विद्यार्थियों पर  बढ़ते तनाव पर निबंध

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आज के युग में सभी विद्यार्थी सफलता पाना चाहते है। सबको नब्बे फीसदी से ऊपर चाहिए ताकि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके। विद्यार्थियों  हमेशा परीक्षा , असाइनमेंट और गृहकार्य में डूबे रहते है।  हफ्ते में एक दिन छुट्टी में भी विद्यार्थियों को सिर्फ पढ़ाई करनी पड़ती है। आजकल अभिभावक ज़रूरत से ज़्यादा महत्वाकांक्षी  हो गए है।  विद्यार्थियों के मम्मी पापा अक्सर अपने बच्चो पर पढ़ाई को लेकर दबाव डालते  है। यही वजह है कि विद्यार्थी हमेशा तनाव में रहते है।सभी छात्र टॉप करने के चक्कर में तनावग्रस्त रहते है।  छात्र पढ़ाई से संबंधित विषयो की तैयारी करते रहते है और काफी व्यस्त  हो जाते  है। कुछ छात्र समय विभाजन ठीक से जब कर नहीं पाते है तो उनके अंदर तनाव पनपने लगता है।

अत्यधिक तनाव की वजह से वह अपनों से दूर हो जाते है।  अगर उन्हें उनका लक्ष्य ना मिला तो वे चिड़चिड़े से हो जाते है। परिवार के सदस्यों को विद्यार्थियों से काफी उम्मीदें रहती है। इन्ही उम्मीदों पर खड़े उतरने के लिए वह अत्यधिक परिश्रम करते है।  वह रात रात जागकर पढ़ते है।  इससे वह हमेशा तनावग्रस्त रहते है।इससे विद्यार्थियों के सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता  है।  अत्यधिक पढ़ाई की वजह से अधिक तनाव बढ़ जाता  है।  कभी कभी यह तनाव इतना बढ़ जाता है कि विद्यार्थी आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते है।

इतना तनाव की  वजह से बच्चो को अवसाद जैसे बीमारियों से गुजरना पड़ता है। विद्यार्थियों को अपने कार्य  को समय  के अनुसार कैसे विभाजित करना चाहिए वह सीखाना चाहिए। ऐसा करने से वह अपने हर कार्य को अच्छे से समय दे सकेंगे। विद्यार्थियों को समय से पहले अपने कार्य की तैयारी कर लेनी चाहिए। इससे उन्हें तनाव कम होगा और आत्मविश्वाश बढ़ेगा।

विद्यार्थियों को अन्य कार्य में भी मन लगाना चाहिए।  इससे उनके जीवन में नयी उत्साह रहेगी और जीवन तनावमुक्त रहेगा। संगीत , नृत्य , चित्रकला कोई भी हॉबी जो उन्हें पसंद हो , उन्हें उन कार्यो में अपना समय व्यतीत करना चाहिए।विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों   के साथ समूह अध्ययन करना चाहिए।  इससे उनके विषय संबंधित शंकाएं दूर हो जाएगा और तनाव कम होगा।

छात्रों के तनाव के कई कारण है। परीक्षा के समय छात्र हमेशा तनाव में रहते है कि विद्यार्थियों को कितने प्रतिशत आएंगे। प्रश्नपत्र कठिन होगा या सरल। जब परीक्षा समाप्त हो जाता है तब वह इस कश्मकश में रहते है कि उन्हें कितने प्रतिशत मिलेंगे। अगर उनके मुताबिक उन्हें प्रतिशत ना आये तो वह डिप्रेस्ड हो जाते है।  उन्हें लगता है कि उन्हें किस कॉलेज में दाखिला मिलेगा।वह कौन से स्ट्रीम में एडमिशन लेंगे।  यह सारी चीज़ें उन्हें तनाव की ओर धकेलती है।छात्र अपने तनाव को अपने अभिभावकों के सामने खुलकर रख नहीं पाते है।

कई बार तनाव की वजह से छात्रों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है।  वह खुद नहीं समझ पाते है और किसी से चर्चा नहीं कर पाते है।छात्रों में तनाव के कुछ लक्षण दिखाई देते है जैसे खेल इत्यादि कार्य में मन नहीं लगना और नींद ना आना। इसके साथ ही तनाव की वजह से विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर भी बुरा असर पड़ता है। कोई भी कार्य को ख़त्म करने में विद्यार्थी दिक्कत महसूस करते है।

परीक्षा के बढ़ते हुए दबाव की वजह से विद्यार्थियों में डिप्रेशन देखा जा सकता है।डिप्रेशन से ग्रस्त विद्यार्थियों को अभिभावकों की ज़रूरत होती है। अभिभावकों को अपने बच्चो पर उम्मीदों का बोझ नहीं लादना  चाहिए । विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई ध्यान से करनी चाहिए।

अक्सर अभिभावक अपने बच्चो पर अच्छे अंक के लिए दबाव डालते है।  यह विद्यार्थियों पर तनाव सृष्टि करता है। अभिभावकों को हमेशा अपने बच्चो का हौसला बढ़ाना चाहिए।  उनको अपने बच्चो को यह समझाना चाहिए कि वह अपने पढ़ाई को गंभीरता से ले और परीक्षा में अपना सौ फीसदी दे।  पास होना फेल होना , ज़्यादा या कम प्रतिशत तो जिंदगी में लगा रहता है।  अक्सर अभिभावक ऐसा नहीं करते है और विद्यार्थी तनाव से बाहर निकल नहीं पाते है।

अक्सर देखा गया है कि  कई दफा छात्र अपने पसंद के मुताबिक विषय या स्ट्रीम नहीं चुनते है।  उन्हें अपने अभिभावक के अनुसार स्ट्रीम का चयन करना होता है जहां वह अधिक सफलता नहीं हासिल कर पाते है। यह भी तनाव की वजह बनता है।अभिभावकों को अपने बच्चो को स्ट्रीम या करियर चुनने के विषय पर  खुली छूट देनी चाहिए।  इससे छात्र अपने मन पसंद क्षेत्र  में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है। इसके कारण  भविष्य में उन्हें और अधिक करियर स्कोपस मिलते है।

निष्कर्ष

विद्यार्थियों के तनाव को कम करने के लिए अभिभावकों को उनको समझना ज़रूरी है।बच्चो को अपने तनाव को कम करके शैक्षिक करियर में आगे बढ़ना चाहिए। अभिभावकों और शिक्षकों को हमेशा विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाना चाहिए। पढ़ाई की वजह से जो तनाव विद्यार्थियों के जीवन में है , उसको समझ कर उन्हें कम करना चाहिए। जिन्दगी में हार जीत लगी रहती है।  यह जीवन के दो पहलू है। विद्यार्थियों को यह समझना होगा।  उन्हें हमेशा परीक्षाओ में अच्छा परफॉर्म करना चाहिए। परिणाम में जो आये , उसे अच्छे मन से मानकर और बेहतर करना होगा।

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