वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे

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प्रस्तावना

राष्ट्रकवि  मैथलीशरण गुप्त ने कहा था सच्चा मनुष्य वही है जो औरो के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देता है।  मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है परोपकार।  मनुष्य वही है जो वक़्त आने पर दूसरो के काम आये , दूसरो का भला करे। एक सच्चा मनुष्य वही है जो अपने स्वार्थ का त्याग करके औरो का भला करता है। अपने लिए तो केवल पशु पक्षी जीते है लेकिन मनुष्य सामाजिक प्राणी है। मनुष्य स्वंग कभी अकेला रह नहीं सकता है।  उसे जीने के लिए परिवार , दोस्त और समाज की ज़रूरत होती है। इन्ही सब तथ्यों को प्रमाणित करते हुए कवि ने कहा है कि मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे।

सच्चा मनुष्य वही है जो अपनों की  कदर और परवाह  करे और पूरी जिंदगी अपनों के लिए जितना हो सके करें। मनुष्य त्याग कर सकता है और वह जन कल्याण के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा सकता है। मनुष्य अपने स्वाभिमान की  रक्षा के लिए अपनी जान तक दे सकता है।सच्चा मनुष्य वही है जो बलिदान के लिए तैयार रहता है।

मनुष्य  जब अपने  सुख-दुःख को औरो के साथ साझा करता है | वह सभी मनुष्यों को भावनात्मक तौर पर  आपस में जोड़ देता  है।जीवन में हमने अगर सभ्यता , साहित्य , कला अगर हर क्षेत्र में उन्नति की है तो उसका श्रेय किसी एक मनुष्य की वजह से नहीं हुआ है।  इसके पीछे का कारण है मनुष्य हमेशा एक दूसरे के प्रति कुछ करना चाहते है। इसी सकारात्मक सक्रीय भावना की वजह से उन्नति हो पायी है।

  मनुष्य  प्रत्येक   मनुष्य के सहायता करने के लिए तत्पर रहता है । इस तरह के  भावना का बने रहना ही मानवता  की उचित एवं सार्थक परिभाषा है।  प्रत्येक मनुष्य हर समय  इसी भावना को अपने हृदय में, अपने आचार विचार  और काम  में जगाए रखने की पूरी कोशिश करते है।

साहित्य , कला , विज्ञान इत्यादि क्षेत्रों में जो प्रगति हुयी है , वह एक मनुष्य के कारण नहीं

 हुआ है , बल्कि सभी मनुष्य के वजह से संभव हो पाया है।मनुष्य अपने सुख दुःख , परेशानियों को अपने तक नहीं रखता है।  अगर वह ऐसा करता है तो कभी भी विकास नहीं कर पाता । किसान खेतो में दिन रात परिश्रम करता है।  देश के सिपाही सीमाओं पर तैनात रहते है , दुश्मनो से लड़ते है ताकि देशवासी सुरक्षित रहे। अनगिनत लोग उद्योग , दुकान इत्यादि चलाते है। वह सिर्फ अपने रोजगार के लिए ही नहीं बल्कि दूसरो की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी करते है।

कहने का तात्पर्य है कि मनुष्य केवल अपने लिए नहीं औरो की ज़रूरतों ,  सुरक्षा का भी ध्यान रखता है।  मनुष्य भावनात्मक प्राणी है और औरो के लिए वह मर भी सकता है।  मानवता वही है , जो लोगो को औरो के लिए जीना , मरना सीखाता है।

हमारे इतिहास में कई ऐसी घटनाएं और उदाहरण मौजूद है जहां लोगो ने समाज , घर परिवार की सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था ।इतिहास गवाह है कि मनुष्य को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ा और कई कष्ट सहन करने पड़े।  फिर भी वह मज़बूती से खड़ा रहा लेकिन मानवता को खत्म नहीं होने दिया। जीवन मूल्यों को सर्वोच्च मानने की वजह से राम भी मर्यादा पुरोषत्तम बन गए। मानवीय मूल्यों को जीवित रखने के लिए लोगो ने समर्पण और तपस्या के रास्ते को  महत्व दिया।

मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए कई लोगो ने अपने जीवन तक की परवाह नहीं की। भगत सिंह , राजगुरु और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे लोगो को आज भी हम याद करते है। महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा का पथ अपनाया और उन्हें देश ने राष्ट्रपिता माना।  जिस ने भी मानवीय मूल्यों को अहमियत  दी , इतिहास ने हमेशा उसे याद रखा। प्रत्येक मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग कर , इंसानियत को ज़्यादा महत्व देना चाहिए।

निष्कर्ष

ऐसे महापुरुषो को याद करने के साथ उन्हें इतना सम्मान दिया जाता है।  वह मानवता के लिए ना केवल जीए , बल्कि उनके लिए मरे भी। आज भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है जिसकी वजह से अपराध हो रहे है।  इससे देश की उन्नति का विनाश हो रहा है। ऐसे लोगो की ज़रूरत है जो भ्रष्टाचार जैसे अपराधों को रोके और मनुष्यता के लिए जीए और मरे। हम सबको को मिलकर समाज और देश का विकास मानवता रूपी दीपक की रोशनी से करना होगा। सभी को उदार बनना चाहिए और जन कल्याण पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।   यही सही माईनो में सच्ची  मानवता है।

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