मेरा प्रिय लेखक पर निबंध

इस निबंध में है मुंशीप्रेमचं प्रेमचंद जी और रवींद्रनाथ टैगोर जी के ऊपर लेख मिलेगा। प्रेमचंद और रवींद्रनाथ टैगोर, भारतीय साहित्य के महान लेखक थे। प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियाँ समाज की समस्याओं को छूने वाली थीं, जबकि टैगोर की कविताएँ और गीत सद्गुणों की प्रशंसा करती थीं। दोनों के योगदान से हमारे साहित्य और समाज को नये दिशानिर्देश मिले।

मेरा प्रिय लेखक पर निबंध

मेरा प्रिय लेखक “मुंशीप्रेमचं जी” पर निबंध

“लेखक ना कभी बनते हैं
ना कभी बनाए जाते हैं
जन्मजात ये गुण होते हैं इनमे जो
उभर के स्वम् निखर जाते है”

प्रस्तावना:- यह तो हम सभी जानते हैं कि कोई भी कवि या लेखक बनाए नहीं जाते हैं। यह तो उनमें जन्मजात ही होते हैं इसकी प्रतिभा उन्हें बचपन से ही फलती फूलती है इस लेखन प्रतिभा की वजह से ही वह बड़ा कवि और लेखक बनता है हिंदी साहित्य में ऐसे कई लेखक हैं जो कीमती रत्न के समान है जिनका लोहा आज सारा विश्व स्वीकार करता है उन्हीं में से मेरा प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी है जो निबंध, नाटक ,उपन्यास और कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचंद जी ने प्रत्येक वर्ग के पाठ को मंत्रमुग्ध कर देने वाले साहित्य का सृजन किया है इस कारण उन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि दी जाती है जितने बड़े उपन्यासकार थे उतने ही बड़े कहानीकार भी थे मुंशीप्रेमचं जी।

मेरे प्रिय लेखक का जन्म और जीवन

मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी के निकट लमही नामक गांव में 31 जुलाई 1880 में हुआ था उनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था उन्हें नवाब राय के नाम से भी जाना जाता था इनका बचपन अभावों में बिता 10वीं परीक्षा पास कर के इन्होंने 12वीं की परीक्षा में असफल हो जाने पर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी विद्यार्थी जीवन में इनका विवाह हो गया था पत्नी के अनुकूल ना होने के कारण उन्होंने दूसरा विवाह किया था जिसका नाम शिवरानी देवी था मैट्रिक तक होने के बाद एक विद्यालय में अध्यापक हो गए थे उन्होंने स्वधाई रूप में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करके शिक्षा विभाग में डिप्टी इंस्पेक्टर हो गए थे। असहयोग आंदोलन प्रारंभ होने पर इन्होंने नौकरी छोड़ दी थी इसके बाद उन्होंने साहित्य जीवन में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम मर्यादा पत्रिका के संपादक रहे फिर इन्होंने प्रेस खोली लंबी बीमारी के बाद सन 1936 ई. में इनका निधन हो गया।

मेरे प्रिय लेखक की रचना इस प्रकार है.
उपन्यास:- मेरे प्रिय लेखक के उपन्यास इस प्रकार है कर्मभूमि ,कायाकल्प,निर्मला ,प्रतिज्ञा ,प्रेमाश्रम ,वरदान, सेवासदन, रंगभूमि ,गबन ,ओर गोदान।

कहानी संग्रह:- नवनिधि, ग्रामय जीवन की कहानियां ,प्रेरणा ,कफन ,कुत्ते की कहानी, प्रेम प्रसून ,प्रेम पचीसी ,प्रेम चतुर्थी ,मनमोदक ,मानसरोवर, समर यात्रा, सप्त सरोज,अग्नि समाधि ,प्रेम गंगा और सप्त समना।

नाटक:- कर्बला ,प्रेम की वेदी ,संग्राम ,रूठी रानी ,

जीवन चरित्र :-कलम ,तलवार और त्याग,दुर्गा दास,महात्मा शेख सादी, रामचर्चा

निबंध संग्रह :– कुछ विचार

सम्पादित :- गत्य रत्न,गत्य समुच्चय

अनुदित:- अहंकार,सुखदास,आजाद कथा,चांदी की डिबिया, टालस्टाय की कहानियां ,सृष्टि का आरंभ

मेरे प्रिय लेखक के लेखनी की भाषा.

मेरे प्रिय लेखक प्रेमचंद जी की भाषा दो प्रकार की थी.

  1. एक तो वह जिसमें यह संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग करते थे.
  2. दूसरी जिसमें उर्दू ,संस्कृत और हिंदी के व्यावहारिक शब्दों का प्रयोग करते थे.

मेरे प्रिय लेखक की लेखन शैली

प्रेमचंद जी अपने साहित्य की रचना जनसाधारण के लिए करते थे वह विषय एवं भावों के अनुकूल शैली को परिवर्तित कर लेते थे इनकी शैलियां निम्न प्रकार के थे।

  1. वर्णात्मक
  2. विवेचनात्मक
  3. मनोवैज्ञानिक
  4. हास्य
  5. भावात्मक

उपसंहार.
इस प्रकार मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास सम्राट कहलाते थे वे युगप्रवर्तक कहानीकार होने के साथ-साथ नए कहानीकारों में भी अपना विशिष्ट स्थान रखते थे उनकी उपन्यास और कहानी में एक आदर्शमुख् और यथार्थवाद की प्रवृत्ति रहती थी यह आधुनिक युग में भी अपनी कहानियों से अपना स्थान अग्रणी रखते थे हिंदी साहित्य में मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद का नाम सदा अमर रहेगा।

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मेरे प्रिय लेखक “रवींद्रनाथ टैगोर” पर निबंध

मेरे प्रिय लेखक रवींद्रनाथ टैगोर

प्रस्तावना: लेखन एक ऐसा साधन है जो हमारे जीवन को रूपांतरित करने की क्षमता रखता है और उसे नए दिशाओं में ले जाता है। इस निबंध में, मैं अपने प्रिय लेखक रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में व्यक्त करने का प्रयास करूँगा।

रवींद्रनाथ टैगोर – जीवन और कार्य:
रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य और संस्कृति के महान स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने 20वीं सदी के महान साहित्यकार, रचनाकार, कवि, और समाज सुधारक के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनका जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने साहित्य, संगीत, शिक्षा, और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया।

रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ:
रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ विविधता और गहराई के साथ भरी हुई हैं। उनके कविताएँ और गीत सरलता और मधुरता से भरपूर होते हैं, जो हमारे दिलों को छू लेते हैं। उनकी लेखनी से निकलने वाली शिक्षाप्रद कहानियाँ और नाटक हमें जीवन की मूल बातों को समझने की कला सिखाते हैं। उनकी लेखनी में भारतीय संस्कृति, धर्म, मानवता के मूल्य, और स्वतंत्रता के प्रति उनकी गहरी भावनाएँ प्रकट होती हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा दर्शनीय थी, और उन्होंने विशेष रूप से विद्यालयों की सुधार और शिक्षा के माध्यम से समाज को सुधारने का मार्ग दिखाया। उनके द्वारा स्थापित ‘शांतिनिकेतन’ एक ऐसा विद्यालय था जिसमें विशिष्ट शिक्षा प्रदान की जाती थी जो छात्रों को न सिर्फ शिक्षा देती, बल्कि उन्हें जीवन के मूल मूल्यों का भी ज्ञान प्रदान करती थी।

मेरी प्रेरणा:
रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ मेरे जीवन में एक गहरी प्रेरणा स्रोत हैं। उनके कविताएँ मुझे सुकून और सकारात्मकता प्रदान करती हैं, जबकि उनकी कहानियाँ मेरे दिल को छू जाती हैं और मेरे विचारों को दिशा देने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष:
रवींद्रनाथ टैगोर के विचार, कल्पनाओं की साहित्यिकता, और उनकी उपन्यासों के माध्यम से वे एक सोचने और समझने के दृष्टिकोण को उजागर करते हैं जिनसे हमारे जीवन को एक नई दिशा मिलती है। उनका योगदान भारतीय साहित्य और संस्कृति के लिए अनमोल है और हमें समृद्धि, समाज, और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करता है।

लेखक प्रेमचंदखक रवींद्रनाथ टैगोर
प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान कथाकार और समाजसेवी थे। उनके उपन्यास और कहानियाँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करती थीं और समाज की समस्याओं के प्रति उनकी गहरी चिंता दिखाई पड़ती थी। उनके लेखन में मानवता, समाज और व्यक्तिगत संघर्ष का आकर्षण था।रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य के महान लेखक, कवि, और संगीतकार थे। उन्होंने बंगाली साहित्य को नए ऊँचाइयों तक उठाया और उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, धर्म, और मानवता की गहरी भावनाओं का अद्वितीय प्रकटन होता था। उनके गीत, कविताएँ, नाटक और उपन्यास विश्व साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और उनकी विचारधारा आज भी हमें प्रेरित करती है।

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