आगरा का ताजमहल
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ताज महल के बारे में सभी ने थोड़ा बहुत सुना ही होगा ।जो लोग एक बार ताजमहल को देख लेते हैं उन्हें एक बार फिर ताजमहल को देखने की इच्छा होती है ।इस पूरी दुनिया सात अजूबे में से एक ताजमहल भी है ।आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक चिन्ह माना जाता है ।उत्तर प्रदेश का तीसरा बड़ा जिला आगरा ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है ताजमहल बहुत आकर्षक और प्रकृतिक दर्शय की तरह दिखने वाला एक ऐतिहासिक स्थान है यह आगरा उत्तर प्रदेश में स्थित है।
ताजमहल विश्व के सात नए आश्चर्य में से एक है 7 जुलाई 2007 को घोषित विश्व के सात आश्चर्यो से भी अधिक पुराना स्मारक है ।यह अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है ।यह सफेद संगमरमर से बनी एक अद्भुत कृति है ।इसके अंदर की चकाचौंध को देखने के लिए देश-विदेश के लोगों को बरबस ही अपनी और आकर्षित कर लेती है। अर्थात अनेको स्त्री-पुरुष ,बूढ़े-बच्चे प्रतिदिन इसके दर्शन को आते रहते हैं।
ताजमहल का निर्माण 1631 ईसवी में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज की याद में बनाया था ।तभी से उसी शान से आगरा में यमुना नदी के किनारे पर खड़ा है।यह राजपूताने की संगमरमर का बना हुआ है। इसे उस समय बीस हजार वास्तुकला के कारीगरों ने 20 साल में पूरा किया था।
इस स्मारक के तीन और सुंदर बाग तथा एक और यमुना की स्वच्छ व शीतल धारा बहती है ।इसका प्रवेश द्वार लाल पत्थरों से बना हुआ है ।जिसके सफेद पत्थरों पर कुरान की आयतें लिखी हुई है। ताज महल के अंदर सामने की ओर एक सुंदर बाग है जिसमें फ़व्वरो से सजे हुए जलकुंड है । और उसके दोनों और सुंदर-सुंदर वृक्ष खड़े हैं।इसके अंदर एक छोटा सा अजायबघर है ।जिसमें मुगल बादशाहों के अस्त्र-शस्त्र रखे हुए हैं। ताजमहल के गुंबद की ऊंचाई लगभग 275 फुट है ताजमहल के ऊपर गुंबद के चारों ओर छोटे-छोटे गुंबद बने हुए हैं इन गुम्बदों तथा दीवारों पर कला के सुंदर नमूने चित्रित किए हुए हैं।
ताजमहल के बड़े गुंबद के ठीक नीचे शाहजहां और मुमताज महल की समाधिसमाधियो के सुंदर नमूने बने हुए हैं। और इन समाधिओं (क़ब्रो) के ठीक नीचे उन दोनों प्रेमियों की वास्तविक कब्रे हैं इन क़ब्रो के आसपास सुंदर जालिया बनी हुई है। यहां इतना अधिक अंधकार होता है कि इन कब्रों को देखने के लिए रोशनी की आवश्यकता पड़ती है अतः वह सदैव मोमबत्तियां का प्रकाश होता रहता है ।धूप अगरबत्ती सुगंध से यहां का वातावरण सदा सुगंधित बना रहता है।
शरद पूर्णिमा की रात्रि को ताजमहल की शोभा देखते ही बनती है ।चांद की चांदनी में चमकता हुआ यह स्मारक सबको अनायस ही लुभा लेता है। यमुना के जल में इसकी आभा देखते ही बनती है ।इसकी इस आभा को देखने के लिए देश-विदेश से अनेक नर-नारियां प्रतिवर्ष आते रहते हैं इस आदित्य स्मारक का नाम भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण जगत में सम्मान के साथ लिया जाता है ।वास्तुकला का यह अधित्य नमूना हमारे देश का गौरव है।