इस निबंध में हम सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लोकमान्य टिळक, मोदी जी , डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के बारे में पढ़ेंगे। यह निबंध Class 5, 6, 7, 8, 9, 10th, 11th और 12th के लिए लिखा गया है और सभी निबंध को श्रेणी अनुशार रखा गया है। “मेरे प्रिय नेता पर निबंध (My Favourite Leader Essay in hindi)” सभी कक्षाओं में बहुत बार पूछा जाता है यहाँ से आप निबंध को पढ़ कर अपने कार्य को पूरा कर सकते है.
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मेरे प्रिय नेता: नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Netaji Subhash chandra bose
नेता वही कहलाता है जो किसी देश या किसी भी संगठन का भली -भाँती नेतृत्व करे, साथ ही देश और लोगो को एक साथ एकता के साथ बांधे रखे। मेरे प्रिय नेता है नेताजी सुभाष चंद्र बोस। नेता जी के बारे में लगभग हम सभी भारतीय जानते है। उनका लोकप्रिय नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा के” विषय में सभी जानते है। नेताजी एक महान भारतीय राष्ट्रवादी सोच और विचारधारा के व्यक्ति थे। सभी लोग जानते है, वह अपने देश से कितना प्रेम करते थे। नेताजी का जन्म 1897 में 23 जनवरी को हुआ था। सबसे ज़्यादा अत्याचारी और कट्टर ब्रिटिश शासन के खिलाफ वे बहादुरी के साथ लड़े। सुभाष चंद्र बोस निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपने देश के लिए अपना परिवार को भी समर्पित कर दिया था।
नेताजी के पिताजी का नाम जानकीनाथ बोस था। उनके पिताजी उच्च स्तर के वकील थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कटक में प्राप्त की। नेताजी ने अपने आगे की शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की। उसके पश्चात आई सी एस की परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड चले गए। आई सी ए स की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह चाहते तो आराम और सुख सुविधा पूर्ण जीवनयापन कर सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके मन में देश को आज़ाद कराने की लौ जल रही थी। नेताजी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए त्याग और बलिदान का मार्ग चुना। वे अपने देश से असीम और अनंत प्रेम करते थे, जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन में सारे सुख सुविधाओं का त्याग किया।
नेताजी भगवत गीता में काफी विश्वास रखते थे जिससे उन्हें अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलती थी। स्वामी विवेकानंद के सिखाये हुए मार्ग यानी उनकी शिक्षाओं का नेताजी अनुकरण किया करते थे।
राजनीति में उन्होंने अपना पहला कदम, असहयोग आंदोलन से किया था। नेताजी ने नमक आंदोलन का नेतृत्व सन 1930 में किया था। नेताजी ने प्रिंस ऑफ़ वेल्स के आगमन पर विरोध आंदोलन किया था। इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से छह महीने का दंड दिया गया। नेताजी ने ब्रिटिश सरकार को सबक सिखाने के लिए कई तरह की राजनितिक गतिविधियों में भाग लेने लगे थे। जनता के मन में नेताजी ने घर बना लिया था।
सुभाष चंद्र बोस ने सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट में भाग लिया था। यही से सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य नेताजी बन गए। इसके पश्चात वह, 1939 में पार्टी के अध्यक्ष बने। यह सिर्फ केवल थोड़े समय के लिए था। बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
ब्रिटिश को नेताजी से बड़ी परेशानी थी। नेताजी से मन ही मन वे डरते थे। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को घर पर नज़र बंद करके रखा था। लेकिन नेताजी ने अपनी चतुराई से वहां से निकल पड़े और सन 1941 को वह रहस्मयी तरीके से देश से बाहर चले गए। लेकिन इसके पीछे उनका एक ही उद्देश्य था, देश को आज़ादी दिलाना।
फिर वह अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगने के लिए वे यूरोप गए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने हेतु रूस और जर्मनों जैसे देशो से की मदद मांगी। नेताजी सन 1943 में जापान गए थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि जापानियों ने भारत को आज़ाद करवाने का उनका प्रस्ताव मंज़ूर किया। जापान में सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन का आरम्भ कर दिया था।
बोस लगातार दूसरे बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। लेकिन गांधी और कांग्रेस के साथ उनके कुछ मतभेद हो गए, जिसके कारण बोस ने इस्तीफा दे दिया। बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के दृष्टिकोण से असहमत थे । गाँधी जी और नेहरू का भली भांति समर्थन ना मिलने का कारण नेताजी ने इस्तीफा दे दिया था।
भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों पर हमला किया। यह हमला सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में हुआ। आई-एन-ए कुछ भागों को लेने में सफल रहा। हालांकि, बोस ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया। नेताजी विमान में बच कर निकल रहे थे, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के कारण विमान संभवतः दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कहा जाता है 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया। लेकिन नेताजी की मौत को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।
कांग्रेस की विचारधाराओं से वे कुछ ख़ास सहमत नहीं थे। इसलिए उन्होंने आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। देश के लोगो ने सुभाष चंद्र बोस के फ़ौज की गठन के लिए काफी मदद की।
निष्कर्ष सुभाष चंद्र बोस के चले जाने से देश को काफी झटका लगा। वे निडर होकर देश की सेवा में लगे रहे। उन्होंने कई कठिनाईओं का सामना किया। नेताजी वीर राष्ट्र नेता थे और आज भी हम सबके दिलो में ज़िंदा है। देशवासी आज भी देशभक्त नेताजी को उतना ही प्यार और सम्मान देते थे, जितना की पहले। ऐसे सच्चे नेताओं की ज़रूरत आज देश को है। हम अपने आपको भाग्यशाली मानते है, नेताजी जैसे नेता ने हमारे देश का नेतृत्व किया और अपने सारे इच्छाओं की कुर्बानी देकर, देश हित को सर्वप्रथम रखा। हम सर झुकाकर ऐसे देशभक्त का नमन करते है। नेताजी के इन्ही गुणों के कारण वह मेरे प्रिय नेता है।

मेरे प्रिय नेता: महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi ji
प्रस्तावना: महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भारतीयों ने सम्मान दिया है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और आदर्श मानवीयता के प्रतीक थे। उनकी अहिंसा, सत्य और आत्म-नियंत्रण की प्रेरणा ने दुनियाभर के लोगों को प्रभावित किया और उनका योगदान आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है।
महात्मा गांधी का जीवन: मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वे एक संगीतकार के पुत्र थे और उनका बचपन आसपास की गांवों में बीता। उन्होंने विद्या प्राप्त की और वकालत की पढ़ाई की, परंतु उनकी आत्म-अभिवादना के चलते उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सत्याग्रह आरंभ किया।
सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग: महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मार्गदर्शन की। उन्होंने विभाजन और शांति के लिए सत्याग्रह का सिद्धांत प्रस्तुत किया और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता ने अपनी आवाज उठाई और स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया।
नमक-चक्र और खिलाफत आंदोलन: महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अनूठी तकनीकें अपनाई, जैसे कि नमक-चक्र और खिलाफत आंदोलन। वे विभाजन को समाप्त करने और हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने के प्रयासों में भी सक्रिय रहे।
स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता: महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता के रूप में अपनी प्रमुखता और दृढ संकल्प दिखाई। उन्होंने सत्य और अहिंसा के प्रति अपने अटूट संकल्प के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दिलाई।
स्वतंत्रता की प्राप्ति: महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेज साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया और उसने अपनी अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्य किया। 1947 में भारत ने आजाद होकर स्वतंत्रता प्राप्त की और महात्मा गांधी की मेहनत और संघर्ष की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
समाज सुधार और आदर्श मानवता: महात्मा गांधी के योगदान का केंद्रिय हिस्सा समाज में सुधार और आदर्श मानवता की प्रोत्साहना था। उन्होंने विभिन्न समाजिक मुद्दों पर अपने विचार और क्रियाएँ साझा की, जैसे कि वर्ण व्यवस्था, असहमति का मूल्यांकन आदि।
आखिरी शब्द: महात्मा गांधी के विचार, सिद्धांत और योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा दिलाया और उनका प्रेरणास्त्रोत बनकर लोग आज भी उनके महान कार्यों को याद करते हैं। उनकी आदर्श मानवता, सत्य और अहिंसा की प्रेरणा हमें आज भी सही मार्ग दिखाती है और हमें उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।

मेरा प्रिय नेता: पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध | Pt. Jawaharlal Nehru
प्रस्तावना: पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और पहले प्रधानमंत्री थे। उनका नाम भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्थायी रूप से स्थापित है। मैं उनकी सोच, कर्मठता और देश के प्रति समर्पण को सराहता हूँ और उनके प्रति आदरभावना रखता हूँ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन: पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और फिर इंग्लैंड में आईआईटी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
नेहरू जी का संघर्ष: नेहरू जी ने गांधी जी के प्रेरणास्त्रोत बनकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उन्होंने भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना के लिए भी प्रसिद्ध थे और उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के रूप में संदर्भित किया जाता है।
प्रथम प्रधानमंत्री: भारत की स्वतंत्रता के बाद, पंडित नेहरू ने पहले प्रधानमंत्री के रूप में देश की कई महत्वपूर्ण पहलुओं को संचालित किया। उन्होंने भारत की सामाजिक, आर्थिक और विज्ञानिक दिशा में विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
शिक्षा और विज्ञान में दृष्टिकोण: नेहरू जी ने शिक्षा को महत्वपूर्ण साधना मानते थे और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाएँ देखने की प्रेरणा दी। उन्हें बच्चों के विकास की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाने का विशेष ध्यान था, जिसका परिणाम स्थानीय और विशेषज्ञ शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रति महत्वपूर्ण योगदान के रूप में दिखाई दिया।
नेहरू जी और शांति: नेहरू जी ने विश्वयुद्ध के बाद भारत को शांति और सहयोग की दिशा में अग्रसर करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं का समर्थन किया। उन्हें विश्वयुद्ध के दुखों और त्रासदियों के बावजूद भारत को विकास और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ने की दिशा में नेतृत्व करने का महत्वपूर्ण काम था।
निष्कर्ष: पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, शिक्षाविद्, और दृढ शांतिप्रेमी थे। उनके नेतृत्व में भारत ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी विचारधारा, दृढता और देशभक्ति हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

मेरा प्रिय नेता: लोकमान्य टिळक पर निबंध | Lokmanya Balgangadhar Tilak
प्रस्तावना: लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और विचारक थे। उनका नाम भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उद्घाटनकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण है। वे गांधीजी के साथ स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रमुख रहे हैं। मैं उनकी सोच, कार्यक्षमता और देशप्रेम को सराहता हूँ और उनके प्रति आदरभावना रखता हूँ।
लोकमान्य टिळक का जीवन: लोकमान्य टिळक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चुंद्रपूर गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पुणे और बेनारस विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने विशेष रूप से संस्कृत और वेदांत की अध्ययन किया और उन्हें विचारधारा में मजबूती प्राप्त हुई।
विचारों का प्रवर्धन: लोकमान्य टिळक ने ‘स्वराज्य हमारी जन्मसिद्ध हक्क आहे, आणि तो मिलेल’ (स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध हक्क है, और वह मिलेगा) यह उक्ति देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति उनके प्रतिबद्धन का प्रतीक है। उन्होंने देशभक्ति के उद्देश्य के लिए महाराष्ट्रीय लोगों को उत्तेजित किया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: लोकमान्य टिळक ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सख्त विरोध किया और उन्होंने विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम के अभियानों का संचालन किया। उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नामक पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया और उन्हें आजादी की दिशा में प्रेरित किया।
शिक्षा के प्रति समर्पण: लोकमान्य टिळक ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण उपाय मानते थे जो लोगों को आदर्श नागरिक बनाता है। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा को महत्व दिया और उन्हें समाज में समानता की दिशा में अग्रसर करने के लिए उत्साहित किया।
निष्कर्ष: लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता और विचारक थे। उनके नेतृत्व में लोगों की आवश्यकताओं की पहचान होती थी और उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता से काम किया। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है और हम सभी को उनके महान कार्यों का सम्मान करना चाहिए।

मेरे प्रिय नेता: नरेंद्र मोदी पर निबंध | Narendra Modi
प्रस्तावना: नेता वह व्यक्ति होता है जिसका दिल देश और समाज की सेवा में लगा रहता है। एक अच्छा नेता अपने लोगों के प्रति कर्तव्यभावना और समर्पण से भरपूर होता है और वह उनके सुख-समृद्धि की प्राथमिकता को समझता है। मेरे प्रिय नेता के बारे में यह निबंध लिखने जा रहा हूँ, जिनका मैं गहरा समर्थन करता हूँ और उनकी सोच, कार्यक्षमता और नेतृत्व को प्रेरणा स्रोत मानता हूँ।
मेरे प्रिय नेता – नरेंद्र मोदी: मेरे प्रिय नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम आता है। वह भारतीय राजनीति में अपने प्रगतिशील सोच और कर्मठता से प्रसिद्ध हैं। मैं उनके दृढ़ नेतृत्व को सलाही देता हूँ, जिनसे वह देश की सर्वांगीण विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
नरेंद्र मोदी जी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर जिले के वडनगर गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी जीवनी में गरीबी और संघर्षों से गुजरकर कड़ी मेहनत और समर्पण से अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। उनका संघर्ष एक सामाजिक कार्यकर्ता से राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने की उनकी कड़ी मेहनत और निष्ठा का प्रतीक है।
नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व उनके सकारात्मक दृष्टिकोण, विकास के प्रति अपनी संकल्पित भावना और निष्ठा में छिपा होता है। उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत के साथ देश के विकास में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
नरेंद्र मोदी जी का सपना ‘न्यू इंडिया’ की रचना करना है, जिसमें देश का युवा पीढ़ी विश्वस्तरीय तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करे और उच्चतम आदर्शों का पालन करने में समर्थ हो। उनके नेतृत्व में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे महत्वपूर्ण समाजिक योजनाओं की शुरुआत हुई, जो समाज में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
नरेंद्र मोदी जी का सख्त नेतृत्व और समर्पण देश को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्वित करता है। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की शुरुआत की, जिससे देश की आर्थिक मजबूती में सुधार हुआ है।
नागरिकों के प्रति उनकी सेवा भावना और देश के विकास के प्रति उनकी समर्पणशीलता ने मुझे उन्हें मेरे प्रिय नेता के रूप में चुनने के लिए प्रेरित किया है।
निष्कर्ष: मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी जी के दृढ नेतृत्व, सकारात्मक सोच और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता ने मुझे आदर्श और प्रेरणा स्रोत के रूप में प्राप्त किया है। उनके कार्यों से पता चलता है कि सच्चे नेता किस प्रकार से देश के विकास में योगदान कर सकते हैं।
इस प्रकार, मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत को विकास और समृद्धि की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाते देखने में मुझे गर्व होता है।

मेरा प्रिय नेता: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पर निबंध | Dr BabaSaheb Ambedkar
प्रस्तावना: डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, जिन्हें हम सम्मान से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से जानते हैं, एक महान समाजसेवी, विचारक और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता रहे हैं। उनके योगदान ने भारतीय समाज को सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने में मदद की है।
जीवनी: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के माऊ गांव में हुआ था। वे दलित समुदाय से संबंधित थे और उन्होंने अपने जीवन में दलितों के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प लिया। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से शिक्षा प्राप्त की और बाद में विदेश में पढ़ाई की।
समाजसुधारक दृष्टिकोण: बाबासाहेब आंबेडकर ने समाज की बदलावपूर्ण सोच और समाज सुधार के प्रति अपनी समर्पितता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए संघर्ष किया और उन्होंने उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए जागरूक किया।
भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता: डॉ. आंबेडकर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारतीय संविधान की तैयारी में था। उन्होंने संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया और संविधान के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मूल अधिकारों की रक्षा की और भारतीय संविधान को सम्पूर्णता से तैयार किया।
शिक्षा के प्रति समर्पण: डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण साधना माना और उन्होंने दलित समुदाय के लोगों को शिक्षा प्रदान करने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने उन्हें जागरूक किया कि शिक्षा केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होती, बल्कि यह समाज में उन्नति और समाज सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निष्कर्ष: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय समाज के उत्थान और समाजिक सुधार के प्रति अपने अद्भुत संकल्प और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका योगदान भारतीय समाज को समाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में स्मृति में बना रहेगा।

मेरा प्रिय नेता: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध | APJ Abdul Kamal Azad
प्रस्तावना: भारतीय ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को हम सर्वप्रिय नेता के रूप में सम्मान देते हैं। उनका जीवन और उनके योगदान ने हम सभी को प्रेरित किया है और उनके नेतृत्व में भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
जीवनी: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा तमिलनाडु में पूरी की और फिर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
वैज्ञानिक योगदान: अब्दुल कलाम ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने योगदानों से दुनियाभर में पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संचालन किया, जैसे कि चंद्रयान-1 और अग्नि मिसाइल के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
शिक्षाकर्म: अब्दुल कलाम ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाया। उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझाया और छात्रों को यह सिखाया कि वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करें। उनकी मोतिवेशनल कविताएँ और उनके शिक्षानिष्ठ भाषण हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
परम्परागत संविधान के पक्षधर: अब्दुल कलाम का आदर्श और संविधान ने हमें दिखाया कि व्यक्तिगत और व्यक्तिगत सीमाओं से ऊपर उठकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी से प्रेरित किया कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना करें और समाज में उन्हें सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में जुटने की प्रेरणा दी।
निष्कर्ष: ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमारे समय के एक महान नेता थे जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदानों से हमारे देश का मानविक और वैज्ञानिक उत्थान किया। उनकी दृढ़ इच्छा, प्रेरणादायक वाणी और सेवाभावी मानसिकता ने हमें सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। वे एक सजीव उदाहरण थे कि संघर्ष और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
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