विकलांगता की समस्या और समाधान

प्रस्तावना


हमारे देश में समस्याओं के विभिन्न रूप प्रतिशत दिखाई देते हैं विरोध प्रतिरूप छोटे-बड़े सूचना तथा व्यापक दोनों ही रूपों में देश के किसी ना किसी भाग में अवश्य दिखाई पड़ते हैं जाति प्रथा दहेज प्रथा सती प्रथा आदि ऐसी समस्याएं हैं जो समाज में अधिक से अधिक ग्रुप में इस प्रकार के समस्याओं से ग्रस्त होकर हमारा देश बहुत ही संकटग्रस्त है दूसरी ओर भिखारियों की समस्या विकलांगता की समस्या आदि छोटी और सुषमा समस्याओं से भी हमारे देश की स्थिति अवश्य बिगड़ी हुई दिखाई देती है स्पष्ट इसे विकलांगता हमारे देश की एक चर्चित और प्रमुख समस्या बन गई है

विकलांगता का अर्थ एवं स्वरूप


विकलांगता का अर्थ बहुत स्पष्ट है शरीर के किसी अंग से विकल या अक्षम होने की दशा यह स्थिति विकलांगता कही जाती है इस प्रकार विज्ञान का अर्थ ऐसा व्यक्ति है जो किसी अंग के ना होने अथवा उसके अक्षम हो जाने पर सामान्य से सामान्य काम करने में असमर्थ या अयोग्य हो इसे यू समझा जा सकता है यदि कोई व्यक्ति एक आंख ना होने के कारण काला है अथवा एक कान से बहरा है अथवा उसके शरीर का कोई अंग अपेक्षित रूप में काम नहीं कर रहा है तो वह विकलांग है इस तरह यदि कोई व्यक्ति दोनों उचित है या दोनों कानों से बहरा है अथवा उसका एक हाथ यह दोनों हाथ नहीं काम कर रहे हैं अथवा उसका एक तो लिया दोनों पर काम करने असमर्थ है तो वह विकलांग है ऐसा इसलिए क्योंकि बिना आवश्यक और उपयुक्त काम करने योग्य नहीं है

विकलांगता के कारण


विकलांगता के कई कारण हो सकते हैं कोई भी व्यक्ति जन्म से भी विकलांग हो सकता है ।इसी तरह को भी व्यक्ति जन्म से बहरा गूंगा भी हो सकता है ।इस तरह विकलांगता ईश्वरी अभिशाप है ।इस दृष्टि से विकलांगता एक बहुत बड़ी समस्या बनकर के स्वयं के समाधान के लिए एक चुनौती स्वरूप समस्या बनकर हमारे सामने खड़ी होकर हमें विवश कर रही है।

विकलांगता के अन्य कारण


विकलांगता के कारण एक नहीं अपितु अनेक है ।कोई जन्म से ही विकलांग होता है। तो कोई जन्मो प्रांत किसी घटना दुर्घटना के परिणाम स्वरूप विकलांग होता है ।इस कारण से कुछ विकलांगता ऐसी होती है ।जिसका इलाज संभव होता है उसके विपरीत कुछ ऐसी विकलांगता होती है जिसका इलाज कतई संभव नहीं होता है ।इस संदर्भ में यह स्पष्ट कर देना आवश्यक प्रतीत होता हो रहा है कि जन्म से विकलांगता का इलाज क्यों नहीं संभव है ।दूसरी ओर जन्म प्रांत विकलांगता का इलाज संभव होता है। विकलांगता चाहे जिस प्रकार की हो उसके इलाज के लिए प्राप्त साधन और धन की बहुत बड़ी आवश्यकता होती है ।इसके लिए समाज के संवेदनशील व्यक्ति ही किसी विकलांग की सहायता उचित रूप में धन और बल का पूरा – पूरा सहयोग प्रदान कर सकते हैं ।विकलांगता की कमी के लिए बड़े ही अपेक्षित सिद्ध होते हैं ।इसके लिए कृत्रिम अंगों का प्रत्यारोपण की व्यवस्था वैज्ञानिक पद्धति से करते हैं।

विकलांगता के प्रभाव


विकलांग के प्रभाव बड़े ही व्यापक होते हैं ।यह हमारे देश की एक भयंकर समस्या के रूप में चारों ओर दिखाई देती है।
निर्धनता के फल स्वरुप विकलांगता सचमुच में बड़ी ही दुखदाई होती है। इस तरह की विकलांगता के अंतर्गत अंधापन पोलियो आदि बड़ी ही मार्मिक विकलांगता है। इस प्रकार की विकलांगता लाचारी आदि के कारण बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण सरकार और समाज दोनों की घोर उपेक्षा की जाती है।

विकलांगता के प्रभाव बड़े ही कष्टदायक और दुखदाई होते है।जो कि विकलांगों के प्रति प्राय लोगों में शिष्टाचार और सत्यता का भाव दिखाई देता है। विकलांगों के प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं दिखाते हैं ।तो उन पर व्यंग्य कसते हैं ।उनका मजाक उड़ाते हैं ।उनको अपनी भावनाओं का शिकार बनाते हैं समाज में घोर निराशा का वातावरण बन जाता है ।लोगों में विकलांगों के प्रति कोई सहानुभूति और संवेदना नहीं रह जाता है। इस प्रकार विकलांगता के प्रति समाज सजग नही रहता है।

विकलांगता के समाधान


यह सार्वभौमिक सत्य है कि विकलांगता का समाधान तभी संभव है। जब हम इसके प्रति अपना पुरा दृष्टिकोण रखें इसके प्रति अपना नैतिक उत्तरदायित्व को निभाने के लिए दृढ़ संकल्प लें अपने निजी स्वार्थों को बलि देकर इसके समाधान की दिशा ढूंढे इस प्रकार विकलांगता को दूर करने के लिए हमें विकलांगों के प्रति स्वस्थ मानवीय दृष्टिकोण का परिचय देना पड़ेगा अपने हीन भावना को त्याग कर देना चाहिए विकलांगों में आत्मविश्वास को जलाना चाहिए उनके अनुभव देना चाहिए कि समाज के अधीन और अटूट उन्हें एक सामान्य जीवन जीने का मौलिक अधिकार है। वह समाज और राष्ट्र की सभी गतिविधियों और स्वरूपों के लिए उत्तरदाई बनकर अपनी उपलब्धियों से अपनी अद्भुत पहचान बनाने में सक्षम और योग्य है।

विकलांगता दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि जो विकलांग है ।उन्हें ऐसे कार्य में लगाया जाए जैसे बहरा सुन तो नहीं सकता है, लेकिन देख सकता है। इसलिए उसे कोई निगरानी करने के काम में लगाया जाना चाहिए ,अंधे देख नही सकते पर सूत कात सकते हैं ।बोल सकते हैं ।अतः उन्हें इस तरह के कामों में लगा देना चाहिए इस तरह विकलांगों की योग्यता को कध्यान में रखकर उन्हें उनकी दुविधानुसार कामो में लगा कर विकलांगता के भयावह समस्या का हल ढूंढा जा सकता है।

उपसंहार


चूंकि विकलांगता एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है ।अतः इसके हल के लिए एक बहुत बड़ा और व्यापक स्तर पर सभी देश कदम उठा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र भी अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस दृष्टि से सन 1981 के वर्ष को विकलांग कल्याण वर्ष के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मना करके अपने महत्वपूर्ण भुमिका निभा चुका है। भारत सरकार भी विकलांगों की दशा सुधारने के लिए बहुत ही प्रयत्नशील है।

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