शिक्षा का अर्थ है मनुष्य का सर्वांगीण और सम्पूर्ण विकास। मनुष्य के अंदर छुपे सभी शक्तियों का विकास करना ही शिक्षा है। किसी भी देश के विकास के लिए उसके शिक्षा स्तर को बेहतर बनाना यह हमारी जिम्मेदारी है। शिक्षित समाज ही देश को उन्नति की ओर लेकर जाता है। देशवासी शिक्षित होकर देश को समृद्ध बना सकते है। जो व्यक्ति अशिक्षित होते है उन्हें पशु के बराबर बताया गया है। पुराने समय में ऋषि मुनि ही लोगो को शिक्षा प्रदान करते थे। शिक्षा मनुष्य को अज्ञान से ज्ञान की ओर लेकर जाता है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो ज्ञान , सत्य और ईमानदारी जैसे गुणों का संचार करता है।
आज शिक्षा का स्तर बहुत नीचे गिर रहा है। आज कल की शिक्षा विद्यार्थियों को सिर्फ डिग्री दिलवाती है मगर नौकरी करने के लिए कोई दिशा नहीं दिखाती है।शिक्षित होकर लोग अगर आजीविका ना कमा पाए तो उसकी कोई अहमियत नहीं है। आजकल के शिक्षण प्रणाली में मूल्यों का अभाव दिखाई देता है। इसी वजह से की देश में बेरोजगारी और अपराध बढ़ रहा है। देश की शिक्षण प्रणाली में व्यवहारिक ज्ञान कम है।
शिक्षा के गिरते स्तर की वजह से समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। नयी पीढ़ी शिक्षित होने के बावजूद गलत रास्ते की तरफ जा रहे है। अगर हम जीवन मूल्यों से ठीक तरह से परिचित ना हो तो लोगो के सामने मज़ाक बनकर रह जाते है। आज की शिक्षा में नैतिक मूल्यों की कमी है इसलिए लोग अनैतिक तरीके से धन कमाते है जो अनुचित है।
आज की वर्त्तमान शिक्षा प्रणाली सिर्फ पुस्तकों के ज्ञान तक तक ही सीमित है। विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान नहीं मिलता है जिसके कारण उन्हें जीवन में परेशानियां भी होती है। शिक्षक को किसी भी विषय को पढ़ाने के साथ साथ विद्यार्थियों में व्यवहारिक ज्ञान का विकास भी करना चाहिए।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में मौलिकता के गुण दिखाई नहीं देते है। कोई भी सरकार स्वतंत्रता के पश्चात एक बेहतर और श्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने में असमर्थ रही है। शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए बेहतर कोशिशें सरकार और शिक्षा समिति को करनी चाहिए।
आज की शिक्षा प्रणाली में तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा को ज़्यादा अहमियत दी जाती है। शिक्षा प्रणाली ने अपने देश की संस्कृति और साहित्य के विषय को अनदेखा किया है और विदेशी संस्कृति को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।आज की युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही है। उनकी तर्क करने की शक्ति भी विकसित हो रहा है मगर उनकी शिक्षा में जीवन मूल्यों का अभाव दिखता है।
आजकल प्रत्येक वर्ष विद्यार्थी बड़ी बड़ी डिग्री लेकर कॉलेज से बाहर निकलते है। इतने शिक्षित होने के बावजूद लाखो युवक बेरोजगारी से जूझते है। आज की शिक्षा रोजगार की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है।इतनी डिग्री लेने के बावजूद भी बहुत सारे युवाओं को एक सुरक्षित भविष्य नहीं मिल पाता है। ऐसे युवाएं मन मारकर अपने काबिलयत से कम कोई भी नौकरी करते है और सारी जिन्दगी निराश होकर अपना जीवन व्यतीत करते है।ऐसे युवाओं में नैतिकता जैसे गुणों का अभाव दिखता है।
विद्यार्थियों के शिक्षा में उनके अभिभावकों की अहम भूमिका रहती है। पहले समय में अभिभावक शिक्षकों पर विश्वास करते थे और ईश्वर का दर्जा देते थे। आजकल अगर शिक्षक विद्यार्थियों को सीखाने के लिए उन्हें ज़ोर से कुछ कह दे या गुस्सा करे तो अभिभावक इसका विरोध करने लग जाते है। इसका फायदा विद्यार्थी उठाते है और उनमे अच्छे गुणों का विकास नहीं हो पाता है।
आज की शिक्षा प्रणाली में भौतिकता का प्रभाव देखने को मिलता है। आजकल उच्च औरअच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोगो को बहुत खर्चा करना पड़ता है। शिक्षा बहुत महंगी हो गयी है और साधारण मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब परिवार इतना खर्चा नहीं कर पाते है। बहुत सारे विद्यार्थियों में हुनर तो होता है , मगर अच्छे और बड़े कॉलेज के दाखिले के लिए इतने पैसे नहीं होते है।
कुछ धनवान परिवार के बच्चो में इतनी काबलियत नहीं होती है , मगर पैसे के दम पर ऐसे अयोग्य छात्रों को बड़े कॉलेज में दाखिला मिल जाते है। अयोग्य छात्र कई जगहों पर उच्च पदों पर कार्य करते है। इसकी वजह से देश का विकास रुक जाता है। इन सब चीज़ो को बदलने की आवश्यकता है।सरकार को सरकारी स्कूल शिक्षा को बेहतर बनाने की ज़रूरत है। देश के प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों में दूरस्थ शिक्षा के भी अच्छे विकल्प होने चाहिए। इससे शिक्षा स्तर काफी अधिक विकसित होगा।
निष्कर्ष
शिक्षा स्तर के गिरने की वजह से देश के युवाओं का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना चाहिए ताकि समाज पर अच्छा प्रभाव पड़े।जो देश शिक्षित होता है , वह अपना सुनहरा भविष्य खुद बना सकता है।समाज में प्रगति और संतोष के लिए अच्छी शिक्षा प्रणाली का होना अति आवश्यक है।