यदि रात ना होती तो…..पर निबंध

दोस्तों, अक्सर हम कई ऐसी कल्पनाएं किया करते हैं, जो वास्तविकता से बिल्कुल अलग होती है। लेकिन इन अद्भुत कल्पनाओं से हम अपने कई प्रश्नों का उत्तर भी जान लेते हैं और साथ ही वास्तविकता का महत्व भी। इसी प्रकार अगर हम कल्पना करें कि यदि रात ना होती तो? आज हम अपने लेख के माध्यम से आपके लिए इसी विषय निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के जरिए हम रात के ना होने की कल्पना पर विभिन्न पहलुओं को समझेंगे। आइए जानते हैं, “यदि रात ना होती तो” विषय पर निबंध….

प्रस्तावना

कभी कभी हमारे दिमाग में यह ख्याल आता है कि अगर रात ना होती तो, तो क्या होता? क्या हमारा जीवन नष्ट हो जाता? क्या हमें चंद्रमा देखने को मिलता? क्या हमें सोने को मिलता? ऐसे कई सवाल मन में रात ना होने की पृष्ठभूमि तैयार कर लेते हैं। हालांकि रात ना होने की यह हमारी एक कल्पना मात्र है। लेकिन यदि ऐसा हो कि कल से सूरज का ढलना बंद हो जाएं और रात का अधियारा ही ना मिले तो हर किसी की जिंदगी में बेहद परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

सूर्य का राज रहता

तपती दोपहरी की सूर्य की रोशनी लोगों को शरीर को झुलसाने वाली होती है, ऐसे में ठंडी शीतलता का दान करने के लिए संसार में रात का आगमन होता है। यदि रात नहीं आती तो सूरज नहीं ढलता, आठों पहर सूरज का प्रकोप पृथ्वी सहन नहीं कर पाती और चारों ओर ज्वालामुखी फटने लगती। आसमान से आग की बरसात होने लगती। रात की शीतल छाया ना मिलने से धूप के तेज प्रभाव से फूल, पेड़ – पौधे, प्रकृति का हर एक अंग आंतरिक रूप से झुलसने लगता।

शीतल वायु तथा विश्राम नहीं मिलता

दिनभर धूप की गर्मी सहन करने के बाद शाम होते ही शरीर को राहत मिलने लगती है। रात में ठंडी और शीतल हवाओं का झरोखा दिनभर की सारी थकान मिटा देता है। दिनभर काम करने के बाद रात के समय में आराम मिलने की आशा होती है। रात होते ही सारी थकावट दूर ही जाती है। सोने का समय रात का निश्चित किया गया है। ऐसे में अगर रात नहीं होगी तो हम सोने के लिए कौन सा समय निकालेंगे।

रात की चांदनी का दृश्य नहीं होगा

रात की चांदनी, रात के सितारें, रात का चांद और मनमोहक रात के गान, यह सब आखिर रात होने पर मिलते हैं। कवियों को अपनी कविताओं में प्रेम राग बढ़ाने के लिए रात की चांदनी का सहारा लेना पड़ता है। धूप तो उग्रता तथा तेज का प्रतीक है। लेकिन रात प्रेम और सुकून का। दिनभर के बाद रात में सोने का जो एहसास और सुकून है, वह रात ना होने पर कैसे प्राप्त होगा?

निष्कर्ष

हमारे जीवन के साथ ही प्रकृति के लिए भी दिन रात दोनों का होना आवश्यक है। दिन रात होने के अपनी अपनी विशेषताएं हैं। ऐसे में अगर रात नहीं होगी तो प्रकृति प्रभावित होगी। वहीं लगातार धरती पर धूप के रहने से जीवन की समाप्ति हो सकती है। रात ना मिलने से हमारी जिंदगी नीरस हो जाती और हम रात में मिलने वाला आनंद से भी वंचित रह जाते।

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