समय का सदुपयोग पर निबंध

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समय का सदुपयोग पर निबंध
[Essay On Good Use Of Time]

…समय बड़ा बलवान होता है
समय की एक खास बात…
की, वो आपके हाथ मे होता है।
और ये आप के हाथ मे है कि
आप इसका कैसे प्रयोग करते है…

प्रस्तावना:- संसार में समय को सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन माना गया है। अतः हमें इस मूल्यवान धन अर्थात समय को व्यर्थ ही नष्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि बिता हुआ समय वापस नहीं लौट पाता। इसके विषय में एक कहावत प्रशिद्ध है “गया वक्त फिर हाथ आता नहीं, समय किसी की प्रतीक्षा नही करता।” समय का महत्व इस बात से भी स्पष्ट है कि यदि धन खो जाए तो पुनः कमाया जा सकता है। यदि स्वास्थ्य खो जाए तो उसको भी प्राप्त कर सकते है। परन्तु समय एक बार हाथ से निकल जाए तो पुनः लौट कर नही आ सकता। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करते है। वो ही जीवन मे सफल होता है।

प्रत्येक क्षण सीमित है:हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण सीमित है। हम कई कार्यो को सीमित समय पे करने की जगह समय की कीमत जाने बगेर उसे टालते जाते है और फिर पछताते है कि काश हमने ये काम उस वक्त कर दिया होता। एक कहावत भी है। “अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चूक गयी खेत” इसलिए प्रत्येक कार्य हमे सही समय पर कर लेना चाहिए। वेसे भी भगवान ने हमे जितना समय दिया है। उसे ज्यादा किसी के पास एक क्षण भी नही होता है। इसलिय हमे हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। समय का सदुपयोग करके निर्धन धनवान, निर्बल सबल, मूर्ख विद्धवान बन जाता है।

समय के सदुपयोग की विधि:समय के सदुपयोग की सबसे अच्छी विधि है। प्रत्येक कार्य को को करने के लिए उसके अनुकूल समय  तय करना तथा समय के अनुकूल कार्य को निर्धारित करना। आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आलसी मनुष्य कभी समय का सदुपयोग नही कर सकता। आलस्य उसकी उन्नति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन जाता है। आलस्य के कारण वह समय के महत्व को नही समझ पाता और समय के सदुपयोग और समय के अनुकूल चलने में असमर्थ रहता है। इसलिए आलस्य को त्याग कर समय की महत्ता पर ध्यान जरुरी है। तब ही आलस्य व्यक्ति समय के साथ चल पायेगा।

समय के सदुपयोग की कहानी:- समय के रहते प्रत्येक कार्य कर देना चाहिए ऐसा हम मानते है और ऐसा होना भी चाहिए। परंतु उससे ज्यादा ये बात है कि मनुष्य में आलस्य ज्यादा अगर हो तो, वो उसके लिए ज्यादा हानिकारक है। इससे संबंधित एक कहानी है। वो इस प्रकार है।

एक गरीब किसान था। उसके चार पुत्र थे। परंतु चारो हि पुत्र बहुत आलसी थे। किसान उनकी इस आदत से बहुत परेशान था। उसकी थोडी सी जमीन थी। जिसका काम वो अकेले ही करता रहता था। अगर उसके लड़के वो काम करवाते तो थोड़ा  से काम करते और किसी ना किसी बहाने काम को टाल कर चले जाते थे।

इस वजह से किसान का काम नही हो पाता था और हर बार की तरह किसान अपनी जमीन से जरा सा ही अन्न का उत्पन्न कर पाता था। एक बार की बात है, किसान की तबियत बहुत खराब थी और किसान को उसकी जमीन की खुदाई करनी थी। पर उसके बेटे हमेशा की तरह आलस्य कर के सोते रहते थे।

तब किसान ने अपने पुत्रों को सुधारने की सोची और अपने चारों बेटो को बुलाकर कहा पुत्रो मै आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूं, मै ये बात पहले भी कहना चाहता था। पर कह नही पाया किसान ने कहा बेटो अपनी जो जमीन है। उसके अंदर कहि पर बहुत सारा सोना गड़ा हुआ है। ये बात मुझे एक ऋषी महाराज ने बताई थी। पर उन्होंने कहा था पता नही जमीन में वो सोने का घड़ा कहा गड़ा है। तो उसके पुत्रो ने कहा पिताजी आप ने हमे ये बात पहले क्यों नही बताई तब किसान ने कहा पुत्रो मुझे भी ऋषी महाराज ने अभी ही बताया है पर में अपनी खेती की खुदाई कैसे करूँ मेरी तो तबियात ही सही नही है। तब किसान के पुत्रों के मन मे लालच आ गया और सोचने लगे कि अगर वो  सोने का घड़ा हमे मिल गया तो हम तो बहुत पैसे वाले हो जाएंगे नोकर चाकर रखेंगे और आराम से सोया करेंगे, पर किसान ने कहा उसके लिए जमीन खोद कर वो घड़ा ढूढ़ना होंगा। तब किसान के पुत्रों ने कहा हम खोदेंगे अपनी जमीन को वो भी अभी से और किसान के पुत्रों ने फावड़ा उठाया और लग गए काम पर।

कई दिन बीत जाने के बाद किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी जमीन पूरी खुद गयी पर सोने का धड़ा तो मिला ही नही। तब किसान  ने कहा बेटो सोने का घड़ा तो मिल गया है। बस तूम उसे  देख नही पा रहे हो। तब किसान ने कहा बेटो जो तुमने इतने दिन खुदाई करी उस जमीन पर अब बीज लाकर बोदो किसान के पुत्रों ने ऐसा ही करा, फिर किसान ने अपने पुत्रों को  बुलाकर  अपनी जमीन के पास ले गया वहाँ खिलखिलाती खेती को देखकर कहा देखो बेटो ये है वो सोना जब किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी हमे समझ नही आया आप क्या कह रहे हो तब किसान ने कहा बेटो ये है तुम्हारी मेहनत का सच्चा सोना अब इसको काट कर बेच दो। तब किसान के पुत्रों ने काट कर बेचकर जो पैसे उनके पास आये बो उन्होंने अपने पिताजी को दे दिया तब किसान ने उस कमाई को चार हिस्से करके अपने बेटो में बाट दिया तब किसान के पुत्रों को  उनकी गलती का एहसास हुआ उन्होंने अपने पिताजी के  पैर पकड़कर माफी मांगी और कहा हमे सब समझ आ गया आप हमसे क्या कहना चाहते थे और क्या है वो सोना और अपने किये की माफ़ी अपने पिताजी से मांगी।

तो आपने देखा आलस मनुष्य को कहि भी अपनी एक पकड़ नही बनाने देता है परंतु अगर इस आलस को हमने छोड़ा तो हमारी मेहनत का फल हमे अवश्य ही मिलता है। इसलिये हमे आलस को छोड़कर समय के साथ चलना होगा और अपनी मेहनत के वो सोने के घड़े को ढूढ़ना होगा।

समय महासपुरुषो का साथ देता है:- आप सब को तो ये बात पता ही है, कि संसार मे जितने भी महापुरुष व मेघावी व्यक्ति हुए है। उन्होंने अपने दमयवक बुद्धिमतापूर्वक सदुपयोग किया है। नेपोलियन का उदाहरण हमारे सम्मुख है। केवल पाँच मिनट ही देरी से युद्ध भूमि में पहुचने के कारण वह पराजित हो गया तथा कैद कर लिया गया। अतः हमें अपने सभी कार्य समय पर ही करना चाहिए। आज का काम कल पर नही टालना चाहिए।

उपसंहार:समय के सदुपयोग से मनुष्य के विचार गम्भीर और पवित्र होते हैं। अतः हमारा कर्तव्य है कि हम समय का पूरा-पूरा और उचित लाभ उठायें। खेल के समय खेले तथा पढने के समय पढ़े। समय  के सदुपयोग से ही जीवन मे सुख, शांति और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य जीवन की ऊंचाइयों को छू लेता है।

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