कोरोना वायरस के दौरान जीवन और कार्य पर निबंध

कोरोना काल में जीवन और कार्य पर निबंध।
कोरोना वायरस के दौरान जीवन और कार्य पर निबंध

जैसा की हम सब जानते है , कोरोना वायरस ने समस्त दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना वायरस ने पहले चीन पर प्रहार किया और देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपने पंजो में जकड़ लिया।भारत में 46  लाख के पार कोरोना केसेस हो गए है लेकिन लोग जल्दी ठीक भी हो रहे है।  सामाजिक दूरी , कोरोना वायरस से दूर रहने का एकमात्र उपाय है और साथ ही स्वच्छता भी ज़रूरी है। इस साल के शुरुआत से ही हम कोरोना वायरस संकटकाल की विषम परिस्थितियों को झेल रहे है। कई महीनो के लॉकडाउन के कारण , बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अभी पहले की तरह लोग निर्भय होकर कहीं जा नहीं सकते है।  कहीं पर जाने के लिए हमे मास्क, सांइटिज़ेर और ग्लव्स इत्यादि पहनना पड़ता है और लोगो से दूरी बनाये रखनी पड़ती है।

लॉकडाउन में लोगो ने कौशल क्षेत्र से संबंधित नयी चीज़ें सीखी।  गिटार बजाने से लेकर , फोटोग्राफी और चित्रकारी जैसे कौशल लोगो ने सीखे और उन्हें वक़्त दिया। इसने  बहुत हद तक लोगो को व्यस्त रखा।

कोरोना वायरस के  दौरान जीवन शैली बहुत प्रभावित हुयी है। कोरोना वायरस के कारण हमारे जीवन में बहुत बदलाव किये है। लोग अपने आस पास स्वच्छता को बनाये रख रहे है। घरो और आसपास के स्थानों में सफाई और सनीटाइज़शन की मांग बढ़ रही है। बच्चो  से लेकर बड़े अपने हाथों को रोज़ाना साफ़ कर रहे है। कोरोना वायरस के वक़्त लोगो ने अपने जीवन में रचनात्मक चीज़ो को एहमियत देना शुरू कर दिया है। लोग अपने घर से दफ्तर का कार्य कर रहे है।  लोग इंटरनेट पर अब ज़्यादा निर्भर हो गए है क्यूंकि सारे काम घर से इंटरनेट के बैगर असंभव है। छोटी बड़ी आईटी कम्पनीज सारे कार्य घर से कर रहे है।  जब तक स्थिति सामान्य ना हो जाए , तब तक ऐसे ही कार्य करने के लिए सब विवश है। हमने वर्क फ्रॉम होम की प्रथा को अपना लिया है।

हम किसी से हाथ ना मिलाकर , नमस्ते कर सकते है।  नमस्ते बरसो से चली आ रही , भारतीय संस्कृति  की परंपरा है। हालत ऐसे है , जो फिलहाल किसी से भी हाथ मिलाने की इज़ाज़त हमे  नहीं देता  है। संसारभर में लोगो ने  भी हमारे देश की इस प्रथा को अपनाया है।

लॉकडाउन में शिक्षा क्षेत्र में काफी परिवर्तन आया  है।  इस साल कोरोना संकटकाल के कारण स्कूल , कॉलेज खुल नहीं पाए है। जिसकी वजह से ऑनलाइन शिक्षा पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए , ऑनलाइन शिक्षा और दूरस्थ इंटर्नशिप जैसे माध्यमों को बढ़ावा मिला है।  विद्यार्थी शिक्षा से वंचित ना रहे , इसलिए ऑनलाइन शिक्षा को आरम्भ किया गया है। हाल ही में नीट और जी परीक्षाओं में सामाजिक दूरी और ज़रूरी चीज़ो का ध्यान रखा गया और कई राज्य सरकारों ने परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक  निशुल्क यात्रा प्रदान करवाई।

कोरोना वायरस के दौरान कार्य शैली में भी कई परिवर्तन हुए है। कई लोगो ने अपनी नौकरी इस संकटकाल में गंवाई। कई लोगो को अपनी आय भी प्राप्त नहीं हो पायी है। इस संकटकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरीके से प्रभावित हुयी है। इसी दौरान गरीब मज़दूरों और लघु , कुटीर उद्योगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी है।   इस संकटकाल में भारत की जीडीपी -23 .8 हो गयी है।  लेकिन फिर भी भारत सरकार अपनी तरफ से पूरी चेष्टा कर रही है ताकि अर्थव्यवस्था को जल्द पटरी पर लाया जाए। भारत में कई उद्योगों को इस समय आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।  लेकिन फिर से नए सिरे से सब कुछ ठीक करने की कोशिशे सरकार द्वारा की जा रही है।

लॉकडाउन के कारण लोगो की दैनिक आवाजाही रुक  गयी है , जिसके कारण  कुछ लोग तनाव में आ गए है। तनाव और परेशानी का मुख्य  कारण आर्थिक परिस्थितियां है। हमे  और सरकार को समाजिक रूप से एक बेहतर  भविष्य निर्माण करना होगा , जिससे की हम देश के अर्थशास्त्र को बदल सके। गैर सरकारी कई कंपनियों पर इस संकटकाल के कारण ताला लग गया है।

सुरक्षा की दृष्टि से लोगो के घर और दफ्तरों में बदलाव किये जा रहे है। ज़्यादातर  आईटी और मार्केटिंग कंपनी में काम कर रहे कर्मी घर के एक हिस्से को दफ्तर के रूप में परिवर्तित कर रहे  है। कहा जा रहा है की कोरोना महामारी के खत्म होने  के पश्चात  घर और ऑफिस के डिज़ाइन  में ज़रूरी परिवर्तन किये जाएंगे। लोग समाजिक दूरी के कारण बहुत अधिक सुरक्षा में बाहर निकल रहे है। तेज़ी से हो रहे औद्योगीकरण  की रफ़्तार कम होगी और कुछ लोग शहरों से छोटे शहरों की ओर रुख कर सकते है।

हमारे जीवन शैली में डिजिटल वर्ल्ड का काफी प्रभाव पड़ा है । हम सारे ऑनलाइन पेमेंट घर से पेमेंट ऐप द्वारा कर रहे है। ऑनलाइन बैंकिंग से लेकर शिक्षा सभी कार्य डिजिटल वर्ल्ड की वजह से संभव हो पाया है। लॉकडाउन के इस समय में किसी भी प्रकार की जानकारी लोगो को इंटरनेट पर निशुल्क प्राप्त हो रही है।

दफ्तरों के डिज़ाइन में बदलाव होंगे , दरवाज़े आटोमेटिक होंगे।  लिफ्ट के लिए आपको अपने हाथों का इस्तेमाल करना नहीं पड़ेगा। लिफ्ट में आवाज़ तकनीक का इस्तेमाल होगा। हमेशा की तरह सफाई और सैनिटाइज़शन पर ध्यान दिया जाएगा। मीटिंग कमरे का डिज़ाइन बदल जाएगा। दफ्तरों में सहकर्मी एक दम दूर बैठेंगे। शोधकर्ताओं का मानना है कि वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग ,ऑनलाइन मीटिंग इत्यादि नयी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।

आजकल लोग फ्लैट में कम ओर घरो में रहना  पसंद कर रहे है क्यों  कि वहां ज़्यादा लोग नहीं होंगे। इससे परिवार सुरक्षित रह पाएंगे। लोगो को अब पास में रह रहे पड़ोसियों से संक्रमित होने का भीषण भय सता रहा  है। लोग अब छोटे घरो को ज़्यादा माईने देंगे , क्यूंकि वहां खुला छत ओर आँगन होता है।

यातायात के सीमित साधनो की वजह से प्रकृति अभी कम प्रदूषित हो रही है। पहले कुछ महीनो की तुलना में अब लोग धीरे धीरे घर से दफ्तर इत्यादि के लिए बाहर निकलने की कोशिश कर रहे है , लेकिन सावधानी   और सतर्कता के साथ।  लोग पहले के तुलना में प्रकृति के नज़दीक आ गए है और अपना समय बागवानी में बिता रहे है।

निष्कर्ष कोरोना वायरस संकटकाल में लोगो के जीवन और कार्य में काफी परिवर्तन आये है। आये दिन हम अपने जीवन में इस बदलाव को महसूस कर रहे है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के सभी देशो ने अपने आर्थिक व्यवस्था में गिरावट देखी है। हमारे खान पान और रहन सहन में काफी बदलाव आया है। वर्तमान में हमे इन परिस्थितियों के मुताबिक  जीवन को समायोजित करना पड़ेगा। भविष्य में इसके साथ ही हम जीना सीख जाएंगे। उम्मीद है कि हम जल्द इस कोरोना संकटकालीन परिस्थितियों से बाहर निकलेंगे और फिर से  एक साधारण जीवन जी पाएंगे।

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