हिरोशिमा दिवस पर निबंध

परमाणु बम का निर्माण 1941 में तब शुरू हुआ जब नोबेल विजेता वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रूजवेल्ट को इस प्रोजेक्ट को फंडिंग करने के लिए राजी किया था। 6 अगस्त यानी कि आज ही दिन हिरोशिमा में परमाणु हमला हुआ था। आज हिरोशिमा दिवस को एक शोक दिवस के रूप में याद किया जाता है। आज हम इस लेख में हिरोशिमा दिवस पर निबंध लिखेंगे और जाने के आखिर हिरोशिमा में किस तरह से हमला हुआ था।

हिरोशिमा दिवस क्या है?

अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 के दिन जापान के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही मची थी। उस दौरान हिरोशिमा की 3.5 लाख की आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक झटके में ही मारे गए। बता दें, मारे गए लोगों में अधिकांश आम नागरिक, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं थीं। परमाणु बम के हमले के कई सालों तक अनगिनत लोग विकिरण के प्रभाव से मरते रहे। अमेरिका इतने पर ही नहीं रुका हमले के तीन दिन बाद ही यानि कि 9 अगस्त को ‘फ़ैट मैन’ नामक प्लूटोनियम बम नागासाकी पर गिराया गया, जिसमें अनुमानित 74 हज़ार लोग विस्फोट और गर्मी के कारण मारे गए।

हिरोशिमा पर कैसे हुआ हमला?

जापान के चेतावनी राडार ने हमले के लगभग 1 घंटे पहले दक्षिण जापान की ओर बढ़ रहे अमेरिकी विमानों को चिह्नित करके सम्भावित हवाई हमले की रेडियो से चेतावनी दे दी थी। बता दें, सुबह लगभग 8 बजे हिरोशिमा के राडार चालक ने देखा कि विमानों की संख्या केवल 3 ही है, इसलिये उसने माना कि यह टोही विमान हैं और कोई हमला नहीं होने जा रहा। अपने ईंधन और हवाई जहाजों को बचाने की दृष्टि से जापानी वायुसेना ने अमेरिकी जहाजों पर प्रतिरोधी हवाई आक्रमण नहीं किया। बता दें, हिरोशिमा पर गिराए जाने वाले बम का फैसला केवल एक घंटे पहले लिया गया था।


हमले के बाद 7 अगस्त से 9 अगस्त के बीच जापान के सम्राट हिरोहितो और उनकी युद्ध सलाहकार समिति समर्पण के स्वरूप और शर्तों पर विचार कर रही थी, मगर अमेरिका सरकार को अपने एक और बम का परीक्षण कर प्रभाव का सटीक आकलन करना था और उसे दुनिया को दिखाना भी था। इसलिए जापान के समर्पण तैयारी को जानते हुए भी 9 अगस्त को दक्षिणी जापान के बन्दरगाह नगर नागासाकी पर 11 बजकर, 1 मिनट पर 6.4 किलो प्लूटोनियम-239 वाला ‘फैट मैन’ नाम का दूसरा बम गिराया गया।
अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी शहर ही क्यों चुना

हिरोशिमा और नागासाकी के चुने जाने के पीछे कई कारण थे। ट्रूमन चाहते थे कि शहर ऐसे हों जिन पर बम गिराने का पर्याप्त असर हो, सैन्य उत्पादन इनमें प्रमुख था, जिससे कि जापान की युद्ध क्षमता को सबसे बड़ा नुकसान हो सके। इसके लिए हिरोशिमा शहर उपयुक्त था। उस दौरान यह जापान का सातवां बड़ा शहर था, जो अपने देश की दूसरी सेना और चुगोकु सेना का हेडक्वार्टर हुआ करता था। इसमें देश के सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति भंडार गृह थे।

तबाही के निशां अभी तक मोजूद?

हिरोशिमा परमाणु हमलों के बाद रेडियोएक्टि विकिरण के शिकार जापानी लोगों की अदालती लड़ाई 76 साल बाद अब भी जारी है। बता दें, अभी पिछले महीने ही वहां के हाईकोर्ट ने काली बारिश के पीड़ित 84 लोगों की याचिका पर उन्हें मेडिकल सुविधाएं देने के पक्ष में फैसला दिया था।

निष्कर्ष

जापान के हिरोशिमा शहर पर 73 साल पहले हुए खतरनाक हमले का आज भी असर दिखाई देता हैं। बड़ी संख्या में यहां के बच्चे विकलांग रूप में ही जन्म लेते हैं। इतने सालों बाद आज भी उन जहरीले विकिरणों के कारण हजारों लोग कैंसर और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों से अपना जान गवाते हैं।

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