पंडित श्री राम शर्मा आचार्य निबंध, जीवनी

युग सृजेता पंडित श्री राम शर्मा आचार्य

भारत जिसे महापुरुषों की जन्मस्थली कहा गया है जो पूरे विश्व में अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है वह धरती जहां महात्मा गांधी, सुभाष चंद्रबोस ,स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस जैसे महान विभूतियों ने जन्म लिया जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता एवं निर्माण के लिए अहम भूमिका निभाई जिनसे की हम भलीभांति परिचित हैं।

परंतु आज मैं यहां उन महापुरुष के बारे में चर्चा करना चाहूंगी जिन्होंने न केवल भारत की स्वतंत्रता में अपना महान योगदान दिया अपितु मानव समाज की सुरक्षा के लिए जप एवं तप भी किया ऐसे महान पुरुष हमारे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी, हरिद्वार में स्थित शांतिकुंज जो कि एक पवित्र धार्मिक स्थान है की स्थापना आचार्य जी ने ही की थी आचार्य जी मां गायत्री के परम उपासक थे उनके द्वारा संकलित अखंड ज्योति पत्रिका आजादी के पूर्व से ही प्रकाशित हो रही है आचार्य जी ने बहुत सारी पुस्तकें लिखी एवं अपने विचारों को इन पुस्तकों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया वह स्वामी विवेकानंद, महात्मा बुद्ध के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित थे उन्होंने हमेशा सादा जीवन व्यतीत किया उन्होंने जिस संगठन का निर्माण किया वह गायत्री परिवार के नाम से प्रसिद्ध हुआ उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से जन-जन तक लोक कल्याण की भावना का प्रचार प्रसार किया।

वर्तमान समय में लोग शारीरिक एवं मानसिक अवसाद से पीड़ित है उन्होंने इन विषयों पर बहुत सारी पुस्तके लिखी वर्तमान समय में शांतिकुंज हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय है जिसकी भविष्यवाणी आचार्य जी ने काफी समय पहले ही कर दी थी आज लोग देश- देश से शिक्षा प्राप्त करने इस विश्ववद्यालय में आते हैं ।

आचार्य जी ने कहा है कि जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था तुम अपना जीवन ऐसे जियो कि जब तुम्हारी मृत्यु हो तो पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ से उन्होंने हमेशा से भारत देश की अखंडता एवं एकता पर जोर दिया और  भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।

यह कार्य अभी भी चल रहा है उनके संस्था के माध्यम से वैसे पूज्य आचार्य जी ने 3२०० से ज्यादा पुस्तकें लिखी परंतु उनकी मुख्य पुस्तकें हैं परिवार निर्माण, तनाव प्रबंधन, जीवन जीने की कला, भारतीय संस्कृति,समाज निर्माण इत्यादि। किसी भी देश की शक्ति उसके नागरिकों में समाहित होती है परंतु आज हमारे देश का युवा भटका हुआ है और यदि हम आचार्य जी की पुस्तकों में से किसी एक का भी प्रतिदिन अध्ययन करते हैं तो हम इन भटके हुए युवाओं को सही राह दिखा सकते हैं अब मैं इसलेख को आचार्य जी की कुछ लाइनों से समाप्त करना चाहूंगी

जीवनमैं सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए भोजन कोई भी सफलता बिना आत्मविश्वास के मिलना संभव नहीं है।

जागृति अस्थाना- लेखक

#संबंधित :- Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी  निबंध। 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top