अहिंसावाद पर निबंध

अहिंसावाद पर निबंध

सन् 1947 में भारत ने जो स्वतंत्रता प्राप्त की थी वह अहिंसावाद की ही तो देन है, अहिंसा परमो धर्म यह तो हम सबने सुना है जिसे गौतम बुद्ध से लेकर महावीर स्वामी तक ने अपनाया और इसी मार्ग पे चलने का सबको सन्देश दिया परंतु अहिंसा के मार्ग पर चलना उतना ही मुश्किल था जितना कि अंगारों पर चलना जिसे सच
कर दिखाया हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक लाठी लेकर खड़ाऊं पहन कर वह निकल गए अपने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया सिर्फ और सिर्फ अपनी अहिंसा वादी विचारधारा के चलते, महात्मा गाँधी को अहिंसावादी विचारधारा का जनक कहा जाता है अपनी इस
विचारधारा से उन्होंने न सिर्फ अपना देश आज़ाद कराया अपितु अन्य देशो के समक्ष यह उदहारण प्रस्तुत किया की अहिंसा एक ऐसा शांतिपूर्ण हथियार है जिसके मध्यम से हिंसा पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

भारत में और कई ऐसे विचारक एवं सुधारकर्ता हुए जिहोने अहिंसावादी विचारधारा का प्रचार प्रसार किया जिनमे राजाराम मोहन राय, ईश्वर चंदविद्यासागर, स्वामी विवेका नन्द, जैसे नाम विश्वप्रसिद्ध है। प्राचीन काल से महात्मा बुद्ध को अहिंसा का सबसे बड़ा प्रणेता माना जाता है किस प्रकार उनके प्रभाव में आकर
अंगुलिमार जैसा डाकू बौद्ध भिछु बन गया और हिंसा को छोड़ कर अहिंसा का रास्ता अपनाया, महात्मा बुद्ध का समकालीन राजा मगध का सम्राट अशोक था कलिंग के युद्ध में हुए बीभत्स हिंसा को देख कर उसका मन विचलित हो गया और उसने उसी वक़्त सौगंध खायी की वो अहिंसा का मार्ग अपनाएगा तपश्चात उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया, हिंसा मनुष्य के भीतर पशुतत्व का संचार करती है इसके विपरीत अहिंसा मनुष्य के भीतर उपस्थित ईश्वरसे उसका साक्षात्कार कराती है।

गांधी जी ने एक बार कहा था कि मरने के लिए मेरे पास बहुत कारण है किंतु मेरे पास किसी को मारने का कोई भी कारण नहीं है, दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेलसन मंडेला ने अपनी जिंदगी के 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी मे
काटा तत्पश्चात अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने, मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसावादी सिद्धांतो विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे।  मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया था। मंडेला ने कहा था कि गांधीजी का सबसे ज्यादा आदर अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए किया जाता है।

आज कल लोग छोटी छोटी बात में दूसरे की जान लेने पे उतर आते हैं, लोगो के अंदर अब संवेदनाये पूर्णतया समाप्त होती जा रही जरुरत है तो स्वयं को समझाने की क्यूंकि हिंसा के रास्ते पे चल के किसी का भला नहीं हुआ है, बड़े बड़े देश तबाह हो गए और हो रहे हैं, यदि हम अपने जीवन में अहिंसावाद को अपनाते हैं, तब हम
सही मायने में स्वयं को जीव जंतुओं से भिन्न मानते हुए मानवता की रक्षा कर सकते हैं।

कुछ पंक्तियों से मैं इस निबंध को समाप्त करना चाहूंगी…

जब जुल्मों का हो सामना​
तब तू ही हमें थामना​
वो बुराई करे, हम भलाई भरे​
नहीं बदले की हो कामना​
बढ़ उठे प्यार का हर कदम​
और मीटे बैर का ये भरम
नेकी पर चले, और बदी से टले​

ताकी हसते हुये निकले दम​
ऐ मालिक तेरे बंदे हम

जागृति अस्थाना-लेखक

#सम्बंधित: Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top