पीढ़ी अंतराल पर निबंध-Generation Gap hindi essay

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प्रस्तावना

पीढ़ी अंतराल हर युग में देखा जा सकता है। जब बच्चे बड़े हो जाते है तो युवा अवस्था में अपने फैसले खुद करते है। युवा वर्ग के सोच और उनके माता पिता के सोच में अंतर पैदा हो जाता है। इसी को जनरेशन गैप या पीढ़ी अंतराल कहते है। कई बार देखा गया है युवा पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के सोच में फर्क आ जाता है।  हर युग में अलग अलग सोच होना लाज़मी है। इसी वजह से कई जगहों और हालातों  में विवाद उतपन्न होता है।

एक वक़्त हर पीढ़ी में ऐसा आता है जहां विचारो में भिन्नता पायी जाती है। बहुत बार युवाओ को ऐसा लगता है कि उनके माता पिता की सोच पुरानी है। उन्हें लगता है वह  उनके विचारो को समझ नहीं रहे है।  इसी वजह से मतभेद देखा जा सकता है।उदाहरणस्वरूप जैसे बच्चे नए , पॉप गाना  सुनना पसंद करते है। वहीं उनके माता पिता पुराने गाने और भजन सुनना पसंद करते है।  पुराने पीढ़ी के लोग जब एक दूसरे से मिलते थे तो नमस्ते करते थे , आज के ज़माने में नयी पीढ़ी के लोग हाई , हेलो करते है। पहले के ज़माने में मोबाइल फ़ोन नहीं था तो लोग अपनों को समय दे पाते थे।  आजकल के लोगो को जैसे ही खाली समय मिलता है , वह  मोबाइल पर सक्रीय हो जाते है।  असली जिन्दगी में नयी पीढ़ी  लोगो के साथ इतना मेल मिलाप नहीं करते  है , जितना की वह ऑनलाइन करते  है। पीढ़ी अंतराल होना जैसे आम बात हो गयी है।

आजकल के युवाओ को भक्ति गीत इत्यादि में ज़्यादा रूचि नहीं है।  जब माता पिता उन्हें धार्मिक महत्व समझाते है तो वह उन्हें अहमियत नहीं देते है। वे अपने खाली समय में अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना पसंद करते है।ऐसा नहीं कि सभी ऐसे होते है।  कुछ ऐसे लड़के लडकियां भी होते है जो खुद के फैसले करते है और साथ ही अपने माता पिता , बड़ो के फैसले का भी सम्मान करते है।

आजकल के नौजवान और नवयुवती पैसे अधिक खर्चा करते है।  जब बड़े उन्हें पैसे बचाने का सुझाव देते है तो उन्हें यह अच्छा नहीं लगता है।आजकल  जनरेशन गैप की वजह से संयुक्त परिवार बंट रहे है।  आजकल परिवार छोटे होते जा रहे है। नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के सदस्यों के सोच में काफी अंतर पाया जाता है। इसलिए परिवार में मतभेद होते रहते है। तब लोग अलग अलग परिवारों में रहते है। बड़े बच्चो का अच्छा चाहते है।  अगर परिवार के सदस्य एक दूसरे के सोच को सम्मान देंगे तो एक साथ रहना मुश्किल नहीं होगा।

पहले बड़े और संयुक्त परिवारों में सब एक साथ मिल जुलकर रहते थे।  सभी के सोच जब एक दूसरे से नहीं मिले तो लोगो ने  एकल परिवारों में रहना आरम्भ कर दिया।  पुराने पीढ़ी के लोग अपनी मातृभाषा और हिंदी का इस्तेमाल करते है।  वहीं नए जमाने के लोग अंग्रेजी में ज़्यादा बातचीत करते है और पुराने पीढ़ी के लोगो को अंग्रेजी भाषा समझने में दिक्कत होती है। आजकल के नए पीढ़ी के लड़के -लड़कियां नए फैशन के कपड़े और जूते इत्यादि पहनते है।  पुराने पीढ़ी के लोग सादगी भरा जीवन जीते है और साधारण कपड़े पहनना पसंद करते है । बोली से लेकर भाषा तक में अंतर पाया जाता है।

युवा पीढ़ी अपनी मन मर्ज़ी से जीना चाहते है। कई बार बड़ो के दिए मशवरे को वह अपने ज़िन्दगी में हश्तक्षेप मानते है।  वह बड़ो को गलत समझते है और आज़ादी से जीवन जीना चाहते है। बड़ो की अच्छी बातें उन्हें बंदिश लगने लगती है।  कई बार बड़े भी अपने बच्चो को समझ नहीं पाते है। इसी वजह से दोनों पीढ़ी के बीच अंतर पैदा होता है। इसी वजह से संयुक्त परिवार बिखर जाते है।

पीढ़ी अंतराल को कम करने के लिए दोनों पीढ़ियों को एक दूसरे को समझने की ज़रूरत है। अपनी मनमानी करने से मन मुटाव पैदा होता है। पुराने तरीके का सम्मान नए पीढ़ी को करना चाहिए।  पुरानी पीढ़ी के बताये गए  सही चीज़ो और सलाह  को गौर करना चाहिए।  अगर बच्चे कुछ गलत कर रहे है तो उन्हें समझाने के साथ , उन्हें समझाने की ज़रूरत है।

पुराने समय में महिलाएं घर के कामो में ज़्यादा संलग्न  थी। वह एक गृहिणी बनकर सभी कर्तव्यों को निभाती थी।  आज नए जमाने में लड़कियां शिक्षित हो रही है और पुरुषो के कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। पहले लड़कियों का अधिक शिक्षित होना परिवार वाले नहीं पसंद करते थे। आज लड़कियां हर क्षेत्र में अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है।

नयी पीढ़ी के लोग अपने जीवन में रोक टोक नहीं चाहते है। वह यह समझते नहीं है कि बड़े उनका भला चाहते है और उनकी परवाह करते है। आज की पीढ़ी अपने आपको बेहतर समझती है।  वह अपने पीढ़ी द्वारा प्राप्त संस्कार और मूल्यों को भूल जाते है। नए पीढ़ी में धैर्य कम दिखाई देता है और रिश्तों को निभाने में वह पीछे रह जाते है।  शादियों को जल्द टूटना एक उदाहरण है।  आपसी ताल मेल और भरोसा रिश्तों में कम हो रहा है।

आजकल के परिवारों में बहुएं जब नए घर में प्रवेश करती है तो बहुत जगहों पर अपने सास ससुर की रोक टोक उन्हें अच्छी नहीं लगती है।  हालांकि दोनों पीढ़ियों को एक दूसरे के साथ सूझ बुझ के साथ चलना चाहिए।

निष्कर्ष

दरसल समस्या नए और पुराने तरीके में भी हो जाती है। एक ही कार्य को दोनों पीढ़ी अलग अलग तरीके से करना चाहते है और वहीं जाकर मतभेद आरम्भ हो जाती है।युवाओ को यह समझना चाहिए कि उनके घर के बड़े उनकी भलाई चाहते है।  बड़ो को भी कोई भी बात या किसी तरह की इच्छा उन पर नहीं थोपना चाहिए। बड़ो को भी उन्हें कभी कभी छोड़ देना चाहिए ताकि उनके बच्चे शांत मन से उनके बातों को समझ सके। ऐसे में युवा वर्ग उनके बातों को समझेंगे और उलझेंगे नहीं।

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