युवा वर्ग और बेकारी की समस्या

प्रस्तावना


यो तो हमारे देश मे विभिन्न प्रकार की समस्याएं है। ये समस्याये बहुत ही जटिल है। दहेज प्रथा की समस्या, सती प्रथा की समस्या ,बाल विवाह की समस्या ,मूल्य वृद्धि की समस्या आदि समस्याओं के समान बेकारी की समस्या आज एक बहुत बड़ी ज्वलंत समस्या बन गई है ।हालांकि की इस समस्या ने विश्व के अधिकांश देशों को प्रभावित किया है। तथापि हमारे देश को तो इसने नाक में दम कर रखा है। यह समस्या ने हमारे युवा वर्ग के अंतःकरण को मच-मच करके उसे इतना अशांत बना डाला है कि वह पथभ्रष्ट होने के सिवाय और कुछ नहीं कर पाता है।

स्वरूप


हमारे देश में बेकारी कि तीन स्वरूप है। अशिक्षित बेकरी,शिक्षित बेकरी ओर प्रशिक्षित बेकरी। इन तीनों प्रकार की बेकरी से पृथक प्रकार की बेकरी में एक और बेकारी है ।अर्द्ध बेकारी ।अर्द्ध बेकारी से तातपर्य उस बेकरी से है।जो कुछ समय काम करने के बाद बेकारी की श्रेणी में आते है।सबसे भिन्न ओर अदभुत बेकारी वह होती है।जिसके अंतर्गत ऐसे युवा -वर्ग आते है।जिन्हें अपनी योग्यता के अनुरूप काम नही मिला,फलतः वे ऐसी मजबूरी में काम करने लगते है।जिससे वे पूर्णरुप सन्तुष्ट नहीं होते है।

कारण


युवा बेकारी के कारण क्या है ?इसके उत्तर में मात्र इतना ही कहना समुचित है कि इसके कारण अनेक है।इसके कारणों के विषय में विचारोंको के मत एक नहीं है।कुछ विचारोंको का विचार है।कि बेरोकटोक गति से बढ़ती जनसंख्या ही इसका मुख्य कारण है।दूसरे विचारको का यह मानना है। कि जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में काम या रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाती है।इसलिए बेकारी स्वाभाविक रूप से निरंतर बढ़ती ही जा रही है ।युवा बेकारी का एक प्रमुख कारण है। शिक्षा व्यवस्था रोजगारोन्मुखी ना होना। आज की शिक्षा व्यवस्था की विडंबना यह है कि इससे युवा वर्ग डिग्री डिप्लोमा हासिल करके सेवा -पद और कार्य के अनुकूल स्वयं को योग्य सिद्ध नहीं कर पाता है।जहां तक पद स्थान की बात है तो वह यह है कि विज्ञान के प्रभाव से कंप्यूटर जैसे रोजगारपूरक आविष्कारों के फल स्वरुप सो-सो आदमियों के स्थान पर एक ही आदमी किसी काम को भलीभांति संभालकर पूरा कर लेता है। यही कारण है कि दिनोंदिन रिक्तियों की संख्या घटने लगी ।उधर बेतहाशा बढ़ती आबादी के कारण वहां युवावर्ग की बेकारी दिनों दिन बेकाबू होती जा रही है ।रोजगारप्रदक शिक्षा व्यवस्था के ना होने से युवा मन शिक्षा से मुंह मोड़े रहता है। समुचित रोजगार अथवा कोई समुचित सेवा पद न मिल पाने से आज का अधिकांश युवा वर्ग का शिक्षा से मोहभंग होने लगा है।

युवा वर्ग की बेकारी का कारण यह है।कि शिक्षा व्यवस्था और इससे सम्बन्धीत चालू होने वाली योजनाओं में वास्तविक तालमेल ओर तारतम्यता नही बन पाती है।यदि दोनों में तालनेक ओर तारतम्यता हो जाये तो बेकारी कोई कारण बनकर के नही रह जायेगी ।युवा वर्ग की बेकारी का एक सुक्षम कारण यह है कि हमारे देश मे घरेलू उधोग धंधों के दिन लदते गए।हमारे युवा वर्ग में अंधानुकरण मुख्य रूप से विदेशीकरण के प्रति दिनोदिन रुझान बढ़ने लगा है।फलतः वह दिशाहीन होकर न घर का ओर ना घाट का ही रह जाता है।

प्रभाव


बेकारी की समस्या हमारे देश की एक ऐसी भयंकर समस्या बन गई है । की इससे निजात पाना बहुत असंभव नहीं हो तो बहुत कठिन अवश्य लगता है। इससे हमारे देश मे दिनोदिन अराजकता,भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता का वातावरण बनता जा रहा है ।इस समस्या ने हमारे देश की नीति ,व्यवस्था पद्धति को खोखला बनाना शुरू कर दिया है ।युवा वर्ग की बढ़ती हुई बेकारी से ही आज अनेक युवक चोरी ,डकैती, हिंसा ,उपद्रव, आत्महत्या जैसे घ्रणित कुकर्मों में सलग्न हो रहे हैं। इसी प्रकार युवा वर्ग की बेकारी ने ही समाज मे अपराधों की संख्या में व्रद्धि करना शुरू कर दी है।फलतः सभी पीड़ित ओर अशांत होकर इस समस्या के समाधान के लिए कोई कारगर उपाय की अपेक्षा करने लगे हैं।

वस्तुतः इस समस्या ने हजारों लाखों युवाओं को अनिश्चित और दिशाहीन अंधेरी गली में भटकाना शुरू कर दिया है ।आज बेकार युवा वर्ग से भरा पूरा परिवार विभिन्न प्रकार के मानसिक उत्पीड़न भरी जिंदगी जीने के लिए विवश हो रहा है ।उनके विवशता का मुख्य कारण यही होता है। कि बेकार युवा वर्ग से ना केवल परिवार उत्पीड़न होता रहता है ।अपितु आसपास का समाज भी इस प्रकार की कठनाईयों से बच नही पाता है।

समाधान


युवा वर्ग की बेकारी की समस्या के समाधान उनके कारणों के समान एक नहीं अनेक है।युवा वर्ग की बेकारी की समस्या के समाधान की दिशा में पहला कदम यह होना चाहिए कि शिक्षा को रोजगार उन्मुख होना चाहिए। शिक्षा में औधोगिक शिक्षा को स्थान देना महत्वपूर्ण कदम होगा ।घरेलु दस्तकारियोकार्यों सहित अन्य उधोग धंधो (कुटीर उधोग धन्धो)को स्थान देना एक अत्यंत आवश्यक कदम होंगा। शिक्षा व्यवस्था और इससे सम्बन्धीत योजनाओं में तालमेल बैठाने युवा वर्ग की बेकारी को दूर करने में बहुत अपेक्षित उपाय होगा।

युवा वर्ग की बेकारी को दूर करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण रखना अत्यंत आवश्यक है। युवा वर्ग को उनके रूचिप्रद कार्यो के अनुसार उन्हें उस में लगाने के लिए हर प्रकार प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उनके मन की भटकन और असंतोष के भाव छिन्न-भिन्न नहीं हो सकते है

उपसंहार


युवा वर्ग की बेकारी युगोनूरूप है। इसके समाधान के लिए इसके कारण और स्वरूपो सहित इसके प्रभावों का गम्भीरता पूर्वक अध्ययन मनन बहुत आवश्यक है। अगर इसके प्रति लापरवाही के ऐसे दौर चलते रहेंगे तो यह भयानक समस्याएं सुरसा के समान समाज और राष्ट्र की गति किस प्रकार अवरुद्ध कर देगी, कुछ भी कहना कठिन है।

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