जल संचय पर निबंध

जल की कमी की समस्या को सुलझाने के लिए जल संरक्षण ही पानी को बचाना है। पूरे विश्व में पानी की भरी कमी देखने को मिल रही है। पानी की कमी के चलते आम जनता को पानी पीने और खाना बनाने के साथ-साथ रोजमर्रा के कई कार्यों को पूरा करने के लिए जरूरी पानी के लिए लंबी-लंबी कतार में लगना पड़ता और कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं, देश में कई जगह ऐसी भी है, जहां पानी आराम से घरों तक पहुंच रहा है और लोग अपने दैनिक जरूरतों से ज्यादा पानी बर्बाद कर रहें हैं। हम सभी को जल के महत्व और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझना चाहिए। आज हमारे लेख का विषय है जल संचय या जल संरक्षण पर निबंध, चलिए शुरुआत करते है।

जल संचय

जल ही जीवन है, यह तो हमने सुना ही है। अगर धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखना है, तो जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना जल के जीवन असभव है। पूरे ब्रह्माण्ड में धरती एक ऐसा ग्रह है, जहां जीवन और पानी दोनों चीजे मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, राजस्थान में लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं, क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिए लंबी-लंबी कतार में और कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उनका पूरे दिन इसी में निकल जाता है।

जल का कैसे करें संरक्षण?

  1. हम सभी को अपनी बाग-बगीचे में तभी पानी देना चाहिए, जब उन्हें पानी की जरुरत हो।
  2. पानी के बचाव के लिए सूखा अवरोधी पौधा लगाएं।
  3. पाइपलाइन और नलों के जोड़ों को हमेशा ठीक रखें। लीक होने पर प्रतिदिन आपके लगभग 20 गैलन पानी बर्बाद करता है।
  4. कार की सफाई कर रहे है, तो उसे धोने के लिए पाइप का यूज न करें, बल्कि बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें, जिससे पानी व्यर्थ नहीं होगा।
  5. कपड़े और बर्तन धोने के लिए मशीनों का यूज करें, जिससे पानी कम खर्च होगा।
  6. पानी को बचाने के लिए शौच के समय पानी का कम-से-कम इस्तेमाल करें।
  7. फल और सब्जियों को धो रहे है, तो खुले में ना धोए, बल्कि भरे हुए पानी के बर्तन में धोना चाहिये, जिससे पानी कम बेस्ट होगा।
  8. बरसात के पानी को स्टोर करके रखे, जिसका यूज आप शौच, उद्यानों को पानी देने आदि के लिए कर सकते है।
  9. आप स्नान कर रहे है, तो शावर की जगह बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें।
  10. सेविंग करते समय पानी का कम-से-कम इस्तेमाल करें।

जल संरक्षण की आवश्यकता

दिन-पर-दिन भारत ही नहीं विश्व में आबादी बढ़ने लगी है और साथ ही उद्योग, कारखानों आदि में भी तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसके लिए जल स्रोतों की आवश्यकता रहती है। मगर पानी की कमी के चलते हमारे पास जल का सीमित संग्रह ही बचा हुआ है। ऐसी स्थिति में जल संरक्षण ही एक मात्र उपाय है, जो कि हमें और हमारे आने वाली पीढ़ी को इस संकट से बचा सकता है।
जल की कमी के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा और आगे चलकर पर्यावरण की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। जिसका असर वन उपवन और वन्य जीव पर भी पड़ेगा।

जल संरक्षण की क्या है उपयोगिता

  1. घरेलू में उपयोग
  2. कृषि कार्य में उपयोग
  3. करखानों में उपयोग

1- घरेलू में उपयोग
नहाने, बर्तन धोने, वाहन धोने के साथ-साथ अपने घर की साफ-सफाई में संरक्षित जल का उपयोग कर सकते है। ऐसा करने से साफ जल की बर्बादी कम होगी।

2- कृषि कार्य में उपयोग
वर्षा का जल कृषि के लिए बेहद उपयोगी होता है। ऐसे में हम कृषि में सिंचाई के लिए संरक्षित जल का प्रयोग कर सकते है। बता दें, बारिश के पानी में अम्ल की मात्रा बहुत कम होती है, जो कि भूमि के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ पैदावार भी काफी अच्छी हो सकती है।

3- कारखानों में उपयोग
संरक्षित जल का यूज कारखानों में भी कर सकते है। ऐसा करने से साफ पानी की खपत कम होगी।

जल संरक्षण अधिनियम क्या है?

जल प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण के लिए जल संरक्षण अधिनियम 1974 के अंतर्गत गठित केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा समय-समय पर नदी और जलाशयों के प्रदूषण का सर्वेक्षण करना, औद्योगिक बहाव की निगरानी करना, प्रदूषित जल के उपचार की सस्ती विधियों का विकास करना आदि के लिए नियम कानून और सख्त किए जाए, जिनका अनुपालन सभी के लिए अनुकरणीय हो। ऐसा नहीं होने पर इस स्थिति में कड़े दंड दिए जाने एवं कठोर कानून कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित हो तभी जल प्रदूषण पर लगाम एवं जल संरक्षण को विकसित किया जा सकता है।

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