लॉकडॉउन के नुकसान निबंध

विश्वभर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडॉउन की व्यवस्था की शुरआत की गई। दुनियाभर से करोड़ों जनसंख्या में लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए। हालांकि इस भयंकर महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन की व्यवस्था आवश्यक थी, परंतु इस व्यवस्था ने मानव समाज को बेहद प्रभावित किया है।

आज इस लेख के माध्यम से हम आपके लिए लॉकडॉउन के नुक़सान विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के माध्यम से आपको लॉकडॉउन का मानव जीवन पर प्रभाव तथा नुक़सान बताएं जाएंगे….

प्रस्तावना: लॉकडॉउन एक आपातकालीन व्यवस्था है, जो कि किसी भयंकर महामारी या आपदा के समय किसी भी देश की सरकार द्वारा लागू किया जाता है. सरकार द्वारा जिन भी क्षेत्रों में लॉकडॉउन लगाने का आदेश जारी किया जाता है, उन क्षेत्रों के लोगों को घर से अनावश्यक तौर से निकलने की अनुमति नहीं दी जाती। सड़कों पर बेफिजूल निकलने पर रोक लगा दी जाती है। कोरोना महामारी के दौरान इसी प्रकार दुनियाभर में लॉकडॉउन की प्रक्रिया शुरू की गई।

लॉकडॉउन लगाने का कारण: सर्वप्रथम चीन के वुहान शहर से शुरू होने वाले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडॉउन के विचार को स्थापित किया। चूंकि कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से तेज़ी से फैलता है। इस वायरस का संक्रमण इतनी तेजी से फैलना शुरू हुआ कि लाखों की संख्या में लोगों की जान चली गई। ऐसी भयावह परिस्थितियों को देखते हुए विभिन्न देश की सरकारों ने अपने अपने देश में लॉकडॉउन के सख्त नियमों को लागू कर दिया।

लॉकडॉउन का मानव जीवन पर प्रभाव: यह कहना अनुचित होगा कि लॉकडॉउन के कारण मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ा है। क्योंकि लॉकडॉउन एक ऐसी व्यवस्था है जो हमें महामारी से बचाने के लिए जरूरी रही है। हालांकि लॉकडॉउन ने दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को आहत किया है। इस बीमारी ने लाखों की संख्या में लोगों के परिजन जनो तथा प्रियजनों को छीन लिया। प्राइवेट क्षेत्र में कार्यरत अधिकतर लोगों की नौकरी चली गई। इसके साथ ही विद्यार्थियों की शिक्षा की भी हानि भी अकथनीय है।

लॉकडॉउन के नुक़सान: लॉकडॉउन ने देश के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। आर्थिक स्तर से लेकर सामाजिक रूप तक लोगों को बेहद हानियों का सामना करना पड़ा। देश की आर्थिक स्थिति की मीनार इन दिनों कमजोर पड़ गई। लोगों ने परेशान होकर लॉकडॉउन की व्यवस्था का भी खुलकर विरोध किया। रोजमर्रा के काम करने वाले लोगों के लिए लॉकडॉउन लगभग आपदा के समान रहा। मजदूरों की हालत भी कमजोर हो गई। विद्यार्थियों की शिक्षा पर भी अधिक असर पड़ा। एक ओर शिक्षा के लिए ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम शुरू किया गया तो वहीं दूसरी ओर गरीब छात्र इससे वंचित रहें।

निष्कर्ष: यद्यपि कोरोना जैसी भयंकर महामारी के संक्रमण की चैन को रोकने के लिए लॉकडॉउन लगाना आवश्यक था, परंतु कुछ नियमों एवं मापदंडों के साथ इस व्यवस्था को नुक़सान दायक होने से बचाया जा सकता था।

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