प्रस्तावना
भारतवर्ष के बालक की इस देश के उज्ज्वल भविष्य कहलाते हैं। यही कारण है कि बच्चों का विकास और उनके साथ उचित व्यवहार करना अति आवश्यक माना जाता है। हर साल भारत में बाल दिवस मनाया जाता है। जो कि मुख्य रूप से बच्चों के लिए ही मनाया जाता है। इस दिवस को पंडित जवाहरलाल नेहरु की जयंती के दिन मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। साथ ही उन्हें बच्चों से भी बेहद लगाव था, यही कारण है कि उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी पुकारा जाता था।
बाल दिवस की स्थापना कब हुई?
भारत में मनाए जाने वाले बाल दिवस की स्थापना की बात करें तो 1950 में बाल कल्याण के लिए विश्व सम्मेलन में बाल दिवस मनाने का प्रथम प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव के बाद से 1 जून 1950 से बाल दिवस मनाए जाने की शुरुआत हो गई। इसके अतिरिक्त 1954 में बाल दिवस मनाने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बाल अधिकार के घोषणापत्र को सन 1959 में स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद से देश भर में बाल दिवस मनाने की शुरुआत की गई।
हालांकि दुनिया भर में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है।लेकिन भारत में 14 नवंबर के दिन बाल दिवस मनाया जाता है क्योंकि इस दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिवस मनाया जाता है। चाचा नेहरू यानि पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से अत्यंत प्रेम था यही कारण है कि उनके जन्मदिवस पर विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु बाल दिवस मनाने के लिए 14 नवंबर का दिन चयनित किया गया।
बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
संयुक्त राष्ट्रीय संघ और बाल कल्याण संघ द्वारा बच्चों के सर्वागीण विकास और उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए बाल दिवस के मनाए जाने की महत्वता को समझा गया। विभिन्न देशों में अपनी महत्वता और मान्यताओं के अनुसार बाल दिवस को अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। लेकिन सभी जगह बाल दिवस मनाने का अर्थ एक ही होता है। जिसका अर्थ बाल अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे बढ़ना और लोगों में बाल विकास के विषय के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?
बाल दिवस का आयोजन विभिन्न विद्यालयों और संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इस दिवस पर विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें मुख्य रुप से खेल प्रतियोगिताएं, प्रश्न उत्तर प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिताएं, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आदि शामिल होती हैं। अधिकतर बच्चे फैंसी ड्रेस की प्रतियोगिताओं में चाचा नेहरू की वेशभूषा धारण करके प्रतिभाग करते हैं। बाल दिवस के दिन अध्यापकों और वरिष्ठ जनों द्वारा अपने बच्चों को उनके अधिकारों से अवगत कराया जाता है और उनके कर्यव्यों को भी बताया जाता है। इस दिवस को मनाने से बच्चों में एक नई ऊर्जा जागृत होती है और वह एक सजग व्यक्ति बनने के लिए तैयार होते हैं।
निष्कर्ष
वर्तमान समय के बच्चे ही हमारे देश के आने वाले भविष्य कहलाते हैं। इन्हीं पर ही देश की आधारशिला टिकी होती है। यही कारण है कि बच्चों के लालन पोषण पर ध्यान दिया जाना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक बच्चे को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का उचित ज्ञान होना चाहिए। अपने देश के प्रति लगाव होना चाहिए और समर्पण की भावना, देशभक्ति की भावना से उत्पन्न होना चाहिए। बच्चे के अंदर इन सभी भावनाओं का समावेश करने के लिए ही बाल दिवस को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका के साथ मनाया जाना आवश्यक है।