कल्पना चावला पर निबंध

आज हम अपने आर्टिकल के जरिए इस दुनिया के सतत कल्पना, कल्पना चावला के बारे में बात करने वाले हैं। उनके विषय में आज एक निबंध के जरिए समस्त जानकारी प्रदान करने वाले हैं। तो आइए जानते हैं कल्पना चावला के विषय में निबंध….

प्रस्तावना

कन्या करनाल की कहानी एक कह गई
कल्पना में रहती थी कल्पना में रह गई।
माता और पिता की थी सुखद थी कल्पना
रानी अंतरिक्ष की अंतरिक्ष में रह गई।

कल्पना चावला अंतरिक्ष में बहुत से खोजों के लिए गई थी। उनका जन्म 1961 में करनाल हरियाणा में हुआ था। सन 1997 में नासा के अंतरिक्ष सफर कर कल्पना ने 65,00,000 और अंतरिक्ष में 400 घंटे बताएं। सन 1998 में नासा के ऐम्स शोध संस्थान से डायनामिक्स में शोध किया। कल्पना को सन 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान दल के लिए चुना गया था। कल्पना का कथन था कि “संपूर्ण ब्राह्मण मेरा घर है।”

कल्पना चावला का प्रारंभिक जीवन

भारतीय मूल की कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में महान उपलब्धि हासिल करके अपने माता पिता व राष्ट्र का गौरव बढ़ाया। कल्पना बचपन से ही उड़ान भरने की इच्छा रखती थी। उनके माता-पिता उन्हें प्यार से मंटू कहते थे। जब वह तीन या चार साल की थी तब उसने पहली बार अपनी छत पर एक हवाई जहाज को घर के ऊपर उड़ते हुए देखा।

तब से, हवाई जहाज और उड़ान के साथ उनका आकर्षण प्रबल हो गया। एक बच्चे के रूप में, वह हमेशा अपने पिता के साथ एक स्थानीय फ्लाइंग क्लब में जाती थी और विमानों को देखती थी। स्कूल में रहते हुए, उसके शिक्षक ने कहा कि कल्पना अपना खाली समय कागज के हवाई जहाज बनाने और उन्हें उड़ाने में बिताती है।

कल्पना चावला का करियर

कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, भारत में अध्ययन किया और 1982 में वैमानिकी इंजीनियर पाठ्यक्रम में विज्ञान स्नातक के साथ स्नातक किया। उन्होंने 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली। उन्होंने 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री पूरी की। एरोबेटिक्स और टेल-व्हील हवाई जहाज उड़ाने के अलावा, कल्पना की अन्य रुचियां लंबी पैदल यात्रा, बैकपैकिंग और पढ़ना हैं। उन्हें मरणोपरांत कांग्रेस का अंतरिक्ष पदक सम्मान, नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक और विशिष्ट सेवा पदक मिला।

कल्पना चावला की विरासत

कल्पना चावला की विरासत उनकी मृत्यु के बाद वर्तमान समय में भी जारी है। कल्पना के पिता बनारसी लाल चावला के अनुसार, उनकी बेटी का एकमात्र सपना बच्चों व महिलाओं को शिक्षा से वंचित न रखना रहा। जब वह नासा में अच्छी कमाई कर रही थी, तब उन्होंने भौतिक सुखों की परवाह किये अपने कमाई का कुछ पैसा वंचित बच्चों को स्कूल भेजकर उनकी मदद करने में खर्च करती रही।

इसके अलावा भारत में कर्नाटक सरकार ने युवा महिला वैज्ञानिकों को मान्यता देने के लिए कल्पना चावला पुरस्कार की स्थापना की। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष शिक्षा कार्यक्रम में शामिल होने की इच्छा रखने वाली भारतीय महिलाओं का समर्थन करने के लिए कल्पना चावला आईएसयू छात्रवृत्ति कोष की स्थापना की।

शिकागो विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपने पूर्व छात्र पुरस्कार का नाम बदलकर कल्पना चावला उत्कृष्ट छात्र पुरस्कार कर दिया है। ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र हरियाणा में एक तारामंडल का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा गया था।

निष्कर्ष

01 फरवरी, 2003 को, जब अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पृथ्वी पर फिर से प्रवेश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। हमारे देश ने ऐसी वीर व गौरवान्वित कल्पना को खो दिया। वास्तव में भारत की यह वीरांगना कल्पना चावला इस देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्वरूप रहीं हैं।

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