नारी और नौकरी पर निबंध, लेख

4.3/5 - (9 votes)

समाज का महत्वपूर्ण अंग नारी है।  नारी के बिना इस समाज का कोई अस्तित्व नहीं है। पहले नारियों को सिर्फ घर और घर पर काम करने तक ही सीमित रखा जाता था। उसका संसार घर की चारदीवारी तक ही सीमित होता था। अब नारी इन सब बंधनो से आज़ाद है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां नारी ने अपने आपको साबित ना किया हो। आज महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। चाहे दफ्तर हो , चिकित्सा क्षेत्र , खेल का मैदान और प्लेन उड़ाना महिलाएं सब कुछ कर सकती है।  पहले महिलाओ का शिक्षित होना सही नहीं माना जाता था। उसे पारिवारिक मूल्यों के नाम पर अपने सपनो को मारना पड़ता था। नारी अपनों के साथ अब खुद के लिए भी जी रही है। अब महिलाएं कमज़ोर नहीं है।

महिलाएं पुरुषो की भाँती शिक्षित हो रही है और दफ्तरों में कार्य भी कर रही है। जीवन के तकरीबन हर क्षेत्र में चाहे वह राजनीतिक हो या सामाजिक , सरकारी  हो या गैरसरकारी नौकरी , नारी हर जगह अपने कदम बढ़ा चुकी है। नारी को स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनने के लिए नौकरी का सहारा लेना पड़ा। इसके साथ ही नारी बाहरी दुनिया के संपर्क में भी  रहती है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।  वह नौकरी के साथ घर को भी व्यवस्थित तौर पर चलाती है।  सारा दिन नौकरी करने के बाद , वह घर पर आकर रसोई और परिवार के सदस्यों जिम्मेदारियों  को भी संभाल लेती है। नारी जिम्मेदार पत्नी , माँ होने के साथ साथ अपनी नौकरी भी पूरे जिम्मेदारी के साथ निभाती है।

अब वह नारी नहीं जो घूँघट में छिपकर रहती थी।  आज की नारी बुद्धिमती और निडर है।  वह किसी भी परिस्थिति से घबराती नहीं है और उसका मुकाबला भी करती है। आज इक्कीसवी शताब्दी में महिलाएं किसी भी वर्ग की क्यों ना हो , नौकरी कर रही है। महिलाओं की पहचान सिर्फ उनके पति से नहीं होती है। आज महिलाओं ने अपने आपको सिद्ध किया है कि वह आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं है। पुरुष भी उनके इस प्रतिभा को जान चुके है और महिलाओं का सम्मान भी करते है। मगर आज भी कुछ पुरुष ऐसे है जिन्हे महिलाओं की उन्नति से परेशानी होती है।

आज महिलाओं की सोच को घर और बाहर दोनों ही जगह प्राथमिकता दी जाती  है। नारी नौकरी करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने की चेष्टा करती है। आजकल के इस युग में महंगाई काफी बढ़ गयी है। नारी नौकरी करके पुरुषो को घर चलाने में सहायता कर रही है। महंगाई के इस जमाने में पुरुषो की कमाई से घर को चलाना मुश्किल होता है। जब पत्नी नौकरी करती है तो घर चलाने की जिम्मेदारी आधी बाँट लेती है। जब बच्चे अपने माँ को नौकरी करते हुए देखते है तो वह खुद जिम्मेदार बनते है और अपनी माँ का सहयोग करते है। ऐसे बच्चे भविष्य में संघर्ष करने से घबराते नहीं है।

आज कल परिवार छोटे होते जा रहे है। शहरों में ज़्यादातर महिलाएं जब नौकरी करती है, तो वह घर के कुछ कार्यो के लिए नौकर रखती है। कुछ समय के लिए घर को नौकरो पर विश्वास करके छोड़कर चली जाती है। ऐसे स्थिति में महिलाओं को  घर की देखभाल  करने का वक़्त नहीं मिल पाता है। महिलाओं के नौकरी करने से कभी कभी उनके बच्चो को नौकर के भरोसे या शिशुगृहों में छोड़कर जाना पड़ता है।

 जब वह काम से वापस आती है तो बच्चो को साथ लेकर आ जाती है।  वह नौकरी पर  जाने से पहले घर के बहुत सारे कार्यो को निपटाकर चली जाती है। इससे महिलाओ में तनाव भी बढ़ता है , लेकिन फिर भी वह काम और परिवार के बीच संतुलन बनाने का पूरा प्रयत्न करती है। ऐसे में पुरुष और महिलाओ दोनों को मिलकर घर का दायित्व उठाना होगा।  पुरुषो को ज़रूरत है वह अपनी कामकाजी पत्नी को समझे और घर के संतुलन को बनाये रखने में महिलाओं का योगदान दे।

निष्कर्ष

आज ज़्यादातर महिलाएं बाहर जाकर नौकरी कर रही है , लेकिन कुछ महिलाएं शिक्षित होकर भी भी परिवार के उसूलों के कारण नौकरी नहीं कर पा रही है।  हमे इस जज़्बे को समाप्त नहीं होने देना है। जब महिलाएं नौकरी कर रही है उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत  हो गयी है। समाज में उनकी सोच को माईने दिया जाने लगा है। अब महिलाओं को कोई भी चीज़ पुरुषो से मांगने की ज़रूरत नहीं है। महिलाएं स्वंग अपनी चीज़ें खरीद सकती है और परिवार का सहयोग करती है।

1 thought on “नारी और नौकरी पर निबंध, लेख”

  1. Wonderful,essey it helped me a lot to write my anuched and also gave me so many ideas that one can use while writing anuched.
    Thankyou so much

    Reply

Leave a Comment