नारी सशक्तिकरण पर निबन्ध

पूजनीय वह सदा रहेगी,
अतिशय ज्ञानवान गुणकारी,
प्रकट हुई जो बनके दुर्गा,
लक्ष्मी और झलकारी।

नारी संपूर्ण सृष्टि की आधारशिला है. नारी के बिना जीवन की कल्पना करना भी व्यर्थ है. आज के समय में अधिकतर नारियां अपने नाम के साथ साथ देश का गौरव भी बढ़ा रही है. लेकिन इसी बीच नारियों को एक वर्ग ऐसा भी देखा जाता है, जहां अभी भी स्वयं को सक्षम करने की जागरूकता कम नजर आती है.नारी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नारी सशक्तिकरण के कई कामयाब अभियान शुरू किए हुए. जिसके माध्यम से नारियों में नई प्रेरणा जाग्रत हुई.

आज हम आपके लिए नारी सशक्तिकरण विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं. यह निबंध विद्यार्थियों के स्कूल/प्रतियोगिता में बेहतर परिणाम के लिए उपयोगी है.

नारी गौरव है सृष्टि का,
जीवन पुष्प खिलाती
कभी शक्ति से, कभी प्यार से
बगिया को महकाती।

प्रस्तावना: नारी सृष्टि की निर्मात्री, ममता की स्नेहमयी मूर्ति, त्याग, समर्पण की प्रतिमा तथा स्नेह एवं सहानुभूति की अनुपम कृति है. एक ओर वह गृह की संचालिका है इसलिए गृह लक्ष्मी है, दूसरी ओर वह बालक की प्रथम शिक्षिका है इसलिए गुरु समान मां भी है. कुल मिलाकर नारी में प्रत्येक गुण मौजूद है. आवश्यकता, यह है कि नारी अपने गुणों का प्रयोग अपने सशक्तिकरण के लिए प्रयोग करें.

इतिहास युग से लेकर आधुनिक युग की नारी: प्राचीनकाल से ही भारतीय नारी को पुरुष का पूरक माना जाता है, समाथ धार्मिक अनुष्ठान नारी के बिना अधूरे माने जाते हैं. प्राचीनकाल में भी नारी को शिक्षित तथा अनेक गुणों में निपुण बनाया जाता है. जिसका स्पष्ट उदाहरण यह नारियां हैं – मैत्रियी, गार्गी, अनुसूया आदि. ये ऐसी नरिया थी जिन्होंने बड़े बड़े विद्वानों को अपनी प्रतिभा से परास्त किया. परंतु मध्यकाल में नारी पुरुषों की दासी बनकर रह गई. घर की चार दीवारों और कई रूढ़िवादी मानसिकता के पीछे नारियों की कला व प्रतिभा को छुपा दिया गया. लेकिन समय सदैव एक सा नहीं रहता है.

आधुनिक युग में परिस्थितियों में परिवर्तन हुआ तथा लोगों की मानसिकता को बदला जाने का प्रयास शुरू किया गया. भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नारी को पुनः पुरुष के समकक्ष दर्जा दिया गया. नारियां अपने अपने स्तर पर पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर चलने आगे बढ़ रही हैं.

आधुनिक युग की सशक्त नारियों का प्रयास: आज के समय पुरुष की तुलना में महिलाओं की कार्यक्षमता तथा योग्यता में भी कोई कमी नहीं है. भारत में पंचायतों में जहां भी गांव की महिलाएं निर्वाचित हैं, दक्षतापूर्वक अपना कार्य कर रही हैं. आज युवा वर्ग की नारियां डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक आदि बनने का सपना देखती हैं. सेना में तैनात होने वाली महिलाएं देश की सेवा करती हैं. इस प्रकार नारियों का बोलबाला हर क्षेत्र में सबसे अधिक है.

नारी सशक्तिकरण की योजना: बेशक आज की नारी किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है. लेकिन इसके बाबजूद कुछ जगहों पर अभी भी नारियां अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं. उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास तब पूरा होगा जब समाज की हर एक नारी शिक्षित होगी, अपने हक तथा न्याय के विषय में पूर्ण जानकारी रखेंगी तथा लड़ने की हिम्मत रखेंगी. समाज में नारी सशक्तीकरण का नारा तब तक कायम रहेगा जब तक देश की हर महिला सशक्त नहीं बन जाती.

निष्कर्ष: आज की नारी समाज में दोहरी भूमिका निभा रही है. एक ओर तो वह गृहिणी है तथा अपने परिवार के उत्तरदायत्वों से बंधी हैं तो वही दूसरी वह स्वाबलंबी बन अनेक क्षेत्रों में कार्यरत है. वास्तव में हम यही चाहते हैं कि प्रत्येक नारी अपने परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ही स्वयं को भी सशक्त बनाए रखें.

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