स्कूली शिक्षा का महत्व निबंध

शिक्षा की गुणवत्ता किसी भी इंसान से छिपी नहीं है। शिक्षा की महत्वता की सुगंध एक सुसंस्कृत समाज निर्मित करती है। सभ्य समाज एक शिक्षित वर्ग से बनता है। माता -पिता की पहली ज़िम्मेदारी है कि वह बच्चो को अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकें। बच्चे शिक्षित होंगे तो उसके साथ परिवार और समाज शिक्षित होगा। बच्चो को प्रथम शिक्षा उसके माता -पिता से प्राप्त होती है। उसके पश्चात स्कूल यानी विद्यालय में कदम रखते ही बच्चे शिक्षा के पहले पड़ाव से रूबरू होते है। कहा जाता है कि

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

अर्थात: अगर आपके समक्ष गुरु और भगवान दोनों समीप खड़े है तो आप किसको प्रणाम करेंगे ?ऐसी परिस्स्थिति में अपने गुरु को सर्वप्रथम प्रणाम करेंगे क्यों कि गुरु ने ही हमे ईश्वर की महत्वता के बारें में सिखाया है। अर्थात अगर शिक्षक नहीं होंगे तो हम ईश्वर की पहचान करने में असमर्थ रहेंगे।

स्कूल यानी विद्यालय की शिक्षा बच्चो के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है। एक अच्छा नागरिक बनने के लिए स्कूली शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।  विद्यालय में शिक्षक अपनी हर संभव कोशिशों के साथ छात्रों को शिक्षा प्रदान करते है। विद्यालय में छात्र को विषय संबंधित ज्ञान के आलावा व्यवहारिक यानी प्रैक्टिकल जीवन संबंधित ज्ञान अवश्य प्राप्त होता है।

छात्र विद्यालय में प्रत्येक दिन नियमित रूप से  अनुशासन का पालन करता है। विद्यालय में प्रार्थना  सभा से हर दिन की शुरुआत होती है। पढ़ाई के साथ साथ विद्यार्थी खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते है। हर क्षेत्र संबंधित  प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। शैक्षिक ,सांस्कृतिक इत्यादि  प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है ताकि बच्चे अपना सम्पूर्ण विकास कर सकें। जिस क्षेत्र  में उनकी रूचि है उसकी पहचान कर सके।

स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने की वजह से विधार्थियों का व्यक्तिगत और मानसिक विकास होता है। ज़िन्दगी के हर छोटे बड़े पहलुओं और सही निर्णय लेने जैसे गुण उनमे निश्चित तौर पर आ जाते है। शिक्षा प्राप्त करने के साथ छात्र बचपन से  शिक्षक और बड़ो का सम्मान करना भली -भाँती सीखते है।

आजकल निजी बड़े अंग्रेजी मेडियम स्कूलों की शिक्षा अत्यधिक महंगी हो गयी है। कुछ निचले माध्यम वर्गीय लोगों के पास इतने पैसे नहीं कि वह इन बड़े सम्पन्न विद्यालय में अपने बच्चे को पढ़ा सके। गरीबी की रेखा में जीने वाले परिवार अपने बच्चो को मुश्किल से हाई स्कूल तक ही शिक्षा का पैसा मुश्किल से जुटा पाते है। ऐसे में विद्यार्थी को अपनी ज़िन्दगी से समझौता कर बारहवीं के पश्चात नौकरी करनी पड़ती है।

लेकिन अभी सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा की योजना के तहत कई बच्चे शिक्षा प्राप्त कर पा रहे है। सरकारी स्कूलों ने भोजन ,साइकिल, पोशाक निशुल्क प्रदान कर रही है।अमीर श्रेणी के लोगों  को अपने बच्चो को महंगे स्कूलों में पढ़ाने में बिलकुल दिक्कत नहीं होती है। लेकिन देश तभी शिक्षित और विकसित  होगा जब हर एक बच्चे को स्कूल में प्रवेश मिलने के संग अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी।

देश तभी शिक्षित होगा जब हर बच्चे के हाथ में कलम होगा। भारत में साक्षरता दर 74.04 है (2011), जो की 1947 में मात्र 18 % थी। भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर 84% से कम है। इस  साक्षरता दर की हमे वृद्धि करनी होगी। आजकल कई ऐसी शिक्षा योजना बनायीं गयी है जहाँ मुफ्त में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।  लेकिन फिर भी यह पर्याप्त नहीं है। कई गाँवों में अभी भी गरीबी के चलते बच्चो को विद्यालय की शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है। सरकार और कई स्कूलों के अध्यक्ष ने छात्रवृति योजना स्कूलों में शुरू की है ताकि ज़रूरतमंद और होशियार बच्चे आगे पढ़ सके।

शिक्षा की ज़रूरत इंसान को अपने ज़िन्दगी में हमेशा रहेगी।  विद्यार्थी विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर उच्चा शिक्षा की ओर अग्रसर होता है। उसके पश्चात वह अपनी योग्यता अनुसार अपना करियर बना सकता है। उसके लिए रोज़गार करने के  कई विकल्प खुल जाएंगे जिससे वह आत्मनिर्भर होने के साथ अपने परिवार की देखभाल कर सकता है।

जो लोग अपनी कठिन परिस्थितिओं की वजह से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते है। अफ़सोस उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है। अशिक्षित व्यक्ति को ज़िन्दगी में हर मोड़ पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष

 शिक्षा कभी न डूबने वाला सूर्य है जो अपनी रोशनी चारों तरफ फैला सकता  है। हर व्यक्ति को शिक्षित होने की आवश्यकता है। हर एक बच्चा  पढ़ेगा तभी तो भारत उन्नति की राह पर आगे बढ़ पायेगा। शिक्षा संस्थान और समाज को भी निरंतर कोशिश करनी चाहिए कि उनके गली ,मुहल्ले में हर एक बच्चा स्कूल की  शिक्षा से वंचित ना रहे। देश विकास और उन्नति तभी करेगा जब उसका हर एक नागरिक शिक्षित हो।

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