निबंध – नदियों पर गहराता संकट, नदियों पर गहरा संकट पर निबंध।
प्रस्तावना: नदिया प्रकृति का एक अभिन्न अंग है नदिया सदैव ही जीवनदायिनी रही है नदियां अपने साथ बारिश का जल एकत्र कर उसे भूभाग में पहुंचाने का कार्य करती है गंगा, सिंधु, अमेजॉन, नील, आदि विश्व की प्रमुख नदियां हैं। नदिया प्रकृति का अनमोल उपहार है पेड़-पौधे जितने अधिक से अधिक होंगे हमें जल भी उतना भरपूर प्राप्त होगा जिससे जल तालाब से नदियों में समाहित हो जाता है तो हम उस जल को पीते हैं जल हमारे दैनिक कार्य में और मानव की प्रगति में सहायक है।
नदी द्वारा
नदी हमें प्रत्येक परिस्थिति में शीतल, शांत, लगातार और निर्भय रहकर आगे बढ़ते रहने का संदेश देती है।
कल – कल करके बहती रहती।
शांत ओर शीतल जल ये देती।
चलने का संदेश देती।
नदी पूजनीय होती है ।
हर पल इस को स्वच्छ रखें हम।
संकल्प लो ऐसा।
पल – पल हमसे कहती है।
नदियों का महत्व।
भारत के विभिन्न इतिहासकारों ने नदियों के महत्व को बहुत सी बातें कहीं है उनके अनुसार.नदियों के किनारे बसे प्राचीन भारत की सभ्यता का विकास हुआ है भारतीय सभ्यता सिंधु नदी द्वारा बनाई गई सिंधु घाटी पर विकसित हुई है, भारत की कई शक्तिशाली नदियां हिमालय से निकलती है, माना जाता है कि पानी की स्वच्छता में डुबकी लगाने से हमारे शरीर की नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाती है इसलिए प्राचीन समय में ऋषि मुनि नदियों के किनारे ही तपस्या करते थे ताकि नदियों को नकारात्मक विचारों से को मुक्त करा सके पत्थर, जड़ी बूटियां और पोधो को छू कर बहते रहने से नदियों में भौतिक व रासायनिक गुण बढ़ जाते हैं इस प्रकार से नदियां पवित्र होने के साथ ही लाभकारी रेडियोधर्मिता शुछम पर पाई जाती है।
नदीयो पर गहरा का संकट के कारण।
नदियों पर गहराता संकट के कुछ कारण इस प्रकार।
(1) औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ
(2) कृषि के अनुचित गतिविधियां और हानिकारक रसायन
(3) प्रकृतिक बारिश
(4) मैदानी इलाकों की पानी की गुणवत्ता में कमी
(5) सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाज
(6) घरेलू अपशिष्ट पदार्थ
(7) जहाजो से होने वाला तेल का रिसाव
(8) अपवहन प्रदूषण
(9) एसिड की बारिश
(10) ग्लोबल वार्मिंग
(11 )युट्रोफिकेसशन
(12) डीनाइट्रिफिकेशन
(13) जानवरों को नहलाना
(14) स्वम नहा कर मानव का नदियों को गंदा करना
(15) नदिया के पास घरेलू बर्तनों का धरना
(16) नदिया के पास धोबी घाट बनाना।
भारत की कुछ महत्वपूर्ण नदियो परगहराता संकट।
(1) वर्धा नदी – महाराष्ट्र
(2) हिंडोन नदी -उत्तर प्रदेश
(3) मुसी नदी – दक्कन का पठार
(4) महानदी – गुजरात
(5) गोमती नदी – लखनऊ
(6) ओशिवारा नदी – मुंबई
(7) दामोदर नदी – पश्चिम बंगाल
(8) साबरमती नदी – गुजरात
(9) यमुना नदी – दिल्ली
(10 ) गंगा नदी – हरिद्वार
इस प्रकार इन नदियों में इस तरह का संकट घिरे हुए है, कि जहां पवित्र कहि जाने वाली गंगा और यमुना नदी तक नही बची है प्रदूषण से यहां तक कि पवित्र नदी गंगा का प्रदूषण तो इस कदर बढ़ गया है कि दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में इसका नाम जोड़ा जाने लगा है और यह परिणाम डब्ल्यूएचओ की स्वीकार्य सीमा से काफी आगे पहुंच गया है और यह दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि गंगा को पवित्र नाम का दर्जा दिया जाता था वही आज मानव के द्वारा ही दूषित की जा रही है मानव अपशिष्ट और ओधोगिक प्रदूषण ,स्नान के लिए प्रयोग कृषि की जरूरत के लिए इसे बेकार किया जा रहा है अगर अब हम इसे साफ करने की भी सोचे तो यह एक असंभव कार्य लगेगा परंतु हमें इसका कुछ हल तो निकालना होगा ताकि जो पवित्र है उसे पवित्रता का ही दर्जा मिलता रहे।
उपसंहार
लहराती इठलाति बहती हुई है नदिया
हमारे देश का गर्व है जीवन की पहचान है
हम मानव के पाप को सहते – सहते खुद
कम सी हो गई है.
इसके संकट खत्म करो.
अस्तित्व ना इसका मिटने दो
पूजनदायिनी हूँ तो मुझको
पूजनदायिनी ही रहने दो।
हमें हमारे देश की इन गंगा जैसी पवित्र नदियो को खत्म होने से हम मानव का ही हाथ है क्योंकि सभी तरह के जल प्रदुषण हम ही करते है, तो हम मानव को ही जल प्रदूषण रोकना होगा, नदियों को साफ़ रखके की जिम्मेदार हमहि को करना होगा और सरकार को भी इसके लिए सख्त कदम उठाना होगा इसके लिए कानून बनाना होगा ताकि हमारे देश की इन पवित्रता को मिटने से रोका जा सके और इस पर गहराता संकटों का निवारण हो सके ।
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