मदर टेरेसा

Rate this post

नोबेल पुरस्कार विजेता “ भारत रत्न मदर टेरेसा उन चुनिंदा विभूति में से एक थी।जिन्होंने अपनी मातृभूमि यूगोस्लाविया को छोड़कर भारत को अपने कर्म स्थली बनाकर यहां के दिन, दलित, बेसहारा जनता की निस्वार्थ सेवा को ही अपना प्रमुख लक्षण बनाया।

मदर टेरेसा का जन्म 1910 की 27 अगस्त को यूगोस्लाविया एक नगर में हुआ था ।उनके पिता एक साधारण कर्मचारी थे।टेरेसा को बचपन से ही ईसाई धर्म तथा उसके प्रचारको द्वारा किये जा रहे सेवा कार्यो में पूरी रुचि थी।उन्होंने अपनी किशोरावस्था में पढ़ा था कि भारत के दार्जिलिंग नामक नगर में ईसाई मिशनरियों सेवा कार्य पूरी तत्परता से कर रही है वे 18 वर्ष की आयु में नन बन गई। और भारत आकर ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्य में जुड़ गई ।इसके साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन में भी रुचि लेना शुरू कर दिया। और शीध्र ही कलकत्ता स्थित सेंट मेरी हाई स्कूल में अध्यापन कार्य करने लगी।

10 सितंबर 1946 की शाम को वे आत्मप्रेरणा से कोलकाता की झुग्गी झोपड़ी में सेवा कार्य के लिए चल पड़ी। और इस प्रकार निर्धन और बेसहारों की बस्ती में उन्होंने अपना विद्यालय खुला।

मदर टेरेसा अनाथों की सहायिका तथा अपंग -अपाहिजों की संरक्षिका बन गई जिन्हें कोई अपना नहीं चाहता ,उनके लिए मदर टेरेसा के दरवाजे सदा के लिए खुले रहते थे ।”मिशनरी ऑफ चैरिटी “की सफलता का यही रहस्य रहा जिसके कारण मदर टेरेसा भारत में सम्मानित हुई तथा विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

मदर टेरेसा का यश विश्व विख्यात था ।उनका सेवा का साम्राज्य बहुत विस्तृत था संसार के छेह देशों में उनके कार्यकर्ता सक्रिय थे ।मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना सन 1950 में हुई थी। तब से लेकर आज तक संसार में इसके 244 केंद्र स्थापित हो चुके हैं।इन केंद्रों में 3000 सिस्टर तथा मदर कार्यरत है।इसके अलावा और भी हजारों लोग इनके मिशन में जुड़े हुए है।जो बिना किसी वेतन के सेवा कार्य करते हैं। भारत मदर टेरेसा द्वारा स्थापित 215 चिकित्सालय में 10 लाख से ज्यादा लोगों के चिकित्सा प्रायः निशुल्क की जाती है।

सेवा -भाव के क्षेत्र में मदर टेरेसा द्वारा किए गए कार्य विश्व के लिए एक प्रेरणाप्रद उदाहरण है। उनके द्वारा कुल 140 विद्यालयों में से 80 विद्यालय भारत में खुले गए। मिशनरी ऑफ चैरिटी द्वारा 60000 लोगों को मुफ्त भोजन कराना ,अनाथ बच्चों के लिए 70 केंद्र स्थापित करना, वृद्धों के लिए 81 वर्धआश्रमों की देखभाल करना, तथा 1500000 रुपए की औषधियां प्रतिदिन गरीबों में वितरित करना इस संस्था के महत्वपूर्ण कार्यो में से है। “निर्मल ह्रदय”ओर” फर्स्ट लव “जैसी संस्थाएं वृद्धों के लिए बनाई गई जिसमे अभी लगभग 45000 लोग रह रहे हैं मदर टेरेसा को सम्मानित करने के लिए जहां 1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री प्रदान किया गया ।वहीं फिलीपाइन सरकार ने भी मेगसेसे पुरस्कार दिया ।10,000 डॉलर की इस पुरस्कार राशि से मदर टेरेसा द्वारा आगरा में कुष्ठआश्रम की स्थापना की गई।

मदर टेरेसा को “भारत रत्न “के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया ।दीन -दुखियों की सेवा में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाली और “नोबेल पुरस्कार” व “भारत रत्न “सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित 87 वर्षीय मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर 1997 को कोलकाता स्थित मिशनरीज और चैरिटी के मुख्यालय में रात 9:30 हो गया।

Leave a Comment