चार धाम की यात्रा पर निबंध

2.4/5 - (5 votes)

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति चारधामों की यात्रा करता है उसके समस्त पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है, आज हम अपने लेख के माध्यम से चार धाम यात्रा विषय पर ही निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

तो आइए जानते है, चार धाम यात्रा विषय पर संशिप्त निबंध…

प्रस्तावना

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में चार धाम स्थापित हैं। जिनकी विशेष मान्यता है। इन समस्त चारों स्थल को काफी पवित्र माना जाता है। हिन्दू धर्म में में चारों धाम की यात्रा का विशेष महत्व है। इन चारों धाम की यात्रा करने से श्रद्धालुओं के सभी पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

चार धाम यात्रा का आरंभ

 कहा जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ की खोज की थी। यह भी बताया जाता है कि भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति यहां तप्त कुंड के पास एक गुफा में थी और 16वीं सदी में गढ़वाल के एक राजा ने इसे मौजूदा मंदिर में रखा था। जबकि केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। स्थानीय लोग चारों धामों में श्रद्धा पूर्वक जाते थे, लेकिन 1950 के दशक में यहां धार्मिक पर्यटन के लिहाज से लोगों का आना जाना बढ़ गया। 1962 के चीन युद्ध के चलते क्षेत्र में परिवहन की व्यवस्था में सुधार हुआ तो चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ने लगी। आज यहां लाखों की तादाद में लोग दर्शन करने आते हैं।

चार धाम यात्रा

दरअसल, उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा को भी चार धाम की यात्रा कहा जाता रहा है जबकि इन चारों की यात्रा करना तो एक धाम की यात्रा ही कहलाती है। वहीं इसके साथ ही इन्हें छोटा चार धाम कहा जाता है। लेकिन भारत के प्रमुख चार धाम निम्नलिखित हैं – बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर, द्वारिकापुरी। चूंकि भारत की यह प्रमुख चार धाम की यात्रा करना अत्यंत कठिन है। इसीलिए छोटा चार धाम यात्रा को भी विशेष महत्व प्रदान किया गया है। जो लोग छोटा चार धाम यात्रा कर लेते हैं उन्हें भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

चार धाम यात्रा का महत्व

सनातन धर्म में चारो धामों को बहुत ही पवित्र और मोक्ष प्रदाता बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो लोग चार धाम के दर्शन करने में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि वे जीवन-मृत्यु के बंधन से भी मुक्‍त हो जाते हैं। बद्रीनाथ के विषय में तो यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति बद्रिनाथ की यात्रा कर लेता है, उसे जीवन में कभी माता के गर्भ में नहीं आना पड़ता।
चारों दिशाओं में चारों धामों की यात्रा करने वाले व्यक्ति भारत की अखंडता एवं संस्कृति को भी नजदीक से देख पाता है। चारों धाम की यात्रा भगवान और भक्तों को अत्यंत करीब लेकर आती है। इससे व्यक्ति का हर दुख दूर होता है और मन को अत्यंत शांति मिलती है।

निष्कर्ष

हर साल लाखों श्रद्धालु छोटा चार धाम की यात्रा करने जाते हैं। वहीं अधिकतर भारत के प्रमुख चार धामों की यात्रा करने में भी सफल रहते हैं। हालांकि चार धाम की यात्रा में धन खर्च भी होता है। साथ ही जब आपका स्वास्थ्य भी उत्तम रह पाता है तभी आप चार धाम की यात्रा को सफल रूप से पूरा कर पाते हैं। लेकिन यदि आपके मन में सच्ची श्रद्धा और भावना है तो भगवान की आपका साथ देते हैं और आप निसंदेह चार धाम की यात्रा को पूरा करने में सफल हो सकते हैं।

Leave a Comment