जलवायु एक ऐसा मुद्दा है, जो कि धरती के हर व्यक्ति से जुड़ा है। अनुकूल जलवायु के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है, मगर मानवीय और कुछ प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जलवायु की दशा बदल रही है। आज हम इस लेख के जरिए जलवायु परिवर्तन पर ही निबंध लिखेंगे…
जलवायु
एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। सर्दियों के 3-4 महीनों को छोड़ दें, तो बचा समय जलवायु गर्म ही रहती है। किसी क्षेत्र की जलवायु उसकी स्थिति पर निर्भर करती है। जलवायु परिवर्तन बीते कई सालों से बहुत ही गंभीर समस्या बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन के कारण ही जल प्रणाली पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और वर्षा अनियंत्रित होती जा रही है। यह सारी परिस्थितियां हमारे पर्यावरण में हो रहे असंतुलन को बढ़ावा दे रही है, जिससे वातावरण बहुत बुरी तरीके से प्रभावित हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन
किसी क्षेत्र की जलवायु में समय के साथ-साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है और जलवायु परिवर्तन उन्हीं औसत परिस्थितियों में बदलाव है। 19वीं सदी की तुलना में धरती का तापमान लगभग 1.2 सेल्सियस अधिक बढ़ चुका है और वातावरण में CO2 की मात्रा में भी 50% तक वृद्धि हुई है।
जलवायु परिवर्तन के कारण
जलवायु परिवर्तन के कारण दो प्रकार के हैं…
- प्राकृतिक
- मानवीय
प्राकृतिक कारण
ज्वालामुखी, महासागरीय धाराएं, महाद्वीपों के अलगाव, पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होना, मौसम में परिवर्तन होना, ग्लेशियर का खिसकना, प्लेट टेक्टोनिक्स आदि कारण है।
मानवीय कारण
ग्रीनहाउस प्रभाव गैसें, जीवाश्म ईंधन का प्रयोग आदि मानवीय कारण है।
जलवायु परिवर्तन के परिणाम
• उच्च तापमान
• समुद्र जल के स्तर में वृद्धि
• रोगों का प्रसार और आर्थिक नुकसान
• पूरे विश्व में हो रही आपदाओं का सबसे बढ़ा कारण है जलवायु परिवर्तन।
• मौसम में जल्दी-जल्दी और खतरनाक बदलाव होना।
• वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2019 में नए रिकॉर्ड तक पहुंच गया।
• बाढ़, सूखा, झुलसाने वाली लू, जंगल में आग और क्षेत्रीय चक्रवातों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
• वातावरण के प्रभाव के कारण पेड़ों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है, जो कि हमारे लिए बहुत ही बड़ा संकट है।
जलवायु परिवर्तन को कम करने के फायदे
• समुद्री जल-स्तर की वृद्धि दर में कमी।
• जंगल और पेड़ों की सुरक्षा से पर्यवरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
• यातायात के लिए सावर्जनिक साधनों के इस्तमाल, व्यक्तिगत वाहनों के कम इस्तमाल से प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
• बिजली से चलने वाले उपकरण फ्रिज, टीवी, वास्गिंग मशीन, मोबाइल और अदि का कम इस्तमाल से भी कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
जलवायु का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
पर्यावरण के सभी अंगों में जलवायु मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु में उष्णता के कारण श्वास तथा हृदय सम्बन्धी बीमारियों में वृद्धि होगी। दुनिया के विकासशील देशों में दस्त, पेचिश, हैजा, क्षयरोग, पीत ज्वर तथा मियादी बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों की लगातार वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त फाइलेरिया तथा चिकनगुनिया का भी प्रकोप बढ़ेगा।
मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते एक बड़ी आबादी विस्थापित होगी जो कि ‘पर्यावरणीय शरणार्थी’ कहलाएगी। स्वास्थ्य सम्बंधी और भी समस्याएं पैदा होंगी। जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप न कि रोगाणुओं में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि आने वाली नई प्रजातियों की भी उत्पत्ति ऐसी ही होगी, जिसके परिणामस्वरूप फसलों की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।