कोरोना का समाज पर प्रभाव

प्रस्तावना:

कोरोना संकटकाल पिछले साल से अब तक बनी हुयी है। कोरोना की वजह से  दुनिया भर में कई परिवारों ने अपनों को खो दिया है। रोज हर जगह कोरोना की वजह से लोगो की मौत हो रही है।  हालांकि अभी इस परिस्थिति को काबू पाने के लिए मेडिकल और स्वास्थ्य  विभाग पूरे लगन के साथ मरीज़ो को बचा रही है। डॉक्टर और नर्सेज दिन भर मरीज़ो की सेवा कर रहे है ताकि वह स्वस्थ्य हो जाए।  कोरोना से राहत दिलाने के लिए लोगो को  वैक्सीन दिए जा रहे है। कोरोना ने जैसे सामाजिकता ही छीन ली है। कई रिश्तेदार अपनों के मृत्यु के बावजूद उनसे मिलने नहीं जा पा रहे है। कोरोना से निपटने के लिए सामाजिक दूरी को बरकरार रखना ज़रूरी है। कोरोना जैसे महामारी  से निपटने के लिए हम सारे नियमो का पालन कर रहे है।

ज़्यादा ज़रूरत होने पर ही लोग बाहर जा रहे है अन्यथा वह घरो से दफ्तर और बच्चे ऑनलाइन क्लासेज के ज़रिये पढ़ाई कर रहे है। एक हिस्सा ऐसे भी है जिन्हे अस्पताल , बैंक और व्यापार की वजह से बाहर जाना पड़ रहा है। हम त्यौहार जैसे समय में अपनों और दोस्तों से नहीं मिल सकते है।  उन्हें फ़ोन द्वारा ही संपर्क किया जा सकता है।  यह सभी परिवर्तन कोरोना महामारी के कारण हुआ है।

सामाजिक दूरी की वजह से लोगो के रिश्तों में दूरियां आ रही है।  वह अपने रिश्तेदारों के मृत्यु पर सांत्वना देने या उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए नहीं जा पा रहे है। लोगो से मिल मिलाप ना के बराबर हो गया है।  बाहर किसी काम से लोग जब रहे है तो एक दूसरे से दूरी रख रहे है। महामारी की वजह से सामाजिक रिश्तों को चोट पहुँच रही है।

कोरोना वायरस ने इंसान की सामाजिक प्रवृति को खत्म कर दिया है।  वह लोगो के ख़ुशी और दुःख में शामिल नहीं हो पा रहे है। पहले लोग एक दूसरे के ख़ुशी और दुःख में शामिल होते थे जो अभी ना के बराबर  हो गया है।  इसका कारण है कोरोना महामारी का मानव जाति पर आकर्मण।

कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ा है। व्यापार इत्यादि कई महीनो तक बंद रहा  क्यों कि लॉकडाउन का समय चल रहा था। व्यापरियों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। पिछले साल लॉकडाउन के वजह से  मज़दूरों को पैदल अपने गाँव वापस जाना पड़ा है। गरीब मज़दूरों को काफी तकलीफो का सामना करना पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से बहुत से लोगो को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है।

कोरोना महामारी की वजह से विद्यार्थी विद्यालय और कॉलेज नहीं जा पा रहे है। विद्यार्थी ऑनलाइन क्लासेस करके शिक्षा प्राप्त कर रहे है। वैज्ञानिको ने काफी कोशिशें की ताकि वह इस बार काबू पा सके लेकिन फिलहाल सामाजिक दूरी,  और मास्क , वक्सीनेशन के अलावा कोई उपाय नहीं है।  वैज्ञानिक भी इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठा नहीं पा रहे है लेकिन वह हर दिन रीसर्च कर रहे है। पूरी दुनिया एक भयानक संकट से जूझ रहा है जिसके कारण समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़े है। लोग उत्सवों में अपनों को गले लगाना भूल गए है।  सब अपने घरो तक सीमित है।

लोग पहले से अधिक जागरूक हो गए है इसलिए कोरोना संकटकाल से मुक्ति पाने के लिए जरूरी एहतियात बरत रहे है। हमारे देश ने ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया  ने कोरोना संकटकाल के कारण अनगिनत समस्याओं का सामना किया है। कई लोगो की इस संकटकाल में नौकरी चली गयी और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। सभी परेशानियों से उभरकर सभी लोग  सुरक्षित तरीके से जीवन जीने की कोशिश कर रहे है।

कोरोना की वजह से त्योहारों के रंग फीके पड़ जाते है। ईद , होली , दिवाली की शुभकामनाएं लोग एक दूसरे को देने में असमर्थ है। आजकल तो यह अलाम है लोग एक दूसरे को गले मिलना तो कोसो दूर एक दूसरे के पास जाने से भी घबराते है।

कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन जैसी स्थिति कई बार उत्पन्न हुयी।  ऐसे में घर के सारे सदस्य एक साथ घर में बंद रहे और उन्हें एक साथ समय बिताने का मौका मिला। सभी सदस्यों  के घरो में रहने के कारण महिलाओं के काम करने की अवधि बढ़ गयी है। उन्हें घर से दफ्तर और घर के सारे काम संभालने पड़ रहे है।अभी सभी लोग इस संकटकाल की परिस्थिति में रहना सीख गए है। कोरोना संकटकाल के दौरान लोग साफ़ सफाई रख रहे है और अपने स्वास्थ्य का बेहतर ध्यान दे रहे है।

निष्कर्ष

समाज की कल्पना मनुष्य के बैगर  नहीं की जा सकती है। कोरोना महामारी ने मनुष्य को अकेला कर दिया है।  जैसे ही मनुष्य कोरोना संकटकाल पर काबू पा लेगा ,  हम सबको उम्मीद है सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। जब सबकुछ ठीक हो जायेगा तो लोग  सामान्य जीवन व्यतीत करने लगेंगे।

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