरु पूर्णिमा पर निबंध के बारे में बात करेंगे।

हिन्दू धर्म के अनुसार गुरु पूर्णिमा

बृहस्पति देव सभी देवताओं और ग्रहों के गुरु हैं। एक तरह माता पिता हमें संस्कार देते हैं, तो दूसरी तरफ गुरु हमें ज्ञान देता है। गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है। गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन सबसे लंबा हिन्दू धर्म ग्रन्थ महाभारत के रचियता गुरु वेद व्यास जी का जन्म भी हुआ था, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार गुरू पूर्णिमा

कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपने सात अनुयायियों को योग का ज्ञान दिया, और इस तरह एक गुरु बन गए।

बौद्ध धर्म के अनुसार गुरू पूर्णिमा

यह त्योहार बुद्ध को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने धर्म की नींव रखी। बौद्धों का मानना ​​​​है कि इस पूर्णिमा के दिन, बुद्ध ने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उत्तर प्रदेश के सारनाथ शहर में अपना पहला उपदेश दिया था। तभी से उनकी पूजा के लिए गुरु पूर्णिमा के पर्व को चुना गया है।

कैसे मानते है गुरु पूर्णिमा

गुरु को देवता तुल्य माना गया है। इसलिए गुरु को भगवान विष्णु, भगवान शंकर एवं भगवान ब्रह्मा के समान तुल्य माना गया है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। अर्थात लोगों का मानना है इस दिन पूजा करने से कोई भी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस दिन का लोगों को उत्सुकता से इंतज़ार रहता है क्योंकि यह दिन मुहूर्त के लिए अथवा कोई नया काम शुरू करने के लिए बहुत खास होता है। इस दिन घरों और मंदिरो में पूजा पाठ होती है तथा गुरु अपने शिष्यों की सफलता एवं उज्जवल भविष्य में अपना सहयोग देते है। हर एक गुरु को अपना शिष्य की उच्चतम शिखर तक जाये, यह उसके गुरु के लिए गर्व की बात होती है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि

इस दिन गुरुओं की पूजा करने का विशेष महत्व है तो आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि। इस दिन सबसे पहले उठकर स्नान करें इसके बाद साफ कपड़े पहने और फिर अपने घर के मंदिर में भगवान को प्रणाम करते हुए उन्हें फूल अर्पित करें और फिर सभी का तिलक करें। इसके बाद अपने गुरु के घर जाएं और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद करें।

इस साल क्यों ख़ास है गुरु पूर्णिमा

इस साल पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह शुभ स्थिति में हैं और इन ग्रहों की शुभ स्थिति को देखते हुए गुरु पूर्णिमा पर रुचक, हंस, शश और भद्रा नाम के चार योग बन रहे हैं। इन सभी के साथ इस दिन बुधादित्य योग भी बन रहा है। गुरु पूर्णिमा के दिन 4 ग्रहों का ये शुभ संयोग सभी के लिए ख़ास है और जीवन में बहुत से बदलाव लेकर आएगा। इन सभी योगों की वजह से इस साल गुरु पूर्णिमा को हर बार से खास बताया जा रहा है।

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