श्री हनुमान पर निबंध

प्रस्तावना

हिन्दुओं में भगवान्  हनुमान जी को श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूजा जाता है। श्री हनुमान जी को रामभक्त कहा जाता है।  वह रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।  अगर वह ना होते तो श्रीराम और सीता का मिलन  इतना सरल नहीं होता।  हनुमान जी को बहुत ताकतवर भगवान् माना जाता है। हनुमान जी के दूसरे नाम भी है जैसे हनुमत , मारुतिनंदन इत्यादि। हनुमान जी के पिता का नाम केशरी नंदन था। उसकी माता का नाम अंजना था। अगर हमारे मन में किसी तरह का भय उत्पन्न हो तो हनुमान चालीसा का मंत्र पढ़ लेना चाहिए।  इससे परेशानियों का हल मिल जाता है। हनुमान जी को कई देवताओं  जैसे महादेव , इंद्रदेव से वरदान मिले है। उन्हें लोग श्रद्धा और भक्ति से बजरंग बली बुलाते है। जिस मंदिर में श्रीराम की पूजा होती है , वहाँ हनुमान जी की भी अर्चना की जाती है।

हनुमान जी की पूजा देश के कोने कोने में होती है। भगवान श्री राम की उन्होंने हमेशा सहायता की। वह श्रीराम की हमेशा सेवा करते थे। वेदो के मुताबिक हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा के वक़्त हुआ था।  उस दिन मंगलवार  था। हनुमान जी का जन्म झारखंड के झुमला गाँव में हुआ था।

ऐसा माना जाता है कि अगर कलयुग में कोई भगवान् है तो वह श्रीहनुमान जी है।  भगवान् हनुमान के भक्त हमेशा उन्हें मन से पूजते है।  उनका जन्म श्रीराम और सीता जी के मिलन के लिए हुआ था।कहा जाता है जब तक पृथ्वी पर श्रीराम रहेंगे , उनके भक्त हनुमान जी भी उनके साथ रहेंगे।  हनुमान जी का नाम जाप करने से मन में मौजूद भय दूर हो जाता है और मनुष्य के मन को शक्ति मिलती है।

जब भी भक्त मन से हनुमान जी की पूजा करते है , उनकी परेशानी दूर हो जाती है।जब हनुमान जी बहुत छोटे थे और उन्हें काफी तेज़ भूख लगी थी। उन्होंने सूरज को लाल फल समझ लिया और उसे खाने के लिए आसमान में उड़ चले थे।

हनुमान जी बचपन में बहुत नटखट थे। एक बार वह बदमाशी कर रहे थे तो एक ऋषि की तपस्या भंग हो गयी थी। तब ऋषि ने उसे श्राप दिया था।  वह श्राप यह  था कि वह अपनी शक्ति को पहचान नहीं पाएंगे ।हनुमान जी को शक्ति तभी याद आएगी जब उन्हें कोई याद दिलाएगा।

जब भी हनुमान जी को सीता जी का पता लगाने के लिए लंका जाना पड़ता था , तो श्रीहनुमान अपनी शक्ति को भूल जाते थे।  तब जामवत जी को उनके शक्ति के बारे में याद दिलाना पड़ता था।श्री हनुमान जी ने भगवान् श्रीराम की दोस्ती सुग्रीव से करवाई।  सम्पूर्ण वानर सेना ने श्रीराम की मदद की ताकि वह सीता माता को वापस ला सके।

उनका नाम हनुमान कैसे पड़ा।  इसके पीछे एक लम्बी कहानी है।जब हनुमान जी सूरज को खाने के लिए आकाश में पहुंचे , उस दिन अमावस्या था।  राहु सूरज को निगलने वाला था और जैसे ही उसने देखा कोई और सूरज को खाने जा रहा है तो वह भाग खड़ा हुआ और इसके बारे में इंद्रा देवता को बताया।

हनुमान को इंद्र देवता ने सूर्य को खाने से मना किया।  श्रीहनुमान ने उनकी एक बात ना सुनी।  इंद्र देवता ने श्री हनुमान  पर वार किया और वे धरती पर जा गिरे।  उन्हें ठुड्डी पर चोट लगी।इंद्र देव से नाराज़ होकर पवन देव  ने वायु संचार को पृथ्वी पर रोक दिया था। ब्रह्मदेव ने पवन  देव  जी को समझाया कि बैगर वायु के समस्त संसार का पतन हो जाएगा। उसके बाद  पवन देव जी ने उनकी बात मानी और वायु का संचार पृथ्वी पर शुरू हुआ। वायु देव ने कहा कि उनके पुत्र की  गति वायु से भी तेज़ होगी।  ठुड्डी पर चोट लगने की वजह से उन्हें हनुमान कहा जाने लगा।  उससे पहले लोग उन्हें मारुती नंदन कहते थे।

श्री हनुमान जी के नाम में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति जब भी हनुमान जी का नाम लेता है , उसका आत्मविश्वास बढ़ जाता है।श्री  राम और सीता माता की आराधना और सेवा में हनुमान जी लीन रहते थे। सभी भक्त हनुमान जयंती का उत्सव पुरे श्रद्धा के संग  मनाते है।

यह उत्सव मार्च अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। हनुमान जयंती के दिन लोग सवेरे नहा धो कर पूजा करते है। उस दिन भक्त उपवास रखते है। सभी हनुमान मंदिरो में भक्तों की भीड़ उमर पड़ती है।श्री हनुमान जी की मूर्ति को फूलों और सिंदूर से सजाया जाता है। हनुमान जी की पूजा के पश्चात भक्त प्रसाद खाते है। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ते है। हनुमान जयंती के दिन भक्तगण राम और हनुमान जी की कथाये सुनाते है।हनुमान जयंती के दिन लोग अच्छाई की बुराई पर विजय से संबंधित कथाये सुनते है।

हनुमान जी के जन्म से संबंधित कुछ रहस्य  भी है ।   एकबार एक ऋषि ने उनकी माँ को  वानर कुल के होने का श्राप मिला था। श्रापित माता की वजह से हनुमान जी जन्म वानर रूप में हुआ था । श्राप की वजह से माता  अंजना वानर बन गई थी।

निष्कर्ष

हम चाहे कितने ही शिक्षित क्यों ना हो लेकिन जैसे ही मुश्किल में पड़ते है , हनुमान जी को याद करते है।  इससे विपदा के समय मन को शान्ति  मिलती है और मुश्किल में हम हल ढूंढ़ने का प्रयत्न करते है।सबसे विद्वान् , पराक्रम और अपनी वीरता के लिए हनुमान जी लोकप्रिय है। हनुमान जी अपने कलाओं में उस्ताद थे।  वह अपने शरीर को छोटा भी कर सकते थे और पर्वत की भाँती बड़ा भी कर सकते थे। लोग उनकी शक्ति से बहुत प्रभावित रहते है और एक अच्छे जीवन के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top