शिवाजी महाराज पर निबंध

छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को कौन नहीं जानता है? अपनी वीरता से मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज मराठों के सरदार थे। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपके लिए शिवाजी महाराज पर निबंध लिखकर आए हैं। इस निबंध के जरिए आपको शिवाजी महाराज के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।

प्रस्तावना

राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे भारतीय शासक थे, जिन्होंने अपने बल पर मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। कुछ लोग शिवाजी को हिंदू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ इन्हे मराठा का गौरव कहते हैं। मुख्यता वह भारतीय गणराज्य के महानायक थे। भारत को विदेशी सत्ता से स्वाधीन कर एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन स्थापित करने का प्रयत्न वीर छत्रपति शिवाजी ने भी किया था। जिस कारण शिवाजी को एक अग्रण वीर व अमर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी स्वीकार किया जाता है।

महाराजा छत्रपति शिवाजी का जीवन

शौर्यवीर शासक छत्रपति शिवाजी भोसलें का जन्म 19 फरवरी 1627 में शिवनेरी, महाराष्ट्र के में एक मराठा परिवार में हुआ था। शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोसलें था तथा माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी की माता धार्मिक स्वाभाव की महिला थी। लेकिन उनमें वीरांगना नारी की छवि भी परिलक्षित होती थी। यही कारण है कि शिवाजी को बाल अवस्था में ही रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय वीरों की उज्जवल कथाओं का ज्ञान हो गया था। इनका विवाह 14 मई 1640 में साईं बाई निंबालकर के साथ हुआ था। इनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम संभाजी था, जिन्हें विश्व का प्रथम बाल साहित्यकार माना जाता है।

महाराजा छत्रपति शिवाजी का संघर्ष

16 वर्ष की उम्र में शिवाजी ने 1646 में बीजापुर के तोरण किले पर कब्जा कर लिया। इसके बाद शिवाजी ने पुणे के कई महत्वपूर्ण किलो पर कब्जा किया। 1657 तक शिवाजी ने मुगल साम्राज्य के साथ शांतिपूर्वक संबंध बनाए रखें। लेकिन शिवाजी की बढ़ती शक्ति को देखकर मुगल बादशाह औरंगजेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को शिवाजी पर हमला करने का आदेश दिया। लेकिन शिवाजी की साथ युद्ध में उसको मुंह की खानी पड़ी।

इसके बाद औरंगजेब ने अपने सबसे विश्वासपात्र सेनापति राजा जयसिंह के साथ शिवाजी को कुचलकर पुरंदर के किले को अधिकार में करने की योजना बनाई। लेकिन पुरंदर की रक्षा करते हुए शिवाजी का सबसे वीर सैनिक मुरारी जी बाजी मौत के भेंट चढ़ गया। पुरंदर की किले पर कब्जा करने में स्वयं को असमर्थ मानकर राजा जयसिंह ने शिवाजी की संधि स्वीकार की। जिसके बाद 22 जून 1665 में दोनों शासकों की सहमति के साथ पुरंदर की संधि संपन्न हुई।

महाराजा छत्रपति शिवाजी की राज्य

छत्रपति शिवाजी के स्वतंत्र स्वराज का क्षेत्र तीन भागों में विभाजित था –

  1. सर्वप्रथम कोंकण क्षेत्र, जो पूना से लेकर सल्हर तक फैला था और इसने उत्तरी कोंकण क्षेत्र भी शामिल था।
  2. दक्षिणी कोंकण का क्षेत्र उत्तरी कनारा तक अन्नाजी दत्तो के अधीन था।
  3. सतारा से लेकर धारवाड़ तथा कोफाल का क्षेत्र दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत आता था।

शिवाजी ने अपनी स्वयं की स्थाई सेना बनाई थी। घुड़सवार दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था। जिसमें बारगीर व घुड़सवार सैनिक शामिल किए जाते थे। किले (दुर्ग) मराठा शासन व्यवस्था के विशिष्ट लक्षण थे। जानकारों के मुताबिक शिवाजी के पास 250 किले थे।

निष्कर्ष

छत्रपति शिवाजी अपनी कुलदेवी मां तुलजा भवानी की आराधना किया करती थे। मान्यता है कि तुलजा भवानी ने शिवाजी को खुद प्रकट होकर तलवार प्रदान की थी। यह तलवार अभी भी लंदन संग्रहालय में मौजूद है। 1680 में लंबी बीमारी के चलते छत्रपति शिवाजी ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद उनके साम्राज्य को उनके बेटे संभाजी ने संभाला।

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