बॉक्सिंग या मुक्केबाजी खेल पर निबंध

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बॉक्सिंग या मुक्केबाजी खेल पर निबंध-boxing par nibandh

अन्तर्राष्ट्रीय खेलों की श्रेणी में आने वाला बॉक्सिंग अथवा मुक्केबाजी का खेल एक मार्शल कला है। आधुनिक समय में दुनिया के अधिकतर देशों में इस खेल का आयोजन बेहद ही शानदार तरीके से किया जाता है। जिसमें से ओलंपिक के खेलों में भी मुक्केबाजी का खेल होता है। सभी देशों के प्रतिभागी इस खेल में भी शामिल होते हैं तथा अपने देश की ओर से खेल में अपना परचम लहराते हैं। भारत का नाम भी मुक्केबाजी के खेल में बेहद आगे हैं।

आज हम आपके लिए बॉक्सिंग या मुक्केबाजी खेल के विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। जिसमें आपको मुक्केबाजी खेल से संबंधित विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त विद्यार्थी इस निबंध का प्रयोग अपने परीक्षाओं में आने वाले खेल संबंधित विषयों पर निबंध लिखने के लिए भी कर सकते हैं।

बॉक्सिंग अथवा मुक्केबाजी खेल पर निबंध

प्रस्तावना: मुक्केबाजी एक ऐसा खेल है जिसमें दो खिलाड़ी हाथों में दस्ताने पहनकर एक दूसरे को मुक्के से मारते हैं। जब यह लड़ाई अखाड़े भी कराई जाती है तो यह एक खेल के रूप में बॉक्सिंग अथवा मुक्केबाजी का खेल कहलाया जाता है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का खेल बन चुका है। जो कि दुनियाभर के देशों में खेला जाता है। मुक्केबाजी एक साधारण खेल है जिसमें खिलाड़ी अपने विपक्षी खिलाड़ी के कमर से ऊपर जितने मुक्के मारता है उसे उतने ही अधिक अंक प्राप्त होते हैं।

मुक्केबाजी अथवा बॉक्सिंग का इतिहास: मुक्केबाजी अथवा बॉक्सिंग खेल के इतिहास की बात करें तो तीसरी तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में सुमेरियाई नक्काशी में पहली लड़ाई प्रदर्शित हुई। इसके अलावा दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की प्राचीन मिस्र की नक्काशी में प्रारंभिक योद्धा तथा दर्शक, दोनों ही चित्रित होते हैं। इस प्रकार दोनों ही चित्रण मुट्ठी वाले खेल को प्रदर्शित करते हैं। इसके साथ ही किसी भी प्रकार के दस्ताने पहनकर लड़ी गई पहली लड़ाई का पहला प्रमाण मिनोआई क्रीट में मिलता है।

प्राचीन रोम में मुक्केबाजी का एथलेटिक रूप प्राप्त हुआ था। जोकि पूरे रोमन विश्व में लोकप्रिय बना रहा। लेकिन रोमन साम्राज्य के पतन के बाद प्राचीन काल में लड़े गए मुट्ठी वाले खेल के लेख लुप्त हो गए। 1681 में इंग्लैंड में खुली-अंगुलियों वाली लड़ाई का पहला लेखबद्ध विवरण लंडन प्रोटेस्टंट मर्क्युरी में प्रदर्शित हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक मुक्केबाजी खेल को अन्तर्राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त होने लगा। हालांकि इसके लिए खिलाड़ियों को कई संघर्ष करने पड़े।

मुक्केबाजी खेल के नियम: मुक्केबाजी खेल में अखाड़े की बेहद ही अहम भूमिका है। यह अखाड़ा कम से कम 3.66 वर्ग मीटर/14 फीट वर्ग और अधिक से अधिक 6.10 वर्ग मीटर/20 फीट वर्ग तक का होता है। इस अखाड़े के चारों ओर रस्सी बंधी होती है जो कि खिलाड़ियों की सुरक्षा हेतु बांधी जाती है।

यह खेल दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है। मुक्केबाजी में तीन – मिनटों के चक्र या राउंड निर्धारित किए जाते हैं। इन राउंड की संख्या खेल के दौरान है बता दी जाती है। अधिकतम इन चक्रों की संख्या 12 तक हो सकती है। प्रत्येक चक्र के मध्य एक मिनट का अंतराल दिया जाता है। जिसमें खिलाड़ी अपने कोने में प्रशिक्षक से जाकर सलाह आदि ले सकता है। खेल में रेफरी की भी अहम भूमिका है। अखाड़े अथवा रिंग के अंदर खेल के साथ साथ खिलाड़ियों पर भी नियंत्रण रेफरी द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही फाउल के नियमन करने तथा किसी खिलाड़ी को आगे खेलने में सक्षम ना समझने में खेल को रद्द अथवा रोकने का भी निर्णय रेफरी लेता है।

मुक्केबाजी खेल के उपकरण: मुक्केबाजी के खेल में अब सबसे महत्वपूर्ण है ग्लव्स यानि दस्ताने। जो कि मुक्केबाजी खेल के खिलाड़ियों द्वारा हाथ में पहने जाते हैं। क्योंकि मुक्केबाजी के खेल में मुक्के का प्रयोग किया जाता है। उसके आवरण के लिए इन दस्तानों की आवश्यकता पड़ती है। प्राचीन रोम में तो यह खेल लोहे के दस्ताने पहनकर खेला जाता था। जिस कारण खेलते समय खिलाड़ियों को गंभीर चोट के साथ साथ मृत्यु तक हो जाती थी। इन सब के बाद लोहे के दस्ताने पहनने का चलन समाप्त कर दिया गया।
खेल में दांतो व मसोड़ों तथा ठोड़ी को किसी गंभीर चोट से बचाने के लिए मुख रक्षक का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से नाॅक आउट की संभावना की कम हो जाती है।

इसके अतिरिक्त मुक्केबाजी के कौशल को बेहतर बनाने के लिए मुक्केबाज दो मुख्य पंचिंग बैग का उपयोग करते हैं। जिन्हें स्पीड बैग तथा हैवी बैग कहा जाता है। स्पीड बैग का प्रयोग प्रतिक्रियाओं तथा दोहरावपुर्ण अभ्यास के लिए किया जाता है। जबकि हैवी बैग का प्रयोग भारी हमला के अभ्यास किया जाता है

निष्कर्ष: निसंदेह मुक्केबाजी का खेल बेहद ही खतरनाक खेल है। लेकिन इसके बावजूद इस खेल की लोकप्रियता में कमी नहीं है। आधुनिक काल में यह खेल अधिकतर लोगों का लोकेप्रिय तथा पसंदीदा खेल बन चुका है। मुक्केबाजी खेल चीन में भी खेला जाता है। जहां इसे मार्शियल आर्ट के नाम से जाना जाता है। मुक्केबाजी खेल में भारत भी सदैव अग्रणी रहा है। जिसमें से कुछ प्रमुख मुक्केबाज खिलाड़ी इस प्रकार हैं – डिंको सिंह, मैरी कॉम, सरिता देवी तथा विजेंद्र सिंह आदि। इन्हीं के माध्यम से आज बॉक्सिंग अथवा मुक्केबाजी खेल की लोकप्रियता का स्तर भारत में भी बढ़ता जा रहा है।

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