सत्संगति पर निबंध

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प्रस्तावना

सत्संगति का तात्पर्य है , अच्छे लोगो की संगती। मनुष्य के विचारधारा और कर्म , उसकी संगत पर  निर्भर करते है। मनुष्य के आस पास रहने वाले लोगो  का उस पर और उसकी जिन्दगी पर असर पड़ता है। जैसी संगत होती है , मनुष्य की सोच और चिंता करने का तरीका बिलकुल वैसा हो जाता है। मानसिकता का असर मनुष्य के व्यक्तित्व पर पड़ता है। आस पास के लोगो की मानसिकता जैसी होगी , जैसा माहौल होगा , मनुष्य के विचार उसी के अनुसार ढल जाएंगे।  जब बच्चा विद्यालय जाता है तो माता पिता चाहते है , कि उसके मित्र अच्छे हो।  उनके बच्चे अच्छे लोगो के संगत में रहे , ताकि उनके सोच का विकास हो।  अच्छे संगत से लोग सही और गलत में फर्क कर पाते है।

अच्छे संगत से अच्छे और कीमती विचारो का संचार होता है।  अच्छे संगत के कारण , मनुष्य एक अच्छा और जिम्मेदार व्यक्ति बनता है। कुसंगति यानी बुरी संगत जहाँ लोग बुरे विचार धाराओं के लोगो के साथ उठता बैठता है और वैसा ही बन जाता है। संगत अच्छी है या बुरी , इस पर फर्क करना बच्चो और बड़ो को आना चाहिए। ऐसा करने पर मनुष्य कभी भी बुरे संगत के जाल में फंसता नहीं है। कुसंगति से मनुष्य का विनाश तय है और सत्संगति से मनुष्य की प्रगति निश्चित है। अच्छे संगती  में रहने से मनुष्य को प्यार और सम्मान प्राप्त होता है। बुरी संगती में रहने से मनुष्य की बदनामी होती और वह आलोचना के शिकार बन जाते है।

सत्संगति का बच्चो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | वह  सुव्यवस्थित और अनुशासित जीवन यापन करते है |इससे उनके पढ़ाई पर अच्छा असर पड़ता है | गलत लोगो की संगत  में आकर बच्चे गलत कार्य करते है और जिद्दी बन जाते है |अच्छे संगती से बच्चो की मनोवृति और सोच पर अच्छा प्रभाव पड़ता है | जिन लोगो के विचार उच्च स्तर के होते है , उनके शरण में रहने से है , मनुष्य का  भला होता है |उनके व्यक्तित्व पर अच्छा असर पड़ता है | वह नेक दिल और परोपकारी  इंसान बनते है |

मनुष्य   एक सामाजिक प्राणी है |उसे लोगो के साथ रहना पड़ता है |  उसे मित्रों की ज़रूरत होती है |अच्छे लोगो  के साथ रहने से मनुष्य अच्छे प्रवृति का होता है | गलत संगत में रहने से अच्छे लोगो की सोच भी ख़राब हो जाती है | अच्छे संगत में रहने से गलत लोगो की मानसिकता भी सही हो जाती है |

बुरे लोग अच्छे लोगो के संगत  में रहकर , अच्छाई का पाठ सीखते है।  वे अच्छे और सही मार्ग पर चलने लगते है। सत्संगति की आवश्यकता हर मनुष्य को है।  अगर आपकी संगत अच्छी है , तो आपका भविष्य उज्जवल है।  कुसंगत में पड़कर लोगो के अक्कल पर पत्थर पड़ जाते है।  उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। जीवन में मित्र का चुनाव मनुष्य को सोच समझकर करना चाहिए। अक्सर कुछ लोग बिना सोच विचार किये  किसी को भी अपना मित्र बना लेते है  जिसके फलस्वरूप उन्हें आगे जाकर पछताना पड़ता है।

सत्संगति में रहने से लोगो के  जीवन को  नयी दिशा मिलती है।  वह जानते है कि उन्हें किस मार्ग को चुनना है। सत्संगति के कुछ बेहतरीन उदाहरण है। अंगुलिमाल डाकू को जब गौतम बुद्ध की अच्छी संगत मिली तो उनकी जिन्दगी में अच्छे बदलाव आये। पहले ऋषि वाल्मीकि डाकू थे और गलत कार्य करते थे।  फिर नारद जी की अच्छी संगत में वह महर्षि बने और उनके सोच में परिवर्तन आ गया।

अच्छे लोगो के संगत में रहने से आत्मा पवित्र हो जाती है | अच्छे संगत में रहने से लोग अपने हर क्षेत्र में सफल होते है | बुरे संगत में रहने से लोग बुरे आदतों जैसे  नशा सेवन इत्यादि  में फंस जाते है |उनकी जिन्दगी उलझ कर रह जाती है | बुरी संगत की वजह से लोग चोरी , हत्या और लूटमार जैसे गैर कानूनी अपराध कर बैठते है |आखिर में जेल के सलाखों के पीछे उनकी जिन्दगी गुजरती है | कुसंगत में लोगो के जीवन का लक्ष्य समाप्त हो जाता है | इसलिए समय रहते ही लोगो को उनके साये से बाहर निकल जाना चाहिए |

जैसी मनुष्य की संगत होती है , उनकी सोच भी वैसी बन जाती है। अगर सोच सही ना हो तो ज़िन्दगी बेकार और तबाह हो जाती है। अगर सोच सही दिशा में जाए , तो निश्चित तौर पर मनुष्य उन्नति ज़रूर करेगा। कुसंगति एक रोग की तरह है जो किसी को भी अपने ज़िन्दगी में आगे नहीं बढ़ने देती है। मनुष्य की अच्छाई और उसके गुण कुसंगत में पड़कर समाप्त हो जाते है। कुसंगति एक दीमक की तरह जो  व्यक्ति के अच्छे भले जीवन को नष्ट कर देती है। सत्संगति में मनुष्य की जिन्दगी सफल और सुखमयी बन जाती है।

निष्कर्ष

जीवन में आस पास कई ऐसे चीज़ होते है जो हम पर प्रभाव डालते है जैसे मोबाइल , टीवी, किताब  इत्यादि।  उसी तरह मित्र भी हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते है। अच्छे मित्र हमेशा हमारा भला चाहते है और हमे गलत राह पर चलने से रोकते है।सत्संगति के सिर्फ फायदे होते है। नुकसान कुछ भी नहीं होता है। सतसंगति से  व्यक्ति को सदाचारी  और  संस्कारी  बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। मनुष्य अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहता है। सत्संगति का दामन थामे रखने में ही मनुष्य की भलाई है।

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