शैक्षिक भ्रमण पर निबंध

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छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कहीं अलग जगह जैसे नैचर, हिस्टोरिकल प्लेस आदि जगह भ्रमण के तौर पर ले जाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों के मानसिक विकास के साथ-साथ नई-नई चीज़े सीखने को मिलती हैं, जिससे वह शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वास्थ्य रहते हैं। यह ही कारण है कि राज्य के अधिकतर शिक्षा संस्थान गर्मियों या फिर सर्दियों की छुट्टियों में बच्चों को शैक्षिक यात्राओं पर ले जाते हैं। आज हम इस लेख में शैक्षिक भ्रमण पर निबंध लिखेंगे। साथ ही जानेंगे शैक्षिक भ्रमण के सिद्धांत, प्रकार, महत्व आदि के बारे में… चलिए शुरुआत करते है।

शैक्षिक भ्रमण

छात्रों को गर्मियों या फिर सर्दियों में शैक्षिक भ्रमण पर स्कूल द्वारा ले जाया जाता है, जिससे छात्र अपने व्यक्तिगत अनुभवों से रोजाना से ज्यादा परिचित होते है। शैक्षिक भ्रमण के जरिए से छात्र में इतिहास, विज्ञान शिष्टाचार और प्रकृति को व्यक्तिगत रूप से जान पाते है। साथ ही शैक्षिक भ्रमण से बच्चों को सामाजिक प्रशिक्षण का अवसर भी प्राप्त होता है। कहा जाता है कि छात्रों के लिए भ्रमण एक शिक्षा का अंग है, जबकि बड़े लोगों को भ्रमण से अनुभव मिलता है।

शैक्षिक भ्रमण के सिद्धांत

  1. शैक्षिक भ्रमण पूरी तरह से मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है।
  2. शैक्षिक भ्रमण से इन्द्रियों (आंख, कान, नाक आदि) द्वारा छात्रों को ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे छात्रों में सुगमता रहती है।
  3. शैक्षिक भ्रमण सामाजिक सिद्धांतों पर भी आधारित होता है। इससे छात्रों में सहयोगात्मक भावनाएं विकासित होती है।
  4. शैक्षिक भ्रमण से छात्रों में निरीक्षण, कल्पना आदि शक्ति का विकास होता है।
  5. शैक्षिक भ्रमण से छात्रों को स्पष्ट और सच्चे अनुभव द्वारा ज्ञान मिलता है।

शैक्षिक भ्रमण के प्रकार

  1. लघु शैक्षिक भ्रमण
  2. सामान्य शैक्षिक भ्रमण
  3. विस्तृत शैक्षिक भ्रमण

लघु शैक्षिक भ्रमण

छोटी-छोटी क्लास के छात्रों के लिए लघु शैक्षिक भ्रमण करवाया जाता है। इसमें कुछ घंटे के लिए छात्रों को बाहर घुमाने के लिए ले जाया जाता है।

सामान्य शैक्षिक भ्रमण

इस भ्रमण में बड़ी क्लास के छात्रों को भ्रमण के लिए ले जाया जाता है। इसकी अवधि आधे या फिर एक दिन की रहती है।

विस्तृत शैक्षिक भ्रमण

यह भ्रमण काफी बड़े क्लास के छात्रों के लिए रहता है। इस भ्रमण की अवधि कम से कम 3 दिन और ज्यादा से ज्यादा 7 दिन की रहती है।

शैक्षिक भ्रमण का महत्व

शैक्षिक भ्रमण के कई लाभ है, जो कि निम्नलिखित है:-

  1. छात्रों के ज्ञान में वृद्धि
  2. व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि
  3. स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य
  4. दृष्टिकोण विस्तृत होता है
  5. प्रकृति से जुड़ते है

छात्रों के ज्ञान में वृद्धि

शैक्षिक भ्रमण से किताबी ज्ञान में वृद्धि होती है। इससे इतिहास की वास्तविकिता की समझ होती है। साथ ही भूगोलिक समझ भी बढ़ती है।

व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि

शैक्षिक भ्रमण से व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि मानवता का सही अध्ययन मनुष्यों के अध्ययन से ही हो सकता है। ऐसे में शैक्षिक भ्रमण काफी लाभदायक साबति हो सकता है।

स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य

छात्रों के मानसिक स्वास्थ का विकास होना बेहद जरूरी है। ऐसे में छात्र जब शैक्षिक भ्रमण पर जाते है, तब उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य काफी अच्छा रहता है।

दृष्टिकोण विस्तृत होता है

शैक्षिक भ्रमण से छात्रों का दृष्टिकोण विस्तृत होने के साथ-साथ विचारों और दृष्टिकोण में उदारता आती है। इससे छात्रों के मन में मानवता के प्रति सहानुभूति उत्पन्न होती है।

प्रकृति से जुड़ते है

शैक्षिक भ्रमण से छात्र प्रकृति को अच्छे से समझ पाते है। छात्र पुस्तकों में अनेक बार अपने वातावरण, प्रकृति के बारे पढ़ता है, जिससे वह काफी प्रभावित होता है। ऐसे में वह भ्रमण के दौरान प्रकृति से ज्यादा जुड़ पाते है।

शैक्षिक भ्रमण की कमियां

  1. यह काफी खर्चीला हो जाता है।
  2. इससे छात्र विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के शिक्षण का ज्ञान अच्छे से कर पाता है, लेकिन अन्य विषय में इसका उपयोग ज्यादा नहीं है।
  3. शैक्षिक भ्रमण द्वारा ही स्टूडेट्स में अनुशासन के तहत नेता बनते है।
  4. शैक्षिक भ्रमण ज्यादा समय का रहता है, जिससे समय और पैसे कुछ ज्यादा ही खर्च होते है।
  5. शैक्षिक भ्रमण में छात्र घुमने में इतना खो जाता है कि भ्रमण से वापस आने में पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल रहता है।

शैक्षिक भ्रमण भारत सरकार दे रही बढ़ावा

सरकार ने ‘अपने देश को जानो’ योजना शुरू की है, इसके तहत हजारों छात्र और शिक्षक हर साल देश के चारों ओर शिक्षा के भिक्षु के रूप में शैक्षिक भ्रमण करते हैं।

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