किसान की आत्महत्या विषय पर निबंध

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कहना पड़ रहा है कि देश में कुल आत्महत्याओं का 11.2% हिस्सा, किसान आत्महत्या का है। आज हम इसी गंभीर विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। तो चलिए जानते हैं, किसान की आत्महत्या विषय पर निबंध…..

प्रस्तावना

भारत एक ऐसा देश है जहां किसानों के बिना अन्न मिलना नामुमकिन है। यदि कारण है किसानों को अन्नदाता भी कहा जाता है। लेकिन यह बेहद दुख कि बात है कि किसान आत्महत्या के मामले भारत जैसे देश में पिछले वर्षों से काफी बढ़ चुके हैं। भारत में होने वाली किसानों की आत्महत्या के पीछे कई कारण जिनमें अनियमित मौसम की स्थिति, ऋण का बोझ, सरकारी नीतियों में बदलाव तथा परिवारिक मुद्दे आदि।

किसान आत्महत्या का सांख्यिकी आकड़ा

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, साल 2010 में देश में कुल 135599 आत्महत्याएं दर्ज की गई जिसमें से 15963 मात्र किसान आत्महत्या से जुड़े मामले थे।  वहीं 2011 में भारत देश में आत्महत्याओं के कुल 135858 मामले सामने आए जिसमें से 14207 आत्महत्याएं किसान आत्महत्या से जुड़ी हुई थी। आंकड़ों की मानें तो भारत में जाने वाली आत्महत्याओं का 11.2% हिस्सा किसान आत्महत्या से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र पांडुचेरी, केरल आदि राज्यो में किसान की आत्महत्या दर अधिक है। भारत में ही नहीं अपितु यह समस्या विदेशों में भी अधिक है। अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों में भी किसान आत्महत्या की दर अधिक है।

किसान आत्महत्या के कारण

किसान आत्महत्या के पीछे कुछ विशेष कारण है जो कि निम्नलिखित हैं-

1. सूखा पड़ना – भारत में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है, जिसके चलते वहां अधिक सूखा पड़ता है तथा फसलों की पैदावार कम हो जाती है जिसके कारण किसान आत्महत्या करते हैं

2. बाढ़ आना – सूखा पड़ने के साथ ही किसानों के लिए बाढ़ भी एक प्रबल समस्या है। अधिक वर्षा होने की संभावना बढ़ जाती है जिसके चलते फसलों का नष्ट होना स्वाभाविक हो जाता है, ऐसे में लाचार किसान आत्महत्या के कगार पर पहुंच जाता है।

3. उच्च ऋण – आम तौर पर किसानों को जमीन पर खेतीबाड़ी करने के लिए धन जुटाना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें ऋण लेना पड़ता है। लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण यह ऋण देने में असफल होते हैं, जिसके बाद अधिकतर किसानों द्वारा आत्महत्या कर ली जाती है।

4. सरकार की नीतियां – सरकारों की बदलती नीतियां किसानों पर सर्वाधिक प्रभाव डालती हैं। उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण के हित में बदली जाने वाली नीतियों के कारण किसान आत्महत्या करता है।

5. परिवारिक जिम्मेदारियां – एक गरीब किसान के ऊपर उच्च ऋण के साथ ही परिवारिक जिम्मेदारियों का भी बोझ होता है। जिन्हें पूरा न कर पाने के कारण किसानों में हीन भावना जागृत होती है और वह आत्महत्या की ओर अग्रसर हो जाते हैं।

किसान आत्महत्या की रोकथाम के उपाय

भारत में किसानों की आत्महत्या की एक अहम मुद्दा है, ऐसे में सरकार को किसान आत्महत्या को नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित उपायों को अवश्य अपनाना चाहिए –

1. कृषि क्षेत्र की स्थापना की जानी चाहिए, जहां केवल कृषि से संबंधित गतिविधियों को की जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।

2. सिंचाई सुविधाओं में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

3. किसान उत्पादकता की बढ़त के लिए  सरकार को आधुनिक कृषि तकनीकों को सिखाना चाहिए।

4. उचित प्रकार की फसल बीमा पॉलिसी शुरू की जानी चाहिए।

5. राष्ट्रीय मौसम जोखिम प्रणाली की शुरुआत कर किसानों को खराब मौसम के विषय में पहले से सूचित किया जाना चाहिए।

6. किसानों को कौशल देने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें आय के वैकल्पिक स्रोतों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

हालांकि सरकार ने संकट के समय में किसानों की सहायता के लिए विशेष कदम उठाए हैं लेकिन इसके बावजूद अभी तक भारत में किसानों की आत्महत्या के मामले कम नहीं हो रहे। सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा तभी हमारा  भारत देश कृषि प्रधान देश का सरताज गर्व से धारण कर पाएगा।

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