सब्ज़ी मंडी पर निबंध

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सब्ज़ी मंडी पर निबंध- Essay on Vegetable Market in hindi

किसान खेतो पर दिन रात मेहनत करके जो सब्ज़ी उगाते है , वह अपने गाँवों से लाकर शहरों के सब्ज़ी मंडियों  में बेचते है। जैसे सभी चीज़ो यानी वस्तुओं का अलग बाज़ार  होता है, वैसे ही सब्ज़ियों का भी बाजार होता है। सब्ज़ियों के बाजार को सब्जी मंडी कहा जाता है।  कपड़ो का बाजार , दूध से बनी सामग्रियों का बाजार , मांस  और मछली के लिए अलग मंडी होती है। आम तौर पर सब्ज़ी मंडियों में लोग सबसे ताज़े सब्जी और फल खरीदने के लिए जमावड़ा लगा देते है। सभी सब्जी वाले, गाँवों से सब्ज़ी कम दामों में खरीदते है और शहरों में अपने और बाजार के अनुसार दाम लगाकर उसे बेचते है। कृषक गाँवों से सब्ज़ी ट्रको में भरकर लाते है। देश के सभी बड़े और छोटे शहरों में सवेरे पांच से छह बजे के बीच में सब्ज़ी मंडी खुल जाती है। सब्ज़ियों को खरीदने के लिए कुछ व्यापारी तैयार रहते है।

सब्ज़ी खाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।  सब्ज़ियों में कई प्रकार के खनिज पदार्थ जैसे विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते है।  यह सारे पोषक तत्व मनुष्य के शरीर को स्वस्थ्य रखते है और कई प्रकार की बीमारियों से उनकी रक्षा करते है। हरी सब्ज़ियों का फायदा किसे नहीं पता है। सब्ज़ी हमारे शरीर को विभिन्न तरह के विटामिन्स और आवश्यक मिनरल्स प्रदान करता है। सब्ज़ी मंडी में ज़्यादातर वक़्त भीड़भाड़ होती है। रविवार के दिन भीड़ खचाखच भरी रहती है।

सब्ज़ी मंडी में अक्सर  लोग हर दुकानों पर मोल भाव करते हुए नज़र आते है।  कुछ लोग ताज़ी और अच्छी सब्ज़ी जल्दी छांट लेते है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह सुबह ही दुकान खुलने के समय सब्ज़ी मंडी पहुँच जाए ताकि उन्हें ताज़ी और बढ़िया सब्ज़ी मिले। सब्ज़ी मंडी में काफी शोर मचता है। सब्ज़ी मंडी में प्रतिस्पर्धा का दृश्य देखने को मिलता है।  हर दुकानदार / सब्ज़ीवाला चिल्लाकर अपने दुकान पर ग्राहकों को आने का निमंत्रण देता है और कम कीमत बताता है। कम कीमत बताने से ग्राहक उस निर्दिष्ट दुकान की तरफ खींचे चले जाते है।

सड़क के किनारे सब्ज़ी मंडी वाले हरी भरी सब्ज़ियां जैसे फूलगोभी , पालक , बंधा गोभी ,गाजर -मूली  , लौकी , भिंडी , करेला  टमाटर इत्यादि टोकरी में सजा कर रखते है।  सब्ज़ी मंडी में आकर पता चलता है कि सब्ज़ी वाले और दुकानदार कितना परिश्रम करके बाजार लगाते है   तब जाकर ग्राहक अपनी मनपसंद सब्ज़ी चुनते है और घर पर पकाते है। कुछ  दुकानदार  सब्ज़ियों पर छूट देते है ताकि लोग ज़्यादा से ज़्यादा सब्ज़ी उनके दुकान से खरीदे। कुछ व्यापारी और सब्ज़ी वाले सब्ज़ियों के कीमतों को लेकर झगड़ते है।

कुछ झगड़ालू स्वभाव के सब्ज़ी वाले होते है , जो ग्राहकों के साथ बेवजह झगड़ा और बहस करते है।  यह बहस कभी सब्ज़ी की कीमतों को लेकर होता है तो कभी सब्ज़ियों की गुणवत्ता को लेकर होता है। कुछ सब्ज़ी वाले ग्राहकों को पुरानी और औसत दर्जे की सब्ज़ी को थमा देते है। इससे ग्राहक नाराज हो जाते है और भयंकर वाद विवाद उतपन्न हो जाता है।

कुछ सब्ज़ी वाले अपने तराज़ू में सब्ज़ियों को ठीक से तौलते नहीं है।  यह गैर जिम्मेदारी वाली हरकत है। ऐसे सब्ज़ी वाले सब्ज़ियों का गलत वजन बताकर ग्राहकों को गुमराह करते है और ग्राहक उन पर विश्वास करके सही कीमत देते है।  कुछ ग्राहक सब्ज़ी वालो की लापरवाही से तौलने की आदत को पहचान लेते है और इस वजह से विवाद होता है। ऐसी बहस , चारो तरफ शोर  और इतने लोगो का एक साथ एकत्रित होना सब्ज़ी मंडी की विशेषता है।

सब्ज़ियों के बाजार में जाने के बाद कोई भी व्यक्ति जान सकता है कि सब्ज़ियों की खरीदारी कैसे करते है ? इसका मतलब है विभिन्न प्रकार के लोग अलग अलग तरीको से सब्ज़ियां खरीदते है। कुछ लोग एक एक  सब्ज़ी की जांच कर , उन्हें देख परख करके खरीदते है।  सही से दाम लगाकर , इत्मीनान से खरीदते है।  सब्ज़ी खरीदने में कुछ लोगो का संयम देखने लायक होता है।

सब्ज़ी मंडी में वहीं कुछ लोग ऐसे होते है जो बिना जांच के भी बहुत सारे सब्ज़ियों को खरीद लेते है।  कुछ व्यक्ति सब्ज़ी वालों के साथ एक या दो रूपए के लिए लड़ते है और कुछ लोग एक -दो रूपए सब्ज़ी वाले को अधिक देकर चले जाते है। सब्ज़ी मंडी में हमे बहुत तरह  के लोग देखने को मिलेंगे। हम एक हफ्ते में दो बार तो सब्ज़ी मंडी जाकर सब्ज़ियां खरीदते है।  सर्दी के मौसम में सब्ज़ी मंडी की भीड़ देखने लायक होती है।  सर्दियों के मौसम में हरे पत्तीदार सब्ज़ी भारी मात्रा में सब्ज़ी मंडी में दिखती है , जिसे पाने के लिए लोग टूट पड़ते है।

निष्कर्ष

कभी कभी ग्राहक इतना अधिक मोल भाव करते है। यह देखकर बुरा लगता है।  सब्ज़ी वाले बहुत परिश्रम के साथ गाँव से अच्छी सब्ज़ी लेकर आते है।  फिर भी उन्हें सही दाम नहीं मिलता है। अगर हम ध्यान से गौर करे तो लोग शॉपिंग मॉल या डॉक्टर इत्यादि से बार्गेन यानी मोल भाव नहीं करते है।  विडंबना है कि सब्ज़ी वाले से मोल भाव करते है और लोग  दो रूपए बचाकर भी खुश हो जाते है। सब्ज़ी मंडियों में आम जनता को आसानी से खेतो में उगने वाली सब्ज़ी मिल जाती है।

 किसान कितना परिश्रम करते है , तब जाकर हमे इन सब्ज़ियों को खाने का अवसर मिलता है। सब्ज़ी मंडियों में सरलता से हर प्रकार की सब्ज़ी उपलब्ध है।  इसलिए आम लोगो को सब्ज़ियां आसानी से मिल जाती है। लोगो को यह सोचना समझना चाहिए कि सब्ज़ी वाले ज़्यादा पैसे नहीं कमाते है।  वह ज़रूरतमंद होते है और चौब्बिस घंटे परिश्रम करते है और लोगो को सब्ज़ियां बेचते है। हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम उनसे सब्ज़ी उचित दामों में खरीदें । लोगो को सब्ज़ी वाले से बिना बहस किये,  खुद अच्छी सब्ज़ी खरीदनी  चाहिए और  सब्ज़ीवालों को सब्ज़ियों  की सही कीमत देनी चाहिए।

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