सिंगल प्लास्टिक यूज पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक, सिंगल प्लास्टिक का उपयोग धरती के प्रत्येक जीवंत प्राणी के लिए हानिकारक है। सरकार द्वारा इसके प्रयोग को रोकने के लिए विभिन्न अभियान शुरू किए गए हैं। आज हम आपके लिए सिंगल प्लास्टिक यूज विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। सिंगल प्लास्टिक यूज पर सारगर्भित निबंध निम्नलिखित है…….

प्रस्तावना: हर साल लाखों टन में पॉलीथिन का उत्पादन किया जाता है। जिसके बाद पॉलीथिन तथा पॉलीथिन की वस्तुओं को कचरे में रीसाइकल के लिए फेंक दिया जाता है। लेकिन रीसाइकल ना हो पाने के कारण यह पॉलीथिन पर्यावरण के लिए अभिशाप बन जाती है। पर्यावरण का मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पॉलीथिन के उपयोग से होना वाला पर्यावरण का नुक़सान मानव अथवा प्राणी जीवन के लिए बेहद घातक है।

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है?

सिंगल यूज प्लास्टिक से अभिप्राय है, एक ऐसी प्लास्टिक जिसका उपयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है। सामान्य भाषा में इस प्रकार की प्लास्टिक को डिस्पोजेबल प्लास्टिक कहा जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक के अन्तर्गत प्लास्टिक की थैलियां, प्लास्टिक के गिलास व चम्मच, पानी की बोतलें, खाद्य पद में प्रयोग होने वाली पैकिंग प्लास्टिक शामिल हैं। इस प्रकार की प्लास्टिक का उपयोग रिसाइकिल में भी नहीं किया जाता। प्रयोग के बाद इस प्लास्टिक को कचरे में डाल दिया जाता है। जोकि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित होता है।

सिंगल प्लास्टिक के यूज से पर्यावरण को नुक़सान: सामान्यतः सिंगल प्लास्टिक का यूज करके आमतौर पर लोग इसे फेंक देते हैं। जिसके बाद मिट्टी वाली सतह पर यह पॉलीथिन दब जाती है। इसके अतिरिक्त जब यह पॉलीथिन नाली-नालों में फेंकी जाती है। इनके माध्यम से पॉलीथिन समुद्र तक पहुंच जाती हैं। पॉलीथिन मिट्टी तथा पानी में पहुंचते ही छोटे कणों में विघटित हो जाती है। इसके अतिरिक्त पॉलीथिन सौ से अधिक वर्षों तक पानी तथा मिट्टी में व्याप्त रहती है। धीरे धीरे करके अधिक मात्रा में पॉलीथिन के विषाक्त रसायन बाहर निकलते रहते हैं। जो कि धरती के सुन्दर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इस प्रकार पॉलीथिन जल, मृदा तथा प्राणियों को आंतरिक रूप से नुकसान पहुंचाती है।

सिंगल प्लास्टिक यूज पर बैन लगाने का कारण: पॉलीथिन के उपयोग के कारण पर्यावरण में पैदा होने वाला प्रदूषण नियंत्रण करना बेहद मुश्किल है। यह समस्या संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय है। पॉलीथिन को दोबारा प्रयोग करना मुश्किल है। पॉलीथिन के कचरे में डलने तथा जलने से जो धुआं निकलता है वह हवा में विषैली गैस के रूप में फैलता है। इस प्रकार की परिस्थितयों पर गौर करते हुए, सरकार द्वारा सिंगल प्लास्टिक यूज पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया जाता रहा है।

निष्कर्ष: सिंगल प्लास्टिक यूज एक ऐसा पदार्थ है, जो कि रसायनों से बना हुआ है। इसका प्रयोग प्रकृति की लिए हानिकारक है। मनुष्य के साथ साथ यह जानवरों की जान के लिए भी घातक है। अतः सरकार द्वारा इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास सफल होना आवश्यक है।

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