बैंकिंग संकट पर निबंध

पिछ्ले कुछ वर्षों में देश के विभिन्न बैंकों के ऊपर संकट को देखा गया है, जिसे बैंकिंग संकट कहा जाता है। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको बैंकिंग संकट पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं।

आइए जानते हैं बैंकिंग संकट विषय पर निबंध….

प्रस्तावना

किसी भी देश का आर्थिक विकास ही उसका बुनियादी ढांचा है। यदि किसी देश की आर्थिक व्यवस्था ही कमजोर हो तो कितना भी प्रयास किया जाए, वह देश कभी विकसित नहीं हो सकेगा। यही कारण है कि आर्थिक मामलों के नीति निर्माताओं द्वारा ऐसे मार्ग का अनुसरण किया जाता है जिसके माध्यम से सरकार, आम आदमी को आर्थिक व्यवस्था के औपचारिक मामले में शामिल कर पाती हैं। यह औपचारिक माध्यम है बैंक।

देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंक एक महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन जब बैंक पर संकट आता है तो वह समय देश के लिए बैंकिंग संकट कहलाता है।

बैंकिंग संकट के कारण

  1. पिछले कुछ वर्षो में बैंको द्वारा दिए जा रहे लोन गैर निष्पादित परिसंपत्तियों में बदले जा चुके हैं। जिसके चलते बैंकिंग संकट का स्तर बढ़ता है। इसका प्रत्येक उदाहरण वर्तमान समय में यस बैंक है।
  2. बैंकों में जब जमाएं कम आने लगे और नकद धन की निकासी अधिक मात्रा में की जाए तब बैंकिंग संकट का सामना करना पड़ सकता है।
  3. बैंकिंग नीतियों के विफल होने पर ऐसे कई बैंक हैं जिन्हें बैंकिंग संकट से गुजरना पड़ता है।
  4. बैंक के ऊपर अधिक लोन होने पर भी बैंक बैंकिंग संकट की स्थिति में पहुंच जाता है।

बैंकिंग संकट का प्रभाव

बैंकिंग संकट का सीधा प्रभाव उस देश की आर्थिक व्यवस्था पर पड़ता है। किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए बैंक अत्यधिक महत्वपूर्ण माध्यम है। ऐसे में यदि बैंक किसी भी बैंकिंग संकट की स्तिथि में पहुंचता है, तो उसके प्रभाव से देश की आर्थिक स्थिति भी आहत होती है।
इसके साथ ही बैंकिंग संकट के जरिए आम जनता ही भी काफी प्रभावित होती है। देश की आम जनता को बैंक की आवश्यक सुविधाएं मिलना बंद हो जाती है। जमाकर्त्ताओं का बैंक पर विश्वास कमज़ोर हो जाता है और वे बैंक में पैसा जमा करने से कतराते हैं।

बैंकिंग संकट का समाधान

• बैंकिंग संकट के समाधान हेतु बैंको को सरकारी नियंत्रण से बचना जरूरी होगा।
• इसके साथ ही बैंकिंग संकट के भविष्य की गणना का अनुमान लगाना होगा।
• बैंकिंग नीतियों को इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए कि उनके विफल होने की संभावना कम रहे।
• बैंकिंग संकट की स्थिति के निपटारे हेतु पहले से ही कुछ संचय नीतियां अपनाई जानी चाहिए। बैंकिंग
• बैंक पर राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
• रिजर्व बैंक द्वारा तैयार किए गए दिशा निर्देशों की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारतीय बैंकिंग प्रणाली एक ऐसी चुनौती पूर्ण पृष्टभूमि पर काम करता रहा है, जिसमें बैंकों के अस्तित्व, उसकी गुणवत्ता तथा लाभ पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बैंकिंग संकट के आना बैंकों के अस्तित्व पर खतरा पैदा करता है। जिसे लेकर यदि पूर्व में ही उचित योजनाओं का ढांचा तैयार नहीं किया जाता, तो बैंकिंग संकट का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा पड़ता है। ऐसे में बैंकिंग नीतियों का उचित प्रयोग तथा रिजर्व बैंक की छत्र छाया में ही कोई भी बैंक बैंकिंग संकट से उबर पाता है।

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